साप्ताहिक बाजारों से 250 मोबाइल चुराने वाले दबोचे
नोएडा की फेज-2 पुलिस ने साप्ताहिक बाजारों में महिलाओं और बुजुर्गों के मोबाइल चुराने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया। गिरोह का सरगना मयंक और उसका साथी नजरुल गिरफ्तार किया गया। उनके पास से 51 चोरी के मोबाइल...

नोएडा, वरिष्ठ संवाददाता। फेज-2 थाने की पुलिस ने साप्ताहिक बाजारों और मंडियों में महिलाओं और बुजुर्गों के मोबाइल चुराने वाले गिरोह का पर्दाफाश कर सरगना और उसके साथी को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी स्कूटी पर सवार होकर वारदात करते थे। एडिशनल डीसीपी हृदेश कठेरिया ने बताया कि साप्ताहिक बाजारों और मंडियों में मोबाइल चोरी होने की घटनाएं लगातार सामने आ रही थीं। चोरी की वारदात करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करने के लिए एसीपी हेमंत उपाध्याय की अगुवाई में एक टीम गठित की गई। टीम शनिवार को थाना क्षेत्र स्थित श्मशान वाली सड़क पर बने नाले के पास चेकिंग कर रही थी, तभी स्कूटी पर सवार होकर दो युवक गुजरे।
संदिग्ध लगने पर पुलिस ने जब दोनों को रुकने का इशारा किया तो वे भागने लगे। पुलिस टीम ने पीछा कर दोनों को दबोच लिया और कड़ाई से पूछताछ करनी शुरू कर दी। पूछताछ के दौरान पता चला कि दोनों स्कूटी सवार युवक मोबाइल चोर और लुटेरे हैं। आरोपियों की पहचान शाहजहांपुर के कांठ निवासी मयंक सिंह और अलीगढ़ के अकराबाद निवासी नजरुल के रूप में हुई। 22 वर्षीय मयंक और 19 वर्षीय नजरुल वर्तमान में भंगेल गांव में किराये का कमरा लेकर रह रहे थे। मयंक गिरोह का सरगना है। उसके खिलाफ गाजियाबाद और नोएडा के अलग-अलग थानों में तीन, जबकि नजरुल पर दो केस दर्ज हैं। अन्य राज्यों और जिलों की पुलिस से भी दोनों का आपराधिक इतिहास साझा करने को कहा गया है। आरोपियों ने अब तक 250 से अधिक चोरी और लूट की वारदात की हैं। आरोपियों के पास जो बैग था, जब उसकी तलाशी ली गई तो उसमें चोरी और लूट के 51 मोबाइल मिले। आरोपी मोबाइल को दिल्ली के बाजारों में बेचने के लिए जा रहे थे। गिरोह में शामिल अन्य सदस्यों के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है। पुलिस का कहना है कि अन्य सदस्यों के बारे में जानकारी मिलने के बाद गिरोह के सरगना और उसके साथियों पर गैंगस्टर ऐक्ट के तहत भी कार्रवाई करने की योजना है। गिरोह के सदस्य ऐसे करते हैं वारदात: गिरोह के सदस्य साप्ताहिक बाजारों और मंडियों में पहुंचते और ग्राहकों का ध्यान भंग होने की प्रतीक्षा करते। वे मौका मिलते ही ग्राहकों का मोबाइल गायब कर देते। बाजारों और मंडियों में आरोपी महिलाओं और बुजुर्गों को निशाना बनाते। जब चोरी और लूट के 50 से 100 मोबाइल एकत्र हो जाते तो आरोपी शाहजहांपुर, अलीगढ़ और दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में मजबूरी बताकर राहगीरों को बेहद कम दाम में मोबाइल बेच देते। जो मोबाइल नहीं बिकती है, उसे दिल्ली के बाजारों में बेचा जाता। पकड़े जाने के डर से गिरोह के सदस्य अपना ठिकाना लगातार बदलते रहते। पकड़े जाने के डर से आरोपी केवल व्हाट्सऐप कॉल करते थे। गिरोह का सरगना 12वीं पास एसीपी हेमंत उपाध्याय ने बताया कि सरगना मयंक ने बारहवीं तक की पढ़ाई की है। उसका साथी नजरुल चौथी पास है। गिरोह के सदस्यों का काम बंटा होता है। जो मोबाइल चुराता है, वह तुरंत इसे अपने दूसरे साथी को पकड़ा देता। दूसरा साथी स्कूटी पर बैठा तीसरे सदस्य को मोबाइल देता। वह स्कूटी लेकर तुंरत वहां से चला जाता है। ऐसे में शक होने पर अगर पहले व्यक्ति की तलाशी भी होती है तो उसके पास कोई मोबाइल नहीं मिलता है। चोरी और लूट के मोबाइल को बेचकर जो रकम मिलती है उसे गिरोह के सदस्य आपस में बांट लेते। चोरी और लूट का मोबाइल खरीदने वाले दुकानदारों के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है। पुलिस का कहना है कि दुकानदारों का अगर सीधा संबंध आरोपियों से निकला तो उन्हें भी आरोपी बनाया जाएगा। आईफोन को आरोपी 15 हजार, जबकि अन्य मोबाइल को चार से नौ हजार रुपये में बेचते।
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