केंद्र दवा कंपनियों के मुफ्त उपहारों पर सख्त
केंद्र सरकार ने फार्मा कंपनियों से डॉक्टरों को दिए गए उपहारों पर सख्त रुख अपनाया है। कंपनियों को मार्केटिंग खर्च का ब्यौरा 31 जुलाई तक प्रस्तुत करना है। अनैतिक मार्केटिंग प्रथाओं को रोकने के लिए...

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने फार्मा कंपनियों की तरफ से डॉक्टरों को दी जो वाली मुफ्त सुविधाएं यानी उपहार दिए जाने को लेकर सख्त रुख अपनाते हुए उनसे पिछले एक साल में मार्केटिंग पर किए गए खर्च का ब्यौरा मांगा है। सरकार के इस कदम से फार्मा उद्योग उलझन में पड़ गया है। फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा मांगे गए विवरण 31 जुलाई तक प्रस्तुत किए जाने हैं, ऐसा न करने पर दवा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। केंद्र सरकार दवा कंपनियों की मार्केटिंग गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रही है, क्योंकि ऐसी खबरें आ रही हैं कि ये कंपनियां डॉक्टरों को कई तरह की मुफ्त सुविधाएं देना जारी रखे हुए हैं, जबकि अनैतिक मार्केटिंग प्रथाओं पर लगाम लगाने के लिए फार्मास्युटिकल मार्केटिंग प्रेक्टिस के लिए यूनिफॉर्म कोड लागू होने जा रहा है।
सरकार द्वारा सभी फार्मास्युटिकल एसोसिएशनों को 29 मई को एक पत्र जारी कर तय समय-सीमा के भीतर अनुपालन पूरा करने के लिए कहा गया है। भारतीय औषधि निर्माता संघ के महासचिव दारा पटेल ने कहा, फार्मास्युटिकल विभाग ने यूनिफॉर्म कोड फॉर फार्मास्युटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिसेज (यूसीपीएमपी) 2024 के तहत मार्केटिंग खर्च की स्व-घोषणा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। वित्त वर्ष 25 से संबंधित प्रस्तुतियां देने की समयसीमा अब 31 जुलाई है। कंपनियां अनैतिक हथकंड़े नहीं अपना सकेंगी स्व-घोषणा एक कानूनी वचन है जिसे कंपनी मालिकों द्वारा सरकार को आश्वस्त करने के लिए दायर किया जाता है कि वे अपने उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए किसी भी अनैतिक विपणन प्रथाओं में लिप्त नहीं हैं। पटेल ने कहा कि यूसीपीएमपी दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन से कंपनियों मार्केटिंग प्रेक्टिस में सतर्कता और पारदर्शिता की भावना पैदा हुई है, जो उद्योग के लिए अच्छा है। भारतीय फार्मास्युटिकल अलायंस के महासचिव सुदर्शन जैन ने कहा, यह पहली बार है कि फार्मा कंपनियों द्वारा इतने बड़े पैमाने पर अनुपालन किया जा रहा है।
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