HAL Faces Delays in Tejas Aircraft Supply Due to GE Engine Shortage ब्यूरो:::तेजस तैयार रखेगा एचएएल, इंजन मिलते ही होंगे फिट, Delhi Hindi News - Hindustan
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ब्यूरो:::तेजस तैयार रखेगा एचएएल, इंजन मिलते ही होंगे फिट

हेडिंग विकल्प: 1.तेजस तैयार रखेगा एचएएल, इंजन मिलते ही वायुसेना को सौंपेगा 2.तेजस हो रहा

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 7 April 2025 05:29 PM
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ब्यूरो:::तेजस तैयार रखेगा एचएएल, इंजन मिलते ही होंगे फिट

नई दिल्ली़ मदन जैड़ा। अमेरिका से जीई एफ 404 इंजनों की आपूर्ति में हुए विलंब के कारण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के लिए वायुसेना को तय समय पर तेजस विमानों की आपूर्ति में मुश्किल आ रही है। हालांकि एचएएल की कोशिश है कि विलंब न्यूनतम हो। इसके लिए उसने बिना इंजन के विमानों का निर्माण जारी रखा है। साथ ही विमान निर्माण की दो नई सुविधाएं भी विकसित की है। दरअसल, तेजस एमके1ए के लिए जीई से 99 इंजनों की खरीद के लिए 2021 में करार हुआ था और मार्च 2023 से इंजनों की आपूर्ति शुरू होनी थी, लेकिन इसमें दो साल का विलंब हो गया। अप्रैल 2025 में पहला इंजन मिला है तथा इस साल कुल 12 इंजन ही एचएएल को मिल पाएंगे। 2026-29 तक हर साल 20 तथा 2030 में शेष 7 इंजन एचएल को मिलेंगे। जबकि एचएल को वायुसेना के 83 तेजस विमानों का आर्डर 2029 तक पूरा करना था। अब यह किसी भी सूरत में 2031 से पहले संभव नहीं होगा। इससे लंबा भी खिंच सकता है।

दो स्तर पर चल रहा काम

एचएएल सूत्रों के अनुसार देरी कम करने के लिए दो स्तर पर काम चल रहा। एक विमानों का निर्माण जारी है। एचएल बेंगलुरु में 9 विमान बनकर तैयार हैं जैसे ही इंजन मिलेंगे उनको फिट कर वायुसेना को सौंप दिया जाएगा। बेंगलुरु और नासिक में भी एचएएल ने विमान निर्माण की दो नई सुविधाएं विकसित की हैं जहां जल्द निर्माण शुरू होगा। जहां पहले एचएएल की क्षमता 12 विमान ही साल में बना पाने की थी, अब वह 24-25 तक सालाना हो गई है।

दो केंद्रों पर निर्माण जल्द

एचएएल अगले कुछ महीनों में शेष दोनों सुविधाओं में भी विमानों का निर्माण शुरू कर देगा। जैसे-जैसे इंजन मिलेंगे उन्हें अंतिम रुप दिया जाएगा। इससे देरी का दायरा सीमित रहेगा। दरअसल, वायुसेना के लिए 83 विमानों की आपूर्ति के बाद 97 और विमान का एक और कांट्रेक्ट एचएएल को मिलना है जिसकी कुछ औपचारिकताएं जल्दी पूरी होंगी।

वायुसेना के सामने संकट

दरअसल, वायुसेना इस समय लड़ाकू विमानों की भारी कमी से जूझ रही है। जीई इंजनों की आपूर्ति में दो साल के विलंब ने यह संकट और गहरा कर दिया है। वायुसेना के पास लड़ाकू विमानों की स्वीकृत स्वाड्रन 42 है लेकिन अभी 31 स्वाड्रन ही उसके पास हैं। एक स्क्वाड्रन में 18 विमान होते हैं इस प्रकार 198 विमानों की कमी वायुसेना के पास है। जो विमान हैं भी उनमें मिग श्रंखला के कई विमान जल्द सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

हर साल चाहिए 40 विमान

वायुसेना प्रमुख पहले ही कह चुके हैं कि हर साल वायुसेना को 35-40 विमान मिलने चाहिए। लेकिन तेजस इस साल के आखिर तक 10-12 विमान भी शायद ही वायुसेना को दे पाए। इस बीच 114 हल्के लड़ाकू विमान की खरीद की तैयारियां भी चल रही हैं लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है।

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