दो और सेक्टरों में कूड़ा निस्तारण प्लांट लगेगा
-नोएडा प्राधिकरण ने निर्माण के लिए टेंडर जारी किया - इच्छुक एजेंसियां 18 अप्रैल

-नोएडा प्राधिकरण ने निर्माण के लिए टेंडर जारी किया - इच्छुक एजेंसियां 18 अप्रैल तक आवेदन कर सकेंगी
नोएडा। वरिष्ठ संवाददाता
सेक्टर-43 और 168 में 40-40 टीपीडी क्षमता के कूड़ा निस्तारण प्लांट लगाया जाएगा। इसमें 25 टीपीडी क्षमता वाले प्लांट में गीले और 15 टीपीडी क्षमता के प्लांट में सूखे कूड़े का निस्तारण किया जाएगा। एजेंसी में चयनित होने वाली एजेंसी ही यहां तक कूड़ा लाएगी। इसके लिए प्राधिकरण ने टेंडर जारी कर दिया है। इच्छुक एजेंसियां 18 अप्रैल तक आवेदन कर सकती हैं।
नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि शहर में कुछ जगह डेढ़ से दो टन क्षमता के टीपीडी प्लांट लगे हुए हैं। पहली बार बड़ी क्षमता के प्लांट लगाने के लिए टेंडर जारी किया गया है। टेंडर में एजेंसी का चयन होने के बाद काम शुरू होने पर प्लांट तैयार होने में 6 से 8 महीने का समय लगेगा। प्राधिकरण अधिकारियों ने बताया शहर में तीन और नए इंटीग्रेटेड प्रोसेसिंग प्लांट लगाए जाएंगे। ये प्लांट सेक्टर- 50, 54, 119 में लगाए जाएंगे। इनमें सेक्टर-50 और 119 में सीएसआर के माध्यम से प्लांट लगाए जाएंगे। इनकी प्रक्रिया भी चल रही है। अधिकारियों ने बताया कि इन प्लांट को तैयार करने में प्राधिकरण का अपना कोई पैसा खर्च नहीं होगा। टेंडर में जो एजेंसी चयनित होगी, वह अपने खर्चे से प्लांट लगाएगी और कूड़े से तैयार होने वाले सामान को बेच मुनाफा कमाएगी।
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सेक्टर-145 में लगेगा 300 टन क्षमता का प्लांट
सेक्टर-145 में मिक्स कूड़े के निस्तारण के लिए प्लांट लगाया जाएगा। यहां 300 टन क्षमता का प्लांट लगेगा। इससे ग्रीन चारकोल तैयार होगा और फिर बिजली पैदा की जाएगी।
प्राधिकरण अधिकारियों ने बताया कि इस प्लांट को लगाने में प्राधिकरण का कोई पैसा खर्च नहीं होगा, उल्टे एजेंसी प्राधिकरण को पैसा देगी। इसके अलावा एजेंसी ही अपने खर्चे से प्लांट को लगाएगी और संचालित करेगी। अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी चयन के लिए जल्द ही एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट (ईओआई) जारी किया जाएगा। चुनी जाने वाली एजेंसी को प्लांट लगाने के लिए निश्चित समय दिया जाएगा। अनुमान के तौर पर यह प्लांट दो से ढाई साल में बनकर तैयार होगा। इस करार का पालन भी करवाया जाएगा कि एजेंसी कूड़े का निस्तारण कर ग्रीन कोल तैयार करे। इस ग्रीन कोल को बेचकर एजेंसी अपना खर्च और आय निकालेगी। वह एजेंसी जो सबसे ज्यादा आय देने को तैयार होगी उसे परियोजना की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। गौरतलब है कि शहर में कूड़ा बढ़ता जा रहा है और प्राधिकरण बायोरेमिडेशन तकनीक पर निस्तारण करवा रहा है जिसका आर्थिक बोझ भी पड़ रहा है।
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