इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री पर एक सप्ताह में मिलेगी सब्सिडी
- भारी उद्योग मंत्रालय सब्सिडी जारी करने के लिए जरूरी सत्यापन प्रक्रिया में करना जा

इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर मिलने वाले सब्सिडी में समय नहीं मिलेगा। केंद्र सरकार सब्सिडी जारी करने की प्रक्रिया को 45 दिन से घटाकर एक सप्ताह के अंदर करने की दिशा में काम कर रही है। इसके लिए ग्राहक एवं खरीदार से जुड़े कागजात की जांच प्रक्रिया का समय घटाया जाएगा। भारी उद्योग मंत्रालय ने कागजों की सत्यापन प्रक्रिया को पूरी तरह से ऑनलाइन मोड में पूरा करने और एक निर्धारित समय के अंदर पूरा कराने का लक्ष्य रखा है।
इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने वाली कंपनियों और डीलर्स लंबे समय से कह रहे हैं कि सब्सिडी जारी होने में समय लगता है। ऐसी स्थिति में कारोबार भी प्रभावित होती है। जब सब्सिडी से जुड़ी सारी प्रक्रिया ऑनलाइन है तो फिर उसके सत्यापन में ज्यादा समय नहीं लगना चाहिए। मौजूदा समय में किसी वाहन की बिक्री होने के बाद सब्सिडी जारी होने में 45 से अधिक दिन का समय लग जाता है। सब्सिडी तभी जारी की जाती है, जब वाहन की बिक्री से जुड़ी प्रक्रिया पूरी हो गई हो। उसके बाद डीलर्स को पोर्टल पर वाहन का पंजीकरण नंबर, खरीदार का आधार नंबर और अन्य जरूरी जानकारी अपलोड करनी होती है। उसके बाद भारी उद्योग मंत्रालय की तरफ से नियुक्त आईएफसीआई वाहन पोर्टल के जरिए जांच करता है कि जिस वाहन के बदले सब्सिडी मांगी जा रही है, उसकी बिक्री हुई है या नहीं। इसके साथ ही, अन्य जरूरी कागजों की जांच की जाती है। ऐसे में वाहन निर्माता कंपनियों और डीलर्स का कहना है कि जब सारी सत्यापन की प्रक्रिया ऑनलाइन है तो फिर उसमें इतना लंबा समय नहीं लगना चाहिए। सूत्रों का कहना है कि इस पर भारी उद्योग मंत्रालय ने सहमति जताई है और सत्यापन से जुड़ी प्रक्रिया को रिकॉर्ड पांच से सात दिनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इस अवधि में जिस दिन सत्यापन की प्रक्रिया पूरी होगी, उसकी दिन सब्सिडी भी जारी कर दी जाएगी। इसको लेकर मंत्रालय स्तर से गाइडलाइन तैयार की जा रही हैं। ध्यान रहे कि मौजूदा समय में पीएम ई-ड्राइव के तहत दोपहिया, तीन पहिया( ऑटो, ई-कार्ट और रिक्शा) वाहनों की बिक्री पर सब्सिडी दी जा रही है।
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सर्विस सेंटरों की होगी जांच
इलेक्ट्रिक वाहन मार्केट में तमाम कंपनियां उतर आई हैं। खास तौर पर दोपहिया और तीन पहिया वाहन बाजार में नई कंपनियों का आगमन हुआ है, जिसको देखते हुए भारी उद्योग मंत्रालय ने सर्विस सेंटरों की जांच करना का फैसला लिया है। सूत्रों का कहना है कि यह जांच एक सैंपल सर्वे के तौर पर होगी, जिसमें औचक रूप से देश के अलग-अलग हिस्सों में देखा जाएगा कि वहां पर कंपनी ने शोरूम के साथ सर्विस सेंटर खोला है या नहीं। सर्विस सेंटर पर जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं या नहीं। ध्यान रहे कि ओला इलेक्ट्रिक के वाहनों की सर्विस को लेकर शिकायतें मिली थीं। ग्राहकों का आरोप था कि कंपनी ने वाहन बेच दिया है लेकिन सर्विस सेंटर नहीं है। कहीं पर सर्विस सेंटर है लेकिन वाहन की सर्विस के लिए जरूरी उपकरण नहीं है। ऐसी स्थिति में मंत्रालय ने ओला के सर्विस केंद्रों की जांच कराने का फैसला लिया था लेकिन अब सभी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनियों की जांच हो रही है।
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