सेंसेक्स 17 सप्ताह के बाद फिर 80 हजार के पार
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा चीन से आयात पर टैरिफ में कमी के संकेत से भारतीय शेयर बाजार में तेजी आई। बीएसई सेंसेक्स 520 अंक उछलकर 80,116.49 पर बंद हुआ, जो 17 सप्ताह का उच्चतम स्तर है।...

मुंबई, एजेंसी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के चीन से होने वाले आयात पर टैरिफ में कमी किए जाने के संकेत से स्थानीय स्तर पर हुई चौतरफा लिवाली की बदौलत बुधवार को शेयर बाजार लगातार सातवें कारोबारी सत्र में लंबी छलांग लगाकर बंद हुआ। बीएसई सेंसेक्स 520 अंक उछलकर 17 सप्ताह के बाद एक बार फिर 80,000 से ऊपर बंद हुआ। यह 18 दिसंबर के बाद इसका उच्चतम स्तर है। बाजार में तेजी की कमान आईटी और वाहन शेयरों ने संभाली। इस दौरान सेंसेक्स 520.90 अंक बढ़कर 80,116.49 पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान सेंसेक्स 658.96 अंक बढ़कर 80,254.55 पर पहुंच गया था। एनएसई निफ्टी 161.70 अंक बढ़कर 24,328.95 पर पहुंच गया।
सेंसेक्स की कंपनियों में एचसीएल टेक ने सबसे अधिक 7.72 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की। इसके अलावा टेक महिंद्रा, टाटा मोटर्स, इंफोसिस, महिंद्रा एंड महिंद्रा, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टाटा स्टील, भारती एयरटेल और मारुति भी उल्लेखनीय बढ़त हुई। हाल में तेज बढ़त के बाद बैंक शेयरों में बिकवाली देखी गई और एचडीएफसी बैंक 1.98 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ। इसके अलावा कोटक महिंद्रा बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, एक्सिस बैंक, आईटीसी और अल्ट्राटेक सीमेंट भी नुकसान में रहे।
एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की और हांगकांग का हैंगसेंग लाभ में रहे। चीन का शंघाई कम्पोजिट मामूली गिरावट के साथ बंद हुआ। यूरोप के बाजार दोपहर कारोबार में अच्छी तेजी के साथ कारोबार कर रहे थे। मंगलवार को अमेरिकी बाजार भी बढ़त के साथ बंद हुए।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने मंगलवार को 1,290.43 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
चीन के प्रति नरमी के संकेत से उछले बाजार
विश्लेषकों ने कहा कि विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार लिवाली और ट्रंप की फेड अध्यक्ष को न हटाने के संकेत दिए जाने से मौद्रिक नीति की स्थिरता को लेकर बनी अनिश्चितता कम हुई। इसके साथ ही ट्रंप ने चीन पर लगाए गए टैरिफ को कम करने की संभावनाएं भी जताईं। इससे वैश्विक आर्थिक तनावों के कम होने की उम्मीद जगी और इससे बाजारों में तेजी देखने को मिली। निवेशकों को उम्मीद है कि अमेरिका-चीन व्यापार संबंधों में संभावित नरमी से वैश्विक व्यापार और निवेश पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
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