Indian Government Emphasizes Women s Respect and Safety in Supreme Court Affidavit लोगों की नैतिक जिम्मेदारी है कि वे महिलाओं के सम्मान में अपमानजनक प्रथाओं का त्याग करें- शिक्षा मंत्रालय, Delhi Hindi News - Hindustan
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लोगों की नैतिक जिम्मेदारी है कि वे महिलाओं के सम्मान में अपमानजनक प्रथाओं का त्याग करें- शिक्षा मंत्रालय

प्रभात कुमार नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 3 May 2025 08:08 PM
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लोगों की नैतिक जिम्मेदारी है कि वे महिलाओं के सम्मान में अपमानजनक प्रथाओं का त्याग करें- शिक्षा मंत्रालय

प्रभात कुमार नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 51ए(ई) में देश के सभी नागरिकों की जिम्मेदारी तय कि गई है कि वे महिलाओं के सम्मान के खिलाफ किसी भी तरह की अपमानजनक प्रथाओं/कृत्यों का त्याग करें। सरकार ने कहा है कि संविधान का यह प्रावधान सम्मान और समानता की संस्कृति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और व्यक्तियों से महिलाओं को अपमानित करने या उनके साथ भेदभाव करने वाले कार्यों या परंपराओं को खत्म करने का आग्रह करता है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने शीर्ष अदालत के समक्ष यह हलफनामा उस जनहित याचिका के जवाब में दाखिल किया है, जिसमें देश में महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा के बारे में जागरूकता पैदा करने और शैक्षणिक संस्थानों में जागरूकता कार्यक्रम चलाने की मांग की गई है।

शीर्ष अदालत के आदेश का पालन करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अवर सचिव राजन भसीन ने यह हलफनामा दाखिल किया है। शीर्ष अदालत में पेश अपने हलफनामा में, मंत्रालय ने कहा है कि प्रतिवादी संख्या-2 यानी (मंत्रालय) अपनी नीतियों और विभिन्न पहलों के निर्माण और कार्यान्वयन के माध्यम से सभी बच्चों, खासकर बालिकाओं की सुरक्षा को सर्वोच्च महत्व देने का निरंतर प्रयास किया है। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) लड़कियों की सुरक्षा और सुरक्षा से संबंधित चिंताओं को पूरी तरह से पहचानती है और उनका समर्थन करती है। मंत्रालय ने कहा कि एनसीईआरटी स्कूल के लिए अपने डिजाइन किए गए पाठ्यक्रम के माध्यम और अनुसंधान, प्रशिक्षण और विकास कार्यक्रमों तक सीमित नहीं है, बल्कि कई गतिविधियों के माध्यम से इसे स्पष्ट रूप से संबोधित करती है। केंद्र सरकार ने शीर्ष अदातल को बताया है कि इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) ने समावेशी और न्यायसंगत स्कूली शिक्षा प्रणाली को प्राप्त करने के लिए आवश्यक शर्त के रूप में सभी बच्चों, विशेष रूप से बालिकाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर स्पष्ट रूप से जोर दिया है। सरकार ने कहा है कि जहां तक उच्च शिक्षा के संबंध में सवाल है, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने उच्च शिक्षण संस्थानों में महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान को बनाए रखने और उनके सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई पहल की हैं। मंत्रालय ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 छात्रों को अच्छे, सफल, अभिनव, अनुकूलनीय और उत्पादक इंसान के रूप में विकसित करने के लिए कुछ कौशल, विषय और क्षमताएं सीखने के महत्व को रेखांकित करती है। शिक्षा मंत्रालय ने कहा है कि इस संदर्भ में, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के पाठ्यक्रम में नैतिक और नैतिक तर्क, मानवीय और संवैधानिक मूल्यों का ज्ञान और अभ्यास, लैंगिक संवेदनशीलता, मौलिक कर्तव्य, नागरिकता, कौशल और मूल्य, स्वच्छता और सफाई, स्थानीय समुदायों, राज्यों, देश और दुनिया के सामने आने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों को शामिल करना और एकीकृत करना अनिवार्य माना गया है। साथ ही, इसके अतिरिक्त, नई शिक्षा नीति इस बात पर जोर देता है कि छात्रों को कम उम्र में ही ‘सही काम करने का महत्व सिखाया जाएगा, और उन्हें सही निर्णय लेने के लिए तार्किक रूपरेखा दी जाए। मंत्रालय ने स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफएसई. 2023) की चर्चा करते हुए, शीर्ष अदालत को बताया है कि देश में विविध संस्थानों की पूरी श्रृंखला में 3 से 18 वर्ष की आयु वर्ग बच्चों को शिक्षा को संबोधित करता है और इसके तहत एनईपी, 2020 से अपने मूल्यों को प्राप्त करते हुए, यह व्यापक और नैतिक विकास को बढ़ावा देता है, जिससे छात्र अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं में नैतिक प्रथाओं और तर्क को लागू करने में सक्षम होते हैं। मंत्रालय ने कहा है कि जहां तक छात्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने का सवाल है कि इस बारे में एनईपी स्पष्ट रूप से प्रावधान किया गया है कि ‘छात्र न केवल शारीरिक चोट के प्रति संवेदनशील होते हैं, बल्कि वे विभिन्न प्रकार के भेदभाव, उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के भी शिकार होते हैं, जो भावनात्मक और शारीरिक नुकसान पहुंचाते हैं। मंत्रालय ने कहा है कि ऐसे में अगर सही समय पर सहायता प्रदान नहीं की जाती है, तो यह उन्हें लंबे समय तक के लिए आहत भी कर सकता है। स्कूल परिसर में सभी की सुरक्षा और भलाई को हमेशा सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि नई शिक्षा नीति में छात्र/छात्राओं की सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं की पहचान की गई है, अर्थात् शारीरिक सुरक्षा, भावनात्मक सुरक्षा, बौद्धिक सुरक्षा, यौन उत्पीड़न की रोकथाम, साइबर सुरक्षा तथा सामान्य सुरक्षा उपाय भी निर्धारित किए गए हैं जिन्हें छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपनाया जाना आवश्यक है। सरकार ने कहा है कि इसके अलावा भी स्कूलों और कॉलेजों में छात्र/छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए समुचित कदम उठाए गए हैं।

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