पाकिस्तान को आईएमएफ से मिलने वाली सहायता का भारत करेगा विरोध: मिस्त्री
भारत आईएमएफ से पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय सहायता का विरोध करेगा। विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने कहा कि भारत अपने प्रतिनिधि के माध्यम से आईएमएफ बोर्ड में अपना पक्ष रखेगा। विश्व बैंक ने भी सिंधु...

- विदेश सचिव ने कहा कि आईएमएफ बोर्ड के सामने भारत अपने प्रतिनिधि के माध्यम से रखेगा पक्ष - सिंधु जल समझौते को लेकर विश्व बैंक ने कहा, बहुपक्षीय एजेंसी की भूमिका सिर्फ सुविधा प्रदाता की नई दिल्ली। विशेष संवाददाता भारत अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय सहायता (ऋण) का विरोध करेगा। विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि हम अपने प्रतिनिधि के माध्यम से आज होने जा रही आईएमएफ कार्यकारी बोर्ड के सामने अपना पक्ष रखेंगे और वित्तीय सहायता का विरोध करेगा। बाकी फैसला बोर्ड को लेना है। उधर, सिंधु जल समझौते को लेकर विश्व बैंक ने भी स्पष्ट किया है कि उसकी दोनों देशों के बीच हुए समझौते में भूमिका सुविधा प्रदान करने के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है।
पहलगाम हमले के बाद भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को घेरने में लगा है। ऐसे में भारत आईएमएफ द्वारा पाकिस्तान को दिए जाने वाले ऋण का विरोध कर रहा है। भारत नहीं चाहता कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के माध्यम से कोई भी फंड मिले, जिसका इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने में किया जाए। आईएमफ बोर्ड को तय करना है कि पाकिस्तान को 1.3 बिलियन डॉलर यानी 11113 करोड़ रुपया को ऋण दिया जाना है या नहीं। बोर्ड की बैठक में विस्तारित निधि सुविधा (ईएफएफ) के जरिए पाकिस्तान को मिल रहे सात बिलियन डॉलर यानी करीब 59 हजार करोड़ रुपए की वित्तीय मदद की पहली समीक्षा भी होनी है। आईएमएफ ने जुलाई 2024 में पाकिस्तान को तीन साल के लिए वित्तीय सहायता पैकेज पर सहमति जताई थी। इस पैकेज का इस्तेमाल पाकिस्तान में आर्थिक विकास से जुड़े नए कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाना है लेकिन 37 महीने के ईएफएफ कार्यक्रम (सहायता कार्यक्रम) के जरिए पूरा पैसा मिलने तक हर छह समीक्षाएं की जाएगी। समीक्षा में पाकिस्तान को प्रदर्शन के आधार पर करीब 1.3 बिलियन डॉलर की अगली किस्त जारी होनी है, जिस पर भारत अपना विरोध दर्ज कराएगा। -------------------- हमारी भूमिका केवल सुविधा प्रदान करने की: विश्व बैंक विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने भारत-पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौते को लेकर कहा कि बहुपक्षीय एजेंसी की भूमिका सिर्फ सुविधा प्रदान करने की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मीडिया में बहुत सारी अटकलें लगाई जा रही हैं कि विश्व बैंक किस तरह से इस समस्या को हल करेगा, लेकिन यह सब बेबुनियाद है। विश्व बैंक की भूमिका इसमें केवल एक सुविधा-प्रदाता की है। इससे स्पष्ट है कि विश्व बैंक सिंधु जल समझौते को लेकर कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा। ध्यान रहे कि सिंधु, झेलम और चिनाब के जल बंटवारे के लिए 1960 में दोनों देशों ने संधि पर हस्ताक्षर किए थे। विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई सिंधु जल संधि के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी के बंटवारे एवं इस्तेमाल को नियंत्रित किया गया है,लेकिन पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 22 अप्रैल को दशकों पुरानी सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है।
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