अपडेट:: अपडेट-- चिंताजनक: दुनियाभर में दूसरी बार मार्च अब तक का सबसे गर्म महीना
(नोट:: हेडिंग और इंट्रो में बदलाव है, इसी का प्रयोग करें) फ्लैग: यूरोप के

(नोट:: हेडिंग और इंट्रो में बदलाव है, इसी का प्रयोग करें) फ्लैग: यूरोप के कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस ने जारी किया मासिक बुलेटिन
- 21 महीनों में से बीस महीनों में तापमान की चाल तेज
- 47 साल में पहली बार इस तरह का नतीजा दिखा है
लंदन, एजेंसी। दुनियाभर में वर्ष 2024 के बाद इस साल का मार्च अबतक का सबसे अधिक गर्म महीना रहा है। सोमवार को जारी यूरोपीयन यूनियन के कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सीसीसीएस) के मासिक बुलेटिन में ये बात सामने आई है। बुलेटिन के अनुसार वर्ष 2014 के बाद यूरोप में इस साल का मार्च 0.26 डिग्री सेल्सियस अधिक तापमान के साथ सर्वाधिक गर्म महीना रहा है।
सीसीसीएस के अनुसार मार्च महीने में वैश्विक तापमान पूर्व औद्योगिक स्तर से 1.6 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि तापमान की चाल 1.5 डिग्री सेल्सियस के मानक को तोड़ने की कोशिश कर रहा। बीते 21 महीनों में से 20 महीनों में तापमान की चाल में सबसे अधिक तेजी देखी गई है। वैज्ञानिकों ने चेताया है कि तापमान में तेजी का स्तर इसी तरह जारी रहा तो मौसम का मिजाज और तीखा हो सकता है।
मौसम का अलग मिजाज
सीसीसीएस का संचालन करने वाले यूरोपीयन सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फॉरकास्ट की वैज्ञानिक सामंथा बर्गीज का कहना है कि यूरोप में इस बार मार्च के महीने में कई जगह सूखे के हालात रहे हैं। वहीं कई जगह मौसम सामान्य रहा। ऐसा नतीजा 47 साल में पहली बार दिखा है।
भारत में भी यही हाल
भारतीय मौसम विभाग ने भी हाल ही में कहा था कि वर्ष 1901 के बाद देश में मार्च का महीना अबतक का सबसे गर्म रहा है। मौसम विभाग ने अप्रैल से जून के लिए मौसम के पूर्वानुमान जारी करते हुए कहा था कि देश के 17 राज्यों में इस बार लू का प्रकोप सामान्य से अधिक होगा।
ग्रीनहाउस गैसें बड़ी वजह
सीसीसीएस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन और जीवाश्म ईंधन जलवायु परिवर्तन का बड़ा कारण है। वैज्ञानिकों ने स्पष्ट कहा है कि ग्रीन हाउस गैसों के उत्जर्सन में कटौती नहीं की गई तो तापमान के बढ़ते स्तर को रोक पाना मुश्किल होगा।
कहीं सूखा कहीं बाढ़
दुनियाभर में कहीं सूखा और कहीं बाढ़ के हालात हैं। जलवायु संकट सूखे और भारी वर्षा की बड़ी वजह बन रहा। गर्म हवा मिट्टी को तेजी के साथ सूखा रही है लेकिन उसमें नमी भी बरकरार है। ऐसे स्थिति में आंधी तूफान चलने पर उसका प्रभाव ज्यादा दिख रहा।
ताकतवर हो रहा तूफान
संयुक्त राष्ट्र में मौसम वैज्ञानिक रॉबर्ट वाटर्ड का कहना है कि महासागरों के तापमान में बढ़ोतरी, बड़े पैमाने पर पानी के भाप बनने और वातावरण में नमी के कारण तूफान की ताकत बढ़ रही है। मौसम के इस अंदाज का असर दुनियाभर में बारिश पर भी पड़ेगा जो नई चुनौती होगी।
तापमान की हुई तुलना
सीसीसीएस वर्ष 1940 से तापमान को रिकॉर्ड कर रहा। वैज्ञानिक दुनिया के तापमान की तुलना वैश्विक स्तर पर 1850 में रिकॉर्ड किए गए तापमान से करते हैं। सीसीसीएस ने कहा है कि दुनियाभर में वर्ष 1991-2020 के बीच औसत तापमान 2.41 सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया है।
ब्रिटेन गर्मी से बेहाल
पिछले सप्ताह ब्रिटेन के मौसम विभाग ने कहा था कि ब्रिटेन में वर्ष 1929 के बाद रिकॉर्ड तेज धूप दर्ज की गई। इस साल मार्च में कुल 185.8 घंटे तेज धूप ने लोगों को परेशान किया जो वर्ष 1929 में दर्ज रिकॉर्ड से 14 घंटे ज्यादा थी। आने वाले समय में धूप और कड़ी हो सकती है।
सरकारों को चार सुझाव
1.जीवाश्म ईंधन से जुड़े नए प्रोजेक्ट मंजूर न हो
2.प्रदूषण फैलाने वाले कंपनियों पर जुर्माना लगे
3.वनों में आग रोकने के लिए नीति बनाई जाए
4.कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए नियम बने
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