शिकायत लेकर थाने जाने वाला हर व्यक्ति सम्मानजनक व्यवहार पाने का हकदार-सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी अपराध की शिकायत दर्ज कराने थाने जाने वाला हर व्यक्ति सम्मान और उचित व्यवहार पाने का हकदार है। यह मौलिक अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आता है। कोर्ट ने एक पुलिस...

नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि ‘किसी अपराध की शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन जाने वाला हर व्यक्ति सम्मान और उचित व्यवहार पाने का हकदार है। इसके साथ ही, शीर्ष अदालत ने कहा है कि यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्ति का मौलिक अधिकार है।
जस्टिस अभय एस. ओका और उज्जल भुयान की पीठ ने तमिलनाडु राज्य मानवाधिकार आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है। पीठ ने राज्य मानवाधिकार आयोग के उस फैसले को बहाल रखा है, जिसमें अपने साथ हुए धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराने थाने (पुलिस स्टेशन) गए व्यक्ति के साथ एक पुलिस इंस्पेक्टर द्वारा दुर्व्यवहार करने और उनकी शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज (एफआईआर) दर्ज नहीं करने के मामले में राज्य सरकार पर 2 लाख रुपये जुर्माना किया था। साथ ही, जुर्माने की रकम उक्त पुलिस इंस्पेक्टर से वसूल करने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता पुलिस इंस्पेक्टर पीवाई धसन की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ‘अपराध की शिकायत दर्ज कराने के लिए थाने जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सम्मानपूर्वक व्यवहार पाने का अधिकार है। पीठ कहा कि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उसका मौलिक अधिकार है। शिकायतकर्ता व्यक्ति अपने साथ हुए 13 लाख रुपये की कथित धोखाधड़ी और गबन के बारे में शिकायत दर्ज कराने के लिए थाने गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश के हरे नागरिक जो अपराध की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए थाने जाता है, उसके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाना चाहिए क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत यह उसका मौलिक अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट में पेश मामले के अनुसार शिकायतकर्ता अपने माता-पिता के साथ श्रीविल्लिपुथुर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने गया था। उन्होंने अपनी शिकायत ड्यूटी पर तैनात सब इंस्पेक्ट को दिया, जिसने कहा कि चूंकि लेन-देन तीन अलग-अलग स्थानों पर किया गया था, इसलिए वह निरीक्षक की मंजूरी के बिना शिकायत स्वीकार नहीं कर सकता। इसके बाद उक्त सब-इंसपेक्ट ने शिकायतकर्ता को पुलिस इंस्पेक्टर का फोन नंबर दिया और बाद में शिकायतकर्ता की मां ने उससे फोन पर बात की। बाद में शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि इंस्पेक्टर ने उनकी शिकायत पर मुकदमा दर्ज नहीं किया और उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया। इस मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार पर 2 लाख रुपये जुर्माना लगाया था और जुर्माने की रकम इंसपेक्टर से वसूल करने को कहा था। आयोग के इस फैसले के खिलाफ पुलिस अधिकारी पीवाई धसन ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की थी।
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