केरल के याचिका वापस लेने का केंद्र ने विरोध किया
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में केरल सरकार के विधानसभा में पारित विधेयकों की मंजूरी में देरी के खिलाफ याचिका वापस लेने के फैसले का विरोध किया। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यह संवैधानिक मुद्दा है। केरल सरकार ने...

केंद्र ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में केरल सरकार के रुख का विरोध किया। राज्य सरकार ने विधानसभा में पारित विधेयकों को मंजूरी देने में देरी को लेकर राज्यपाल के खिलाफ अपनी याचिका वापस लेने का फैसला किया। न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ के समक्ष केरल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता के. के. वेणुगोपाल की दलील का सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने विरोध किया। मेहता ने कहा कि ये संवैधानिक मुद्दे हैं। इसे हल्के-फुल्के तरीके से दायर नहीं किया जा सकता और हल्के में वापस नहीं लिया जा सकता। हम इसमें शामिल मुद्दों पर काम कर रहे हैं।
वेणुगोपाल ने इसे 'अजीब' बताते हुए पूछा कि उनकी याचिका का विरोध कैसे किया जा सकता है। मेहता ने कहा कि जब आपके जैसे कद का व्यक्ति याचिका वापस लेता है तो इसे भी गंभीरता से लिया जाना चाहिए। वेणुगोपाल ने कहा कि राज्यपाल की ओर से विधेयकों को मंजूरी देने में देरी के खिलाफ दायर याचिका बेकार हो गई थी क्योंकि बाद में विधेयक राष्ट्रपति के पास भेज दिए गए थे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की बाद की एक याचिका में इस पहलू को चुनौती दी गई थी। पीठ ने माना कि राज्य को याचिका वापस लेने का अधिकार है। उन्होंने मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 मई की तारीख तय की।
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