ताज संरक्षित जोन में पेड़ों की गणना के लिए एफआरआई को अपने बजट की समीक्षा करने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) को ताज ट्रेपेजियम क्षेत्र (टीटीजेड) में पेड़ों की गणना के लिए बजट की समीक्षा करने का निर्देश दिया है। जस्टिस ओका ने कहा कि दिल्ली में इस्तेमाल होने वाले...

नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) देहरादून को ताज संरक्षित जोन यानी ताज ट्रेपेजियम क्षेत्र (टीटीजेड) में पेड़ों की गणना करने के लिए प्रस्तावित अपने बजट की समीक्षा करने को कहा है। शीर्ष अदालत ने 5 मार्च को ताज संरक्षित जोन (टीटीजेड) में पेड़ों की गणना कराने का आदेश दिया था और इसके लिए वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून प्राधिकार नियुक्त किया था।
जस्टिस अभय एस. ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने मंगलवार को मामले में जहां एफआरआई को इस काम के लिए प्रस्तावित बजट की समीक्षा करने का निर्देश दिया है, वहीं, इस काम के लिए निर्धारित समय-सीमा को बहुत लंबा बताया और कहा कि दिल्ली में इसके काम में बहुत अधिक ओवरलैप है। जस्टिस ओका ने कहा कि ‘हमारा मानना है कि एफआरआई को प्रस्तावित बजट पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है क्योंकि दिल्ली में पेड़ों की गणना के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले बुनियादी ढांचे का इस्तेमाल टीटीजेड क्षेत्र में वृक्ष सर्वेक्षण के लिए किया जा सकता है। इसलिए, हम एफआरआई को चार सप्ताह के भीतर एक नया बजट और समय-सीमा पेश करने का निर्देश देते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च को एफआरआई को दिल्ली में वृक्ष गणना करने का निर्देश दिया था और शहर के हरित आवरण को बढ़ाने के लिए भी अपनी मंजूरी दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एफआरआई तीन-साढ़े तीन साल की अवधि में तीन चरणों में एक साथ दोनों दिल्ली और ताज संरक्षित जोन में पेड़ों की गणना करने के लिए समय तय किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने ताज संरक्षित क्षेत्र में मौजूदा पेड़ों के आंकड़ों का पता लगाए बगैर कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दंडात्मक प्रावधानों को लागू नहीं किया जा सकता। पीठ ने कहा था कि ‘उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 का मूल मकसद पेड़ों की रक्षा करना है, न कि उन्हें गिराना या काटना। इतना ही नही, पीठ ने कहा था कि पेड़ों की गणना के बगैर इसके संरक्षण के लिए बनाए गए कानून के प्रावधानों का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो सकता। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने मौजूदा पेड़ों की गणना करने और ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) में पेड़ों को अवैध रूप से नहीं काटे जाने को सुनिश्चित करने के लिए निगरानी प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता बताई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वृक्षों की गणना के माध्यम से समुचित आंकड़े उपलब्ध कराया जा सकता है, इसलिए टीटीजेड प्राधिकरण को टीटीजेड के क्षेत्र में सभी मौजूदा वृक्षों की गणना करने के लिए भारतीय वन अनुसंधान संस्थान को प्राधिकर नियुक्त करने का आदेश देते हैं। उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थित ताजमहल को प्रदूषण से बचाने के लिए ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीज़ेड) प्राधिकरण की स्थापना की गई थी। पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत स्थापित टीटीजेड प्राधिकरण लगभग 10,400 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र में फैला है। इसके अधीन उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा जिलों के अलावा राजस्थान के भरतपुर जिले में फैला हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट ने टीटीजेड में पेड़ों की अवैध कटाई के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है। याचिका में पर्यावरण संबंधी चिंताओं का जिक्र करते हुए कहा गया है कि यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल ताजमहल और उसके आसपास के क्षेत्रों सहित ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण के लिए समुचित आदेश जारी करने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 14 अक्टूबर को एक अन्य याचिका पर सुनवाई करते हुए, कहा था कि यदि अधिकारियों द्वारा टीटीजेड में अनिवार्य वनरोपण पर उसके पिछले आदेशों का पालन नहीं किया जाता है तो वह (अदालत) राजमार्गों को ध्वस्त करने और उनकी मूल स्थिति को बहाल करने का आदेश पारित करेंगे।
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