जिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की थैलेसीमिया की निशुल्क जांच होगी
नोएडा के जिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के लिए थैलेसीमिया की निशुल्क जांच शुरू की गई है। चाइल्ड पीजीआई की मांग पर यह सुविधा शुरू की गई है। इससे गर्भवती महिलाओं के बीच थैलेसीमिया के वाहक की पहचान...

नोएडा, प्रमुख संवाददाता। जिला अस्पताल में प्रसव और इलाज के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं की थैलेसीमिया की जांच शुरू कर दी गई है। बाल चिकित्सालय एवं स्नातकोत्तर संस्थान (चाइल्ड पीजीआई) की मांग पर पिछले हफ्ते से यह सुविधा शुरू की गई है। जिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की निशुल्क जांच की जा रही है, जबकि निजी लैब या अस्पतालों में 700 से लेकर 2000 तक की राशि जांच के लिए ली जाती है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत बाल चिकित्सालय में जांच से लेकर इलाज तक मुफ्त है। रक्त के लिए भी फीस नहीं ली जाती है। चाइल्ड पीजीआई कैंसर रोग विभाग की प्रमुख नीता राधाकृष्णन ने बताया कि जिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. रेनू अग्रवाल से थैलेसीमिया की जांच की मांग की गई थी।
उन्होंने इसकी शुरुआत भी कर दी है। गर्भवती महिलाओं की नियमित जांच के बाद इस बीमारी के वाहक या मरीज की पहचान हो पाएगी। महिला में पुष्टि के बाद बच्चे में भी बीमारी की जांच की जाएगी। बच्चे में पुष्टि की स्थिति में नियमानुसार गर्भपात का विकल्प होगा। थैलेसीमिया पॉजिटिव होने के बाद गर्भपात न कराने की स्थिति में बच्चे के जन्म के बाद वह मेजर थैलेसीमिया का मरीज होगा। जांच और बीमारी की पहचान से तीन-चार साल में थैलेसीमिया के मरीजों की संख्या काफी कम कर सकते हैं। जिला अस्पताल के साथ ही अन्य सरकारी अस्पतालों में भी इसे शुरू किया जाना चाहिए। बाल चिकित्सालय में 444 थैलेसीमिया मरीजों का इलाज बाल चिकित्सालय में वर्तमान में 444 थैलेसीमिया मरीजों का इलाज चल रहा है। वहीं 64 मरीजों का बोनमैरो प्रत्यारोपण किया गया है। मरीजों का इलाज निशुल्क चल रहा है। चाइल्ड पीजीआई के रक्त ट्रांसफ्यूजन विभाग के प्रमुख डॉ. सत्यम अरोड़ा ने बताया कि हमारे पास अत्याधुनिक जांच मशीनें हैं, जिससे रक्त के दुर्लभ समूहों की जांच कर सकते हैं। ऐसे बीमारी से पीड़ित मरीज को उनके रक्त समूह का ही रक्त दिया जाता है, जिससे इलाज के दौरान बेहतर परिणाम मिलते हैं। थैलेसीमिया की जांच से ये फायदे होंगे सभी गर्भवती महिलाओं की थैलेसीमिया की जांच से उनमें इस बीमारी के वाहक की जानकारी हो पाएगी। ऐसे में उनके पति की भी जांच की जाएगी। दोनों या एक के भी वाहक होने पर गर्भ में पल रहे बच्चे की जांच की जाएगी, ऐसे 25 प्रतिशत बच्चों में थैलेसीमिया होने का खतरा होता है। बच्चे में भी थैलेसीमिया की पुष्टि होने की स्थिति में गर्भपात का विकल्प होगा। महिला बच्चे को जन्म भी दे सकती है, लेकिन जन्म के बाद बच्चे को इलाज की जरूरत होगी। बोन मैरो प्रत्यारोपण से बच्चे का सफल इलाज हो सकता है। इसके अभाव में जिंदगी भर इलाज कराना पड़ता है। विवाह से पहले भी थैलेसीमिया से संबंधित जांच करानी चाहिए। दोनों के थैलेसीमिया होने क स्थिति में विवाह न करने की सलाह दी जाती है।
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