बैंक अधिकारी को लॉकर तोड़ने का अधिकार देने वाले नियम बताएं : हाईकोर्ट
- देहरादून की खाताधारक बुजुर्ग महिला से जुड़ा है मामला - खाताधारक की अनुपस्थिति में

नैनीताल, संवाददाता। हाईकोर्ट ने बैंक ऑफ बड़ौदा के कर्मचारियों द्वारा खाताधारक का लॉकर तोड़ने से संबंधित एक मामले में मंगलवार को सुनवाई की। न्यायाधीश न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने उन नियमों के बारे में जानकारी देने को कहा है जो लॉकर धारक की ओर से सूचना का जवाब देने में असफल रहने की स्थिति में बैंक अधिकारी को लॉकर तोड़ने का अधिकार देते हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा है कि कैसे लॉकर के अंदर रखे जेवर आदि जैसा कीमती सामान शिकायतकर्ता को वापस किया जा सकता है। यह मामला खाताधारक देहरादून की 83 वर्षीय सुशीला देवी की ओर से दर्ज की गई पुलिस शिकायत से संबंधित है। सुशीला देवी ने देहरादून में बैंक ऑफ बड़ौदा की डालनवाला शाखा में एक लॉकर रखा था, जिसे पहली फरवरी 2022 में उनकी अनुपस्थिति में कर्मचारियों की ओर से तोड़ा और खोला गया था। गहनों के बारे में पूछताछ करने पर वरिष्ठ बैंक अधिकारियों ने कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया। जिसके बाद उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई। इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा के कर्मचारी हंस राज ने एफआईआर को रद करने की मांग करते हुए, हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुनवाई के दौरान पीड़िता के बेटे ने बताया कि उसकी मां ने बैंक ऑफ बड़ौदा की शाखा के लॉकर में 730 ग्राम सोने और 950 ग्राम चांदी के गहने रखे थे। आरोप लगाया कि एफआईआर दर्ज करने के बाद भी पुलिस ने बैंक के अधिकारियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की। मामले में अगली सुनवाई 21 अप्रैल को होगी।
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