Delhi High Court Warns Against Illegal Borewells Impacting Water Levels अवैध बोरवेल से पानी निकालना पाप से कम नहीं: उच्च न्यायालय, Delhi Hindi News - Hindustan
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अवैध बोरवेल से पानी निकालना पाप से कम नहीं: उच्च न्यायालय

दिल्ली उच्च न्यायालय ने अवैध बोरवेल से पानी निकालने को पाप बताया है और ऐसे मामलों पर रोक लगाने की आवश्यकता जताई है। न्यायालय ने रोशनआरा में अवैध बोरवेल के बारे में याचिका पर सुनवाई करते हुए निगम और...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 13 April 2025 06:16 PM
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अवैध बोरवेल से पानी निकालना पाप से कम नहीं: उच्च न्यायालय

नई दिल्ली, कार्यालय संवाददाता। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि अवैध बोरवेल से पानी निकालना किसी पाप से कम नहीं है। ऐसा करने वालों पर रोक लगाई जानी चाहिए। यदि ऐसे अवैध बोरवेल बंद नहीं किए गए, तो राजधानी में पानी के लिए हाहाकार मचने वाली स्थिति सामने आ सकती है। कुछ वर्ष पहले दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में ऐसे ही हालात बन गए थे। मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि अवैध बोरवेल जल स्तर को कम कर रहे हैं, जो कि किसी पाप से कम नहीं है। कुछ वर्षों पहले जोहानिसबर्ग के लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ा था। क्या आप चाहते हैं कि दिल्ली में भी ऐसी स्थिति आए।

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सर्वेक्षण कर दस दिन के अंदर रिपोर्ट दाखिल करने का टीम को आदेश

अदालत अधिवक्ता सुनील कुमार शर्मा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में दावा किया गया था कि रोशनआरा इलाके में गोयनका रोड पर एक निर्माणाधीन इमारत में कई बोरवेल या सबमर्सिबल पंप अवैध रूप से लगाए गए हैं। याचिका में इन्हें हटाने की मांग की गई। याचिकाकर्ता ने अदालत को यह भी बताया कि निगम ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदन में जवाब दिया है कि इमारत में छह बोरवेल लगे हुए पाए गए। जबकि दरियागंज के एसडीएम ने आरटीआई आवेदन में जवाब दिया है कि इमारत में तीन बोरवेल पाए गए, जिन्हें सील कर दिया गया है। अदालत ने निगम, दिल्ली जल बोर्ड और क्षेत्र के थानाध्यक्ष वाली टीम को 10 दिन के अंदर संपत्ति का संयुक्त सर्वेक्षण करके एक रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया।

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पर्यावरण जुर्माना लगाने पर विचार करेगी अदालत

अदालत ने यह निर्देश भी दिया कि यदि निर्माण स्थल पर कोई अवैध बोरवेल चालू पाया जाता है, तो उचित कार्रवाई करें। अदालत ने कहा कि यदि टीम को पता चलता है कि अवैध बोरवेल पहले चालू थे, तो उन्हें अपनी रिपोर्ट में मशीनों की संख्या और कितने सालों से चालू हैं, इसका उल्लेख करना चाहिए। पीठ ने कहा कि रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर, वह जल स्तर को नुकसान पहुंचाने के लिए भवन मालिकों पर पर्यावरण जुर्माना लगाने पर विचार करेगी। मामले की अगली सुनवाई के लिए 30 जुलाई की तारीख तय की गई है।

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