देश को आधुनिक चेतावनी प्रणालियों की जरूरत
भारत को युद्ध और आपात स्थितियों में नागरिकों की सुरक्षा के लिए एक प्रभावशाली चेतावनी प्रणाली की आवश्यकता है। 1965 और 1971 के युद्धों के समय के एयर रेड सायरन अब अप्रचलित हो गए हैं। अन्य देशों ने आधुनिक...

नई दिल्ली, एजेंसी। भारत को युद्ध या आपात स्थितियों में नागरिकों की जान बचाने के लिए आधुनिक और प्रभावशाली चेतावनी प्रणाली की जरूरत है। 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान दिल्ली, मुंबई और अमृतसर जैसे शहरों में लगाए गए एयर रेड सायरन तब तो उपयोगी रहे, लेकिन इसके बाद इन प्रणालियों का आधुनिकिकरण नहीं हो पाया। दूसरी ओर इजरायल, जापान, अमेरिका जैसे देशों ने वॉर सायरन के साथ-साथ डिजिटल चेतावनी प्रणालियां विकसित की हैं, जो मोबाइल, टीवी और रेडियो के माध्यम से तत्काल अलर्ट जारी करती हैं। विदेशों में नियमित नागरिक सुरक्षा ड्रिल्स, अनिवार्य बंकर निर्माण और व्यापक सार्वजनिक जागरूकता अभियानों के जरिए आम जनता को संभावित हमलों के लिए तैयार रखा जाता है।
इन देशों में ये सिस्टम इजरायल रेड अलर्ट सिस्टम : मोबाइल ऐप, टीवी, रेडियो और सायरन के माध्यम से मिसाइल चेतावनी। नागरिकों को 10-60 सेकंड के भीतर सुरक्षित जगहों में शरण लेने के लिए पहुंचना होता है। प्रत्येक घर/इमारत में सुरक्षित कक्ष बनाना अनिवार्य है। जापान जे-अलर्ट सिस्टम : राष्ट्रीय चेतावनी प्रणाली जो सैटेलाइट के जरिए सीधे नगरपालिकाओं, टीवी, रेडियो और मोबाइल तक संदेश पहुंचाती है। मिसाइल, भूकंप, सुनामी या युद्ध जैसी आपात स्थितियों में सक्रिय। हर साल सायरन ड्रिल होती है, ताकि जनता मानसिक रूप से तैयार रहे। दक्षिण कोरिया सिविल डिफेंस सायरन सिस्टम : उत्तर कोरिया के खतरे को देखते हुए हर शहर में सायरन और मोबाइल अलर्ट होते हैं। मासिक एयर रेड ड्रिल की जाती हैं, जहां सड़कों पर ट्रैफिक रुक जाता है और लोग शेल्टर में चले जाते हैं। अमेरिका इमरजेंसी अलर्ट सिस्टम और वायरलेस इमरजेंसी अलर्ट : मोबाइल, टीवी, रेडियो पर चेतावनी। पुराने जमाने के सायरन सिस्टम अब तूफान, बाढ़ और सैन्य खतरे के लिए कुछ राज्यों में अब भी चालू हैं। विशेष रूप से अलास्का और हवाई जैसे क्षेत्रों में मिसाइल अलर्ट सिस्टम सख्ती से लागू हैं। फिनलैंड पूरे देश में सायरन और टेक्स्ट अलर्ट सिस्टम मौजूद हैं। हर साल राष्ट्रीय आपदा चेतावनी ड्रिल आयोजित होती है, जिसमें सायरन बजते हैं और नागरिक प्रतिक्रिया का अभ्यास करते हैं। बंकर कल्चर मजबूत है। अधिकांश इमारतों में भूमिगत शेल्टर होते हैं। स्वीडन हेसा फ्रेडरिक नामक सायरन सिस्टम है, जो हर महीने टेस्ट होता है। सायरन बजने पर नागरिकों को तुरंत रेडियो/टीवी से निर्देश लेने को कहा जाता है। स्विट्जरलैंड हर नागरिक के लिए शेल्टर अनिवार्य हैं, पूरे देश में पर्याप्त बंकर बनाए गए हैं। सायरन सिस्टम बहुत उन्नत है- हर साल फरवरी में राष्ट्रव्यापी परीक्षण किया जाता है। विशेष खतरे के समय मोबाइल और सार्वजनिक रेडियो अलर्ट भेजे जाते हैं।
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