85 साल बाद दिखा दुर्लभ जानवर ग्रे वुल्फ !
-आखिरी बार 1940 में देखा गया था ग्रे वुल्फ - वन्य जीव विशेषज्ञ यमुना

नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता राजधानी में तेंदुआ व अन्य जानवर तो देखे जा रहे थे लेकिन वन्य जीव प्रेमियों के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है। बताया जा रहा है कि राजधानी के पल्ला क्षेत्र में गुरुवार को एक वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर ने इसकी फोटो खींची है। इसका नाम भारतीय ग्रे वुल्फ (कैनिस लूपस पैलीपेस) है। राजधानी के वन्य जीव प्रेमी और विशेषज्ञ इन इलाकों का दौरा कर अन्य इस तरह के जीवों के अध्ययन को लेकर योजना बना रहे हैं। यह चित्र देखने के बाद वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के बिलाल हबीब का कहना है कि चित्र में दिख रहा जीव ग्रे वुल्फ ही है।
इसकी आयु कोई एक साल के आसपास लग रही है और यह अपनी जगह से दूसरी जगह विस्थापित जैसा लग रहा है। ज्ञात हो कि बिलाल हबीब ने इंडियन ग्रे वुल्फ पर शोध किया है। इस भारतीय ग्रे वुल्फ की फोटो खींचने वाले वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर हेमंत गर्ग का कहना है कि मैं पिछले कुछ सालों पल्ला गांव के पास यमुना के आसपास के जीवों की तस्वीरें खींच रहा हूं। 15 मई की सुबह 8 बजे मैं पल्ला में खेतों के बीच इसे देखा। मुझे यह कुत्ते जैसा नहीं लगा। क्योंकि इसके चलने का तरीका बिल्कुल अलग था। इसकी छाती और कंधा बहुत मजबूत लग रहा था और यह जिस तरह जमीन को खोद रहा था वह कुत्ते से अलग था। मैंने इसकी दो तस्वीरें खींची उसके बाद यह छाड़ियों के पीछे चला गया। फिर मैंने इस तस्वीर को कुछ लोगों को भेजा और उन लोगों ने कहा कि शायद यह भारतीय ग्रे वुल्फ है। इस बारे में पर्यावरणविद डा.फैयाज ए खुदसर का कहना है कि प्रथम दृष्टया यह वुल्फ लग रहा है लेकिन मुझे यह भी शक है कि यह हाइब्रिड है। आमतौर से गांवों के आस पास कुत्ते और भेड़िये हाइब्रिडाइज हो जाते हैं। पिछले साल इस तरह का जीव चंबल के पास भी देखा गया था। उन्होंने बताया कि शहरी क्षेत्रों में कुत्तों की बढ़ती आबादी और जंगलों के सिमटते इलाके के कारण अब भेड़ियों और आवारा कुत्तों के बीच संकरण (हाइब्रिडाइजेशन) के मामले बढ़ रहे हैं। बहुत संभावना है कि यह उसी से उत्पन्न हुआ हो। राजधानी के पर्यावास में बदलाव देखे जा रहे हैं। आए दिन यमुना किनारे जीव जंतु देखे जाते हैं। यहां का प्राकृतिक वातावरण उनके अनुकूल हो रहा है। जंगली जीवों के लिए यमुना फ्लड प्लेन कोरिडोर का काम करती है डा.खुदसर बताते हैं कि वर्षों से यमुना फ्लड प्लेन कोरिडोर में जानवर देखे गए हैं। तेंदुआ के अलावा कई ऐसे जानवर यहां देखे गए हैं। और यह दिल्ली के पर्यावरण के अच्छी बात है। पर्यावरणविदों का कहना है कि दिल्ली में इस प्रजाति की मौजूदगी का कोई हालिया दस्तावेजी प्रमाण नहीं है। लेकिन 1940 के दशक के बाद राजधानी में भेड़िये की कोई पुष्टि नहीं हुई है। 2016 से यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क में हॉक डियर (पाड़ा) देखे जा रहे हैं। यह कभी मुगलिया सल्तनत में दिखाई देते थे।
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