एआई टूल ग्रोक के जवाबों के लिए 'एक्स' हो सकता है जिम्मेदार: सूत्र
एलन मस्क की कंपनी 'एक्स' ने केंद्र सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। यह मुकदमा आईटी अधिनियम के तहत सेंसरशिप और सामग्री विनियमन को चुनौती देता है। कंपनी ने आरोप लगाया है कि सरकार कानूनी प्रक्रिया का...

नोट ::::इसी में पहले से जारी एक खबर,,,,,,,मस्क की कंपनी 'एक्स' ने केंद्र सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर किया,,,,,,को भी अलग से जोड़कर जारी किया जा रहा है। ---------------------------------------------------------------------
- सूत्र ने कहा, जल्द कानूनी राय लेने की तैयारी में सरकार
- इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय कर रहा आकलन
नई दिल्ली, एजेंसी। सोशल मीडिया मंच 'एक्स' को उसके कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) टूल ग्रोक के जवाबों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इस बारे में जल्द ही एक कानूनी राय तय की जाएगी। गुरुवार को सरकारी सूत्र ने यह जानकारी दी। दरअसल, हाल ही में ग्रोक से भारतीय राजनेताओं के बारे में विभिन्न सवाल पूछे गए थे, जिसके जवाब अरुचिकर भी थे।
सूत्र ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय सोशल मीडिया मंच के साथ इसके कामकाज को समझने और उसका आकलन करने के लिए चर्चा कर रहा है। यह पूछे जाने पर कि क्या ग्रोक द्वारा दिए गए जवाबों के लिए एक्स को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इस पर सरकारी सूत्र ने कहा, प्रथम दृष्टया देखने से लगता है कि हां। लेकिन इसकी कानूनी रूप से समीक्षा की जानी चाहिए।
आईटी अधिनियम की धारा 79 (3) को चुनौती देने वाले सरकार के खिलाफ एक्स के मामले में सूत्र ने कहा कि सोशल मीडिया मंच की सामग्री को ब्लॉक करने संबंधी दलील पर अदालतें अंतिम फैसला सुनाएंगी। बता दें, पिछले साल सरकार गूगल के एआई टूल जेमिनी ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ कुछ अप्रिय जवाब दिए थे। इसके बाद सरकार ने तत्काल कार्रवाई की थी और एआई पर दिशानिर्देश जारी किए थे।
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मस्क की कंपनी 'एक्स' ने केंद्र सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर किया
- सेंसरशिप और आईटी अधिनियम के खिलाफ वाद दायर
- कनार्टक हाईकोर्ट में दी चुनौती
बेंगलुरु, एजेंसी।
अरबपति एलन मस्क के स्वामित्व वाली कंपनी 'एक्स' ने केंद्र सरकार पर आईटी अधिनियम के उल्लंघन का मुकदमा दायर किया है। कर्नाटक उच्च न्यायालय में एक वाद दायर करके कथित गैरकानूनी सामग्री विनियमन और मनमाने सेंसरशिप को चुनौती दी है। एक्स ने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की केंद्र की व्याख्या के उपयोग पर चिंता जताते हुए दलील दी कि यह उच्चतम न्यायालय के फैसलों का उल्लंघन है और डिजिटल मंच पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कमतर करता है।
वाद में आरोप लगाया गया है कि सरकार धारा 69ए में उल्लिखित कानूनी प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए एक समानांतर सामग्री अवरोधन तंत्र बनाने के लिए उक्त धारा का इस्तेमाल कर रही है। एक्स ने दावा किया कि यह दृष्टिकोण श्रेया सिंघल मामले में उच्चतम न्यायालय के 2015 के फैसले के विरोधाभासी है, जिसमें यह स्थापित किया गया था कि सामग्री को केवल उचित न्यायिक प्रक्रिया या धारा 69ए के तहत कानूनी रूप से परिभाषित माध्यम से ही अवरुद्ध किया जा सकता है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अनुसार, धारा 79(3)(बी) ऑनलाइन मंचों को अदालत के आदेश या सरकारी अधिसूचना द्वारा निर्देशित होने पर अवैध सामग्री को हटाना अनिवार्य करती है। मंत्रालय के अनुसार, यदि कोई डिजिटल मंच 36 घंटे के भीतर अनुपालन करने में विफल रहता है, तो उसे धारा 79(1) के तहत संरक्षण गंवाने का जोखिम होता है और उसे आईपीसी सहित विभिन्न कानूनों के तहत जवाबदेह ठहराया जा सकता है।
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