पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घेरेगा भारत, एफएटीएफ को देगा साक्ष्य
भारत एफएटीएफ में पाकिस्तान को ग्रे सूची में शामिल कराने के लिए पुख्ता साक्ष्य देगा। भारत अगले महीने टेरर फंडिंग का मुद्दा उठाएगा और विश्व बैंक की फंडिंग का विरोध करेगा। पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखने...

- भारत एफएटीएफ में पाकिस्तान को ग्रे सूची में शामिल कराने के लिए देगा पुख्ता साक्ष्य - ग्रे सूची में शामिल होने से पाकिस्तान पर लागू होंगी कड़ी शर्तें, रुकेगी वित्तीय सहायता नई दिल्ली। विशेष संवाददाता भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को घेरने की तैयारी में है। भारत अगले महीने वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण निगरानी संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) में पाकिस्तान द्वारा टेरर फंडिंग किए जाने का मुद्दा उठाएगा। इसके साथ ही, विश्व बैंक की आगामी फंडिंग का भी विरोध करेगा। भारत की तरफ से वह सभी साक्ष्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसी के सामने रखे जाएंगे, जिनसे साबित होता है कि पाकिस्तान मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के लिए फंडिंग में लिप्त है।
भारत सबूतों के साथ मांग उठाएगा कि पाकिस्तान को ग्रे सूची में शामिल किया जाए। सरकारी सूत्रों का कहना है कि जून में होने जा रही एफएटीएफ की बैठक से पहले भारत एक विस्तृत डोजियर भेजा जाएगा, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान द्वारा की जा रही वित्तीय सहायता से जुड़े साक्ष्य होंगे। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत लगातार पाकिस्तान का विरोध कर रहा है। भारत ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा पाकिस्तान को दी गई एक बिलियन डॉलर की मदद का भी विरोध किया था लेकिन उसे आईएमएफ ने उचित ठहराते हुए कहा कि इस्लामाबाद ने नवीनतम ऋण किस्त प्राप्त करने के लिए सभी आवश्यक लक्ष्य पूरे कर लिए हैं। हालांकि भारत के विरोध के बीच आईएमएफ ने पाकिस्तान को दी गई मदद के खर्च को लेकर 11 शर्तें रख दी है। अब भारत साक्ष्यों के आधार पर पाकिस्तान को ग्रे सूची में शामिल करना चाहता है। --------- ग्रे सूची में शामिल होने का मतलब अगर कोई देश मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण को रोकने में विफल रहता है या अप्रत्यक्ष रूप से मनी लांड्रिंग और आतंकवाद को वित्तीय रूप से बढ़ावा देता हैं तो ऐसे देश को ग्रे लिस्ट में रखा जाता है। इसके बाद संबंधित देश पर निगरानी बढ़ जाती है। इस सूची में शामिल होने पर अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां तमाम सारी शर्तें लगाती है, जिन्हें पूरा करने के बाद वित्तीय सहायता दी जाती है। ------------ पाकिस्तान का ग्रे सूची से जुड़ा पुराना इतिहास इस सूची में शामिल होने का पाकिस्तान का इतिहास काफी पुराना रहा है। उसे वर्ष 2008 में ग्रे सूची मे डाला गया लेकिन 2009 में हटा दिया गया। उसके बाद 2012 से 2015 तक सूची में शामिल रहा। एफएटीएफ ने जून 2018 में पाकिस्तान को फिर से सूची में शामिल डाला। साथ ही, संगठन ने पाकिस्तान को एक कार्य योजना को पूरा करने का निर्देश दिया। पाकिस्तान से कहा गया कि वह संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा नामित आतंकवादी समूहों, उनके सदस्यों और सहयोगियों के खिलाफ वित्तीय दंड, संपत्ति जब्ती, जांच और कानूनी कार्यवाही करेगी। कुछ शर्तों का पालन होने के बाद अक्टूबर 2022 में पाकिस्तान को सूची से बाहर किया गया, लेकिन इस शर्त के साथ कि पाकिस्तान अपने एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग व आतंकवाद ढांचे के खिलाफ एशिया प्रशांत समूह ( एपीजी) के साथ सहयोग बनाए रखेगा। ------------- पाकिस्तान का रक्षा बजट संघर्ष प्रभावित देशों से ज्यादा सार्वजनिक आंकड़ों के अनुसार पाकिस्तान अपने सामान्य बजट का औसतन लगभग 18 प्रतिशत रक्षा मामलों और सेवाओं पर खर्च करता है। जबकि संघर्ष प्रभावित देश भी औसतन अपने सामान्य बजट व्यय का 10-14 प्रतिशत खर्च करते हैं। वर्ष 1980 से 2023 तक पाकिस्तान के हथियारों के आयात में नाटकीय रूप से औसतन 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। खासकर जिन वर्षों में उसे आईएमएफ से मदद मुहैया कराई गई। पाकिस्तान सरकार जमीन पर आतंकवाद को खत्म करने में नाकाम रही है। पाकिस्तान को हो रही फंडिंग का हथियार और गोला-बारूद खरीदने में खर्च किया जा रहा है। ------------- वर्तमान में ग्रे सूची में शामिल देश फरवरी में संशोधित की गई सूची के हिसाब से ऐसे देशों की फेहरिस्त लंबी है, जो ग्रे सूची में शामिल है। इनमें अल्जीरिया, अंगोला, बुल्गारिया, बुर्किना फासो, कैमरून, कोटे डी आइवर, क्रोएशिया, कांगो, हैती, केन्या, लाओ, पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक, लेबनान, माली, मोनाको, मोजाम्बिक, नामिबिया, नेपाल, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण सूडान, सीरिया, तंजानिया, वेनेजुएला, वियतनाम और यमन शामिल है।
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