सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश- महिला सुरक्षा के लिए जिला और तालुका स्तर पर तैनात हों संरक्षक
सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में कहा गया कि कानून बने हुए 15 साल बीत जाने के बाद भी महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा जैसे अपराध आज भी बढ़ रहे हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने तालुका स्तर पर संरक्षक नियुक्त करने का आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महिला सुरक्षा की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। उच्चतम न्यायालय ने महिलाओं की सुरक्षा के मद्देनजर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे जिला और तालुका स्तर पर महिला और बाल विकास विभाग के अधिकारियों की पहचान कर संरक्षण अधिकारी की नियुक्त करें। बता दें कि कोर्ट में एनजीओ 'वी द वूमेन ऑफ इंडिया' की एक याचिका पर सुनवाई चल रही थी।
जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने सुनवाई के दौरान राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और महिला और बाल कल्याण विभागों के सचिवों को निर्देश दिया कि वे समन्वय स्थापित करें और यह सुनिश्चित करें कि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत अधिकारियों को संरक्षण अधिकारी के रूप में नामित किया जाए। पीठ ने आदेश दिया कि छह सप्ताह के भीतर संरक्षण अधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी की जानी चाहिए।
बता दें कि संरक्षण अधिकारी को घरेलू हिंसा की पीड़ितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का कार्य सौंपा जाता है। एनजीओ की याचिका में देश भर में घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत बुनियादी ढांचे की बड़ी खाई को भरने की मांग की गई थी। एनजीओ ने तर्क दिया कि घरेलू हिंसा अधिनियम 15 साल से अधिक समय से लागू होने के बावजूद महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा सबसे आम अपराध बना हुआ है।
याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “अधिकारियों को अधिनियम के प्रावधानों के बारे में जागरूकता करने, अधिनियम के तहत सेवाओं के प्रभावी समन्वय को सुनिश्चित करने और इसके प्रावधानों को लागू करने के लिए मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार करने के लिए व्यापक कदम उठाने चाहिए।''