उच्च न्यायालय ने कहा कि आतंकी मामलों में लंबे समय तक जेल में रहना जमानत का आधार नहीं
दिल्ली उच्च न्यायालय ने आतंकवाद से संबंधित मामले में आरोपी नईम अहमद खान की जमानत याचिका खारिज कर दी है। न्यायालय ने कहा कि आरोपी का लंबे समय तक जेल में रहना जमानत का आधार नहीं हो सकता और ऐसे मामलों...

नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आतंकवाद से संबंधित एक मामले के आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी का लंबे समय तक जेल में रहना आतंकवाद के मामलों में जमानत देने का आधार नहीं हो सकता। उच्च न्यायालय ने आगे टिप्पणी की कि इस तरह के मामलो का देशव्यापी प्रभाव होता है। उच्च न्यायालय ने आरोपी नईम अहमद खान की जमानत याचिका को नामंजूर करते हुए कहा कि इस तरह के मामलों में अन्य बातों के अलावा देश की एकता को अस्थिर करने की मंशा होती है। इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति नवीन चावला एवं न्यायमूर्ति शैलिंदर कौर की पीठ ने लश्कर-ए-तैयबा एवं 26/11 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद से जुड़े आतंकवाद-वित्तपोषण मामले में आरोपी अलगाववादी नेता नईम अहमद खान को राहत देने से इनकार कर दिया।
दरअसल नईम ने निचली अदालत द्वारा जमानत याचिका खारिज करने के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। इस पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि विचाराधीन कैदी के त्वरित सुनवाई के अधिकार को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन ऐसे मामलों में जिनमें आतंकवादी गतिविधियां शामिल हैं, इनका प्रभाव पूरे देश पर पड़ता है, इस तरह की साजिश के पीछे भारत संघ की एकता को अस्थिर करने तथा इसकी कानून-व्यवस्था को बाधित करने की मंशा होती है। इससे भी अधिक आम जनता के मन में आतंक पैदा करने की।
पेश मामले में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेता खान को 24 जुलाई 2017 को गिरफ्तार किया गया था। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है। आतंकवाद रोधी कानून गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत 2017 में दर्ज मामले में एनआईए ने दावा किया कि अलगाववादियों ने आम जनता को हिंसा के लिए उकसाने और घाटी में अपने एजेंडे के प्रचार के लिए माहौल को तनावपूर्ण बनाने के लिए आपराधिक साजिश रची।
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