Supreme Court Implements One Rank One Pension for High Court Judges ओआरओपी की तर्ज पर हाईकोर्ट के सभी जजों को एक समान पूर्ण पेंशन देने का आदेश, Delhi Hindi News - Hindustan
Hindi NewsNcr NewsDelhi NewsSupreme Court Implements One Rank One Pension for High Court Judges

ओआरओपी की तर्ज पर हाईकोर्ट के सभी जजों को एक समान पूर्ण पेंशन देने का आदेश

प्रभात कुमार नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने ऐतिहासिक फैसले में उच्च न्यायालयों

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 19 May 2025 08:27 PM
share Share
Follow Us on
ओआरओपी की तर्ज पर हाईकोर्ट के सभी जजों को एक समान पूर्ण पेंशन देने का आदेश

प्रभात कुमार नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने ऐतिहासिक फैसले में उच्च न्यायालयों के जजों के लिए वन रैंक, वन पेंशन यानी ओआरओपी के सिद्धांतों को लागू करने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि उच्च न्यायालयों से सेवानिवृत होने वाले सभी जजों को एक समान पेंशन मिलनी चाहिए, भले ही उनकी नियुक्ति स्रोत (वकील कोटे से हुई हो या जिला अदालत से पदोन्नति के जरिए) और तारीख कुछ भी हो। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह और के. विनोद चंद्रन की पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि ‘संवैधानिक पद के संबंध में वन रैंक, वन पेंशन आदर्श होना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने 63 पन्नों के अपने फैसले में कहा है कि ‘पेंशन लाभों में इस आधार पर वर्गीकरण करना कि न्यायाधीश बार या जिला न्यायपालिका से उच्च न्यायालय में आए हैं या वे स्थायी या अतिरिक्त न्यायाधीश हैं, न सिर्फ भेदभावपूर्ण है बल्कि संविधान के अनुच्छेद 14 का भी उल्लंघन है। इसके साथ ही, शीर्ष अदालत ने सेवानिवृत जजों को पूर्ण पेंशन देने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पेंशन विसंगतियों से जुड़ा मुद्दे पर यह ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा है कि ‘ओआरओपी के सिद्धांत के अनुसार उच्च न्यायालयों के सभी सेवानिवृत जजों को एक समान और पूर्ण पेंशन का भुगतान किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा है कि एक बार जब कोई जज उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद प्राप्त कर लेता है और संवैधानिक पद की श्रेणी में प्रवेश करता है, अर्थात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश का बन जाता है तो नियुक्ति की तिथि के आधार पर कोई भी वर्गीकरण स्वीकार्य नहीं होगा। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा है कि ‘जब कोई उच्च न्यायालय का जज पद पर होता है, तो उनके नियुक्ति के स्रोत के बावजूद, वे समान वेतन और सुविधाओं के हकदार होते हैं। ऐसे में जब उच्च न्यायालय के सभी जज, पद पर रहते हुए, समान वेतन, भत्ता और लाभ पाने के हकदार होते हैं, तो उनके प्रवेश के स्रोत के आधार पर पेंशन के लिए उनके बीच कोई भी भेदभाव, हमारे विचार में, भेदभावपूर्ण और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। फैसले में कहा गया है कि न्यायिक सेवा से उच्च न्यायालय के जज बनने वाले न्यायिक अधिकारी की सेवाओं और बार से उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने वाले बार के सदस्य के अनुभव को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। न्यायाधीश की परिभाषा है व्यापक सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संबंधित कानून के अध्ययन से पता चलता है कि ‘न्यायाधीश की परिभाषा इतनी व्यापक है कि इसमें मुख्य न्यायाधीश, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, अतिरिक्त न्यायाधीश और उच्च न्यायालय के कार्यवाहक न्यायाधीश शामिल हो सकते हैं। पीठ ने उच्च न्यायालय जज अधिनियम (उच्च न्यायालय न्यायाधीश (वेतन और सेवा शर्तें) अधिनियम) की धारा 14 में परिभाषित न्यायाधीश शब्द में स्थायी न्यायाधीश और अतिरिक्त न्यायाधीश के बीच कोई कृत्रिम भेदभाव करना न्यायाधीश की परिभाषा का उल्लंघन होगा। सुप्रीम कोर्ट ने जजों के पेंशन निर्धारण से जुड़े मुद्दे पर यह फैसला दिया है। पूर्व जजों को अब कितना मिलेगा पेंशन सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत होने वाले जज 15 लाख रुपये सालाना पेंशन देने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही, उच्च न्यायालयों से सेवानिवृत होने वाले जजों को 13 लाख 50 हजार रुपये की मूल वार्षिक राशि के आधार पर पेंशन देने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि उच्च न्यायालय से अतिरिक्त जज के पद से सेवानिवृत होने वाले जजों को भी स्थाई जज के समान पेंशन देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि उच्च न्यायालय से सेवानिवृत वाले ऐसे जज जो पहले जिला न्यायाधीश के रूप में कार्य कर चुके हैं, केंद्र सरकार उन्हें जिला न्यायपालिका के न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत होने की तिथि से लेकर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्यभार ग्रहण करने की तिथि के बीच सेवा में किसी भी अंतराल के बावजूद पूर्ण पेंशन का भुगतान करेगा। यह लाभ उनके लिए भी जो पहले जिला न्यायाधीश के रूप में कार्य कर चुके हैं और अंशदायी पेंशन योजना या नई पेंशन योजना के लागू होने के बाद जिला न्यायपालिका में शामिल हुए हैं, उन्हें भी पूर्ण लाभ मिलेगा। पीठ ने कहा है कि जहां तक एनपीएस में उनके योगदान का सवाल है, हम राज्यों को निर्देश देते हैं कि वे उच्च न्यायालय के ऐसे सेवानिवृत जजों द्वारा योगदान की गई पूरी राशि, उस पर अर्जित लाभांश के साथ, यदि कोई हो, वापस करें। पीठ ने कहा है कि जहां तक राज्य द्वारा किए गए योगदान और उस पर अर्जित लाभांश का संबंध है, तो इसे राज्य के खाते में जमा किया जाना चाहिए। पारिवारिक पेंशन और ग्रेच्युटी से वंचित करना मनमाना सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की विधवाओं और परिवार के सदस्यों को पारिवारिक पेंशन और ग्रेच्युटी से वंचित किए जाने के मुद्दे को स्पष्ट रूप से मनमाना बताया। पीठ ने कहा सेवा के दौरान मरने वाले न्यायाधीश की विधवा और परिवार के सदस्यों को ग्रेच्युटी से वंचित करना पूरी तरह से असहयोगात्मक है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृति पर भविष्य निधि और अन्य लाभों के भुगतान से संबंधित मुद्दे से निपटते हुए, इसने सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को देय सभी भत्ते को बरकरार रखा है। 15 हजार तक ही मिलता है पेंशन सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान इस बात पर चिंता जाहिर की थी कि उच्च न्यायालय से सेवानिवृत होने के बाद कुछ जजों को महज 12 से 15 हजार रुपये तक ही पेंशन मिल पाता है।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।