Global Warming Linked to Rising Allergies Study Reveals Impact on Health ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ती एलर्जी ने दुनिया को किया बेहाल, Delhi Hindi News - Hindustan
Hindi NewsNcr NewsDelhi NewsGlobal Warming Linked to Rising Allergies Study Reveals Impact on Health

ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ती एलर्जी ने दुनिया को किया बेहाल

-छींक, नाक बहने और आंखों में जलन के मामले तेजी से बढ़े नंबर

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 11 April 2025 02:44 PM
share Share
Follow Us on
ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ती एलर्जी ने दुनिया को किया बेहाल

वाशिंगटन, एजेंसी। अगर आपको पहले से ज्यादा छींक आ रही है, नाक बह रही है या आंखों में जलन हो रही है, तो इसका कारण ग्लोबल वार्मिंग हो सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से एलर्जी (एलर्जिक राइनाइटिस) के मामले बढ़ रहे हैं। विज्ञान पत्रिका द लैरिंगोस्कोप में प्रकाशित एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है।

जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन एंड हेल्थ साइंसेज की टीम ने यह अध्ययन किया है। प्रमुख शोधार्थी अलीशा पर्शद ने कहा, गर्मी बढ़ने और कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ने से पेड़-पौधे ज्यादा पराग (फूलों के महीन कण) छोड़ रहे हैं, जो एलर्जी का कारण बनता है। दुनियाभर में पराग मौसम अब 20 दिन पहले शुरू हो रहा है और 19 दिन ज्यादा लंबा चल रहा है।

शहर-गांव दोनों प्रभावित : विशेषज्ञों के अनुसार, शहरी इलाकों में ऊंचे तापमान के कारण एलर्जी के लक्षण गंभीर होते जा रहे हैं। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में बारिश और बाढ़ से नमी और फफूंद बढ़ रही है, जिससे निम्न-आय वाले समुदायों को अधिक खतरा है।

बच्चों-बुजुर्गों के लिए आफत : अध्ययन के मुताबिक, बच्चों को एलर्जी का ज्यादा खतरा है क्योंकि वे बाहर ज्यादा समय बिताते हैं। बुजुर्गों की कमजोर इम्यूनिटी भी उन्हें ज्यादा प्रभावित कर रही है।

समस्या बड़ी

97 फीसदी डॉक्टरों का मानना है कि एलर्जी बढ़ रही है

61 फीसदी डॉक्टरों ने बच्चों में एलर्जी के ज्यादा मामले देखे

56 फीसदी विशेषज्ञों का कहना है कि पराग का मौसम लंबा हुआ

भारत की स्थिति

25-30% आबादी एलर्जिक राइनाइटिस से पीड़ित

5 से 15 साल के बच्चे अधिक प्रभावित

धूलकण और प्रदूषण से स्थिति और गंभीर

बचाव के उपाय

-बाहर निकलते समय मास्क का इस्तेमाल करें

-घर में धूल-मिट्टी जमा न होने दें

-बाहर से आने के बाद तुरंत नहाएं और कपड़े बदलें

-घर में शुद्ध हवा के लिए एयर प्यूरीफायर लगाएं

-विटामिन सी और ओमेगा-3 युक्त भोजन लें

-डॉक्टर की सलाह पर एंटी-एलर्जिक दवाएं लें

आने वाले वर्षों में बढ़ेगा खतरा

ऑस्ट्रेलिया के एक अध्ययन में पाया गया कि 2016-2020 के बीच तापमान और पराग कणों का स्तर 1994-1999 की तुलना में अधिक था। यूरोप में हुए शोध में अनुमान लगाया गया कि 2041-2060 के बीच रैगवीड एलर्जी से प्रभावित लोगों की संख्या 3.3 करोड़ से बढ़कर 7.7 करोड़ हो सकती है। यह संकेत देता है कि जलवायु परिवर्तन से एलर्जी की समस्या आने वाले वर्षों में और गंभीर होगी।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।