Supreme Court Rejects AGR Waiver Petition from Vodafone Airtel and Tata Tele Services तीन कंपनियों की बकाया माफी याचिका खारिज की, Delhi Hindi News - Hindustan
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तीन कंपनियों की बकाया माफी याचिका खारिज की

उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों वोडाफोन, एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज की एजीआर बकाया माफ करने की याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा कि याचिकाएं...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 19 May 2025 04:51 PM
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तीन कंपनियों की बकाया माफी याचिका खारिज की

डीसी.. उच्चतम न्यायालय ने कहा, हम इन याचिकाओं से वाकई हैरान नई दिल्ली, एजेंसी। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को दूरसंचार कंपनियों वोडाफोन, एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज की समायोजित सकल राजस्व यानी एजीआर बकाया माफ करने की याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा कि याचिकाओं को गलत तरीके से तैयार किया गया है। पीठ ने वोडाफोन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से कहा, हम इन याचिकाओं से वाकई हैरान हैं जो हमारे सामने आई हैं। एक बहुराष्ट्रीय कंपनी से इसकी उम्मीद नहीं की जाती। हम इसे खारिज करेंगे। न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों की मदद करने की सरकार की इच्छा के रास्ते में आने से इनकार किया।

रोहतगी ने सोमवार को सुनवाई की शुरुआत में जुलाई तक स्थगन की मांग की। जब अदालत ने इसका कारण पूछा, तो उन्होंने कहा कि वह इस बात की संभावनाएं तलाश रहे हैं कि क्या अदालत को परेशान किए बिना कुछ समाधान खोजा जा सकता है। पीठ ने कहा, ''अगर सरकार आपकी मदद करना चाहती है, तो उन्हें करने दीजिए। हम बीच में नहीं आ रहे हैं। लेकिन इस याचिका को खारिज किया जाता है।'' रोहतगी ने कहा कि केंद्र ने जुलाई, 2021 के उच्चतम न्यायालय के फैसले के कारण मदद देने में असमर्थता जताई है। दूरसंचार कंपनियों ने एजीआर बकाया की गणना में गलती की बात कहकर इसे ठीक करने की मांग की थी, लेकिन न्यायालय ने 23 जुलाई, 2021 को उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया था। वोडाफोन ने अपने एजीआर बकाया के ब्याज, जुर्माने और जुर्माने पर ब्याज के रूप में करीब 30,000 करोड़ रुपये की छूट मांगी है। रोहतगी ने पहले कहा था कि दूरसंचार क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए याचिकाकर्ता कंपनी का अस्तित्व जरूरी है। उन्होंने कहा कि हाल में ब्याज बकाया को इक्विटी में बदलने के बाद अब केंद्र के पास कंपनी में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

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