Excessive Mobile Use Before Bed Increases Insomnia Risk by 60 Study Reveals चलते-चलते : स्क्रीन की नीली रोशनी बढ़ाएगी अनिद्रा का जोखिम, Delhi Hindi News - Hindustan
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चलते-चलते : स्क्रीन की नीली रोशनी बढ़ाएगी अनिद्रा का जोखिम

नॉर्वे के वैज्ञानिकों ने 45,202 वयस्कों पर किए गए सर्वे में पाया कि बिस्तर पर जाने के बाद मोबाइल का उपयोग अनिद्रा के खतरे को 60% तक बढ़ा सकता है। अध्ययन में बताया गया है कि सोने से एक घंटे पहले...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 31 March 2025 03:06 PM
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चलते-चलते : स्क्रीन की नीली रोशनी बढ़ाएगी अनिद्रा का जोखिम

- वैज्ञानिकों का दावा, बिस्तर पर जाने के बाद मोबाइल का इस्तेमाल बढ़ाता है खतरा - 45,202 वयस्कों पर नॉर्वे के वैज्ञानिकों ने सर्वे किया

- फ्रंटियर्स इन साइकियाट्री पत्रिका में अध्ययन प्रकाशित

- स्क्रीन देखने में समय बीत जाता है, नींद की अवधि होती है कम

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ओस्लो, एजेंसी। डिजिटल दुनिया में मोबाइल फोन खासकर युवावर्ग के जीवन का अहम हिस्सा है। लेकिन इसकी लत स्वास्थ्य, विशेष रूप से नींद पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। हालिया अध्ययनों के अनुसार, मोबाइल स्क्रीन के अधिक उपयोग से अनिद्रा का खतरा 60% तक बढ़ सकता है।

बेहतर नींद के लिए सुकून से सोना जरूरी है, जिसके लिए पहली शर्त बिस्तर पर जाने के बाद मोबाइल फोन से दूर रहना है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सोने के समय एक घंटे स्क्रीन का इस्तेमाल अनिद्रा के खतरे को 59 फीसदी तक बढ़ाता है। इससे हर रात नींद की कुल अवधि में औसतन 24 मिनट की कमी आ सकती है। नॉर्वे में 45,202 वयस्कों पर किए गए सर्वे में इस बात का पता चला है।

फ्रटियर्स इन साइकियाट्री में प्रकाशित अध्ययन को करने वाली नॉर्वे की इंस्टीट्यूट के डॉक्टर गुनहाइल्ड जॉनसन जेटलैंड ने बताया, ‘चाहे आप सोशल मीडिया पर समय बिताएं या फिर रील्स या ओटीटी प्लेटफॉर्म पर, उससे फर्क नहीं पड़ता। फर्क स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी में रहने वाली कुल अवधि से पड़ता है।

समस्या

1. स्क्रीन की नीली रोशनी का असर

- नींद लाने में मददगार हॉर्मोन मेलाटोनिन के बनने में बाधक

- जब इसका स्तर कम हो जाता है, तो नींद आने में देरी व इसकी गुणवत्ता खराब हो जाती है

2. नींद का पैटर्न बिगड़ता है

- मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से स्लीप साइकल बिगड़ जाता है और व्यक्ति को गहरी नींद नहीं मिल पाती।

- देर रात तक मोबाइल इस्तेमाल करने से नींद पूरी नहीं होती, जिससे दिनभर थकान महसूस होती है।

3. डोपामाइन का बढ़ना

- मोबाइल पर स्क्रॉलिंग से दिमाग को सक्रिय रखने वाला डोपामाइन हार्मोन बढ़ता है।

- इससे नींद का समय टल जाता है और व्यक्ति देर रात तक जागता रहता है।

समाधान

- सोने से एक घंटे पहले मोबाइल को खुद से दूर रखें।

- ब्लू लाइट फिल्टर ऑन करें।

- रात को किताब पढ़ें या ध्यान करें।

- सोने के लिए एक नियमित रूटीन बनाएं।

- मोबाइल का उपयोग सीमित करें और दिनभर में अधिक स्क्रीन टाइम न रखें।

मोबाइल की लत नींद की गुणवत्ता को बिगाड़कर अनिद्रा का खतरा 59 % तक बढ़ा सकती है। इसलिए, मोबाइल के सही उपयोग और डिजिटल डिटॉक्स को अपनाकर स्वस्थ नींद और जीवनशैली बनाए रखना जरूरी है।

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