समुद्री जहाजों से निकलने वाले तेल को सोखेगा खास स्पंज
एमिटी विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. रानू नायक ने एक विशेष वाटर ट्रीटमेंट उत्पाद तैयार किया है, जो समुद्र से कच्चे तेल को सोखने में सक्षम है। यह स्पंज बायोडिग्रेडेबल है और भारतीय वायुसेना ने इस तकनीक...

एमिटी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने तैयार किया उत्पाद वायु सेना ने जल उपचार की तकनीक में रुचि दिखाई नोएडा, संवाददाता। समुद्र की सतह पर कच्चे तेल के नुकसान से पर्यावरण और जलीय जीवन को बचाने के लिए नैनो तकनीक का इस्तेमाल कर एक खास वाटर ट्रीटमेंट उत्पाद तैयार किया गया है। यह एक ऐसा स्पंज है, जो जहाजों से समुद्र में जाने पर तेल को पूरी तरह सोख लेगा। यह तकनीक सेक्टर 125 स्थित एमिटी विश्वविद्यालय के नैनो टेक्नोलॉजी विभाग की प्रोफेसर डॉ. रानू नायक ने विकसित की है। दावा है कि समुद्र में तेल सोखने के लिए अब तक इस्तेमाल किए जाने वाले स्पंज तेल को पूरी तरह सोख नहीं पाते।
सोखे गए तेल का दोबारा किसी दूसरे काम में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। जल उपचार की यह तकनीक का प्रस्ताव भारतीय वायुसेना को भेजा था, जिसमें उन्होंने रुचि दिखाई है। इसके अलावा पेटेंट के लिए आवेदन भी किया गया है। भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) ने भी इसे प्रमाणित किया है। इस स्पंज को अगर 100 बार इस्तेमाल करने के बाद जमीन में गाड़ दिया जाए तो यह अपने आप ही कुछ ही समय में बायोडिग्रेड हो जाएगा। प्रोफेसर ने बताया कि समुद्र में जहाज चलने पर तेल का रिसाव होता है। जब तेल समुद्र के पानी में मिल जाता है तो वह समुद्र तल पर जमा होने लगता है, जिससे जलीय जीवन को काफी परेशानी होती है। कई कंपनियों ने पानी में तेल के रिसाव को सोखने के लिए स्पंज और अन्य सामग्री तैयार की है, लेकिन ये ज्यादा देर तक कारगर नहीं रहते। कुछ समय बाद ये तेल के साथ पानी भी सोखने लगते हैं। साथ ही तेल का दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
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