निशुल्क कानूनी सहायता देने वाले वकीलों के राष्ट्रीय पंजीयन की सिफारिश
नई दिल्ली, संसदीय समिति ने निशुल्क कानूनी सहायता देने वाले वकीलों के राष्ट्रीय पंजीकरण की सिफारिश की है। समिति ने विधि स्वयंसेवकों को प्रोत्साहन देने की जरूरत पर भी जोर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है...

नई दिल्ली, एजेंसी संसदीय समिति ने निशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध कराने वाले वकीलों के राष्ट्रीय पंजीयन की सिफारिश की है। साथ ही विधि स्वयंसेवकों को प्रोत्साहन दिए जाने की जरूरत पर भी जोर दिया है।
कानून एव कार्मिक अधिकारों की स्थायी समिति की हाल ही में संसद में पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि उचित प्रोत्साहन न मिलने के कारण निशुल्क कानूनी सेवा प्रदान करने वाले वकीलों की व्यापक भागीदारी नहीं हो पा रही है। समिति ने इस बात पर अफसोस जताया कि हाशिये पर रहने वाले समुदायों के लिए आवश्यक कानूनी सेवाओं के उपयोग की क्षमता के बावजूद विधि स्वयंसेवकों (पीएलवी) का इस्तेमाल कम हो रहा है।
समिति ने विधि सेवा प्राधिकरण अधिनियम के तहत कानूनी सहायता के कामकाज की समीक्षा पर अपनी पिछली रिपोर्ट पर आगे उठाए गए कदमों से संबिधित रिपोर्ट में कहा कि 'प्रो-बोनो' (विशेष रूप से गरीबों के लिए दी जाने वाली मुफ्त कानूनी सेवा) को प्रोत्साहित करने और इससे संबंधित वकीलों के लिए प्रोत्साहन राशि बढ़ाने के प्रयास जारी हैं।
समिति ने निशुल्क कानूनी सेवा, खासतौर पर जेल में बंद लोगों के लिए, को मजबूत किए जाने की जरूरत पर जोर दिया। जिसके लिए उसने प्रो बोनो वकीलों (निशुल्क कानूनी सेवा प्रदान करने वाले) के लिए राष्ट्रीय पंजीयन किए जाने की सिफारिश की है जिससे उनके काम को पहचान मिल सके और उनके करियर में तरक्की हो सके।
समिति ने प्रोत्साहन राशि की दरों की बाजार मानकों के अनुरूप वार्षिक समीक्षा किए जाने का सुझाव भी दिया है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।