syed salahuddin jailed sons moved delhi high court for phone calls to family members हिजबुल चीफ सैयद सलाहुद्दीन के जेल में बंद बेटों की दिल्ली हाईकोर्ट से गुहार, क्या मांग?, Ncr Hindi News - Hindustan
Hindi Newsएनसीआर Newssyed salahuddin jailed sons moved delhi high court for phone calls to family members

हिजबुल चीफ सैयद सलाहुद्दीन के जेल में बंद बेटों की दिल्ली हाईकोर्ट से गुहार, क्या मांग?

हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के जेल में बंद बेटों ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। क्या लगाई गुहार जानने के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट...

Krishna Bihari Singh पीटीआई, नई दिल्लीFri, 9 May 2025 07:00 PM
share Share
Follow Us on
हिजबुल चीफ सैयद सलाहुद्दीन के जेल में बंद बेटों की दिल्ली हाईकोर्ट से गुहार, क्या मांग?

हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के जेल में बंद बेटों ने शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सैयद सलाहुद्दीन के जेल में बंद बेटों ने याचिका दायर कर परिवार के सदस्यों को फोन करने की सुविधा बहाल करने की मांग की। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने जब देखा कि राज्य और जेल अधिकारियों की ओर से कोई पेश नहीं हुआ तब आगे की तारीख दे दी। अब याचिका पर 22 मई को सुनवाई होगी।

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, सलाहुद्दीन के बेटों सैयद अहमद शकील और सैयद शाहिद यूसुफ ने दिल्ली जेल नियम के नियम 631 को चुनौती दी है। दिल्ली जेल नियम 631 के अनुसार, आतंकी गतिविधियों, राज्य के खिलाफ अपराध और अन्य जघन्य अपराधों के आरोपियों को टेलीफोन और इलेक्ट्रॉनिक संचार सुविधाओं का इस्तेमाल करने से रोका जाता है।

हालांकि, दिल्ली जेल नियम 631 जेल अधीक्षक को उप महानिरीक्षक (रेंज) की पूर्व स्वीकृति के आधार पर व्यक्तिगत मामलों में उचित निर्णय लेने का अधिकार भी देता है। दोनों कैदियों को हवाला लेनदेन से जुड़े टेरर फंडिंग मामले में एनआईए ने गिरफ्तार किया था। मौजूदा वक्त में हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के बेटे सैयद अहमद शकील और सैयद शाहिद यूसुफ दिल्ली की विभिन्न जेलों में बंद हैं।

सैयद सलाहुद्दीन के बेटे सैयद अहमद शकील और सैयद शाहिद यूसुफ के वकील ने कहा कि आतंकवाद के मामलों में मुकदमे का सामना कर रहे कई अन्य आरोपियों ने भी उच्च न्यायालयों का रुख किया है। हालांकि जनवरी में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि आतंकवाद, मकोका और अन्य जघन्य आरोपों का सामना कर रहे कैदियों को नियमित टेलीफोन और इलेक्ट्रॉनिक संचार से वंचित करना मनमाना नहीं है।

याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी कि कैदियों के बीच कम्यूनिकेशन के मामले में भेदभाव मनमाना और अनुचित है। बता दें कि एनआईए ने 2011 में दर्ज टेरर फंडिंग मामले में शकील को 30 अगस्त 2018 को गिरफ्तार किया था। उसे उसके श्रीनगर स्थित घर से गिरफ्तार किया गया था। एनआईए का मामला पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा जम्मू-कश्मीर में हवाला चैनलों के माध्यम से रकम भेजने से जुड़ा है।