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दिल्ली के 150 साल पुराने इस पुल पर मंडरा रहा खतरा, बचाने के लिए यह कदम उठाने जा रहा PWD

  • हाईट बैरियर बनाने के लिए टेंडर जारी कर दिए गए हैं। ये बैरियर आर्च ब्रिज की प्रत्येक लेन में अलग-अलग ऊंचाई के अनुरूप बनाए जाएंगे। पुल के नीचे मुख्य द्वार की ऊंचाई बीच में पांच से छह मीटर है, जबकि साइड की ऊंचाई दो से तीन मीटर कम है।

Sourabh Jain पीटीआई, दिल्लीFri, 11 April 2025 08:03 PM
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दिल्ली के 150 साल पुराने इस पुल पर मंडरा रहा खतरा, बचाने के लिए यह कदम उठाने जा रहा PWD

दिल्ली सरकार का लोक निर्माण विभाग राष्ट्रीय राजधानी में स्थित 150 साल पुराने मांगी ब्रिज को बचाने के लिए खास तरीका अपनाने जा रहा है। यह ब्रिज कश्मीरी गेट के पास रिंग रोड पर स्थित है। करीब डेढ़ सौ साल पुराने इस पुल के नीचे से गुजरने वाले भारी वाहनों से इसे नुकसान पहुंच रहा था, जिसके बाद इसकी सुरक्षा के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग ने यहां पर हाईट बैरियर यानी ऊंचाई अवरोधक लगाने की घोषणा की है। ये बैरियर्स पुल से पहले लगाए जाएंगे, ताकि निर्धारित ऊंचाई से ज्यादा हाईट वाले वाहन पुल तक नहीं पहुंच सकेंगे।

इस बारे में जानकारी देते हुए पुरातत्व विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'पुल के नीचे की सड़क का उपयोग बसों और ट्रकों जैसे बड़े और भारी वाहनों द्वारा किया जाता है, जिससे कि ब्रिज के आर्च यानी शिखर के आंतरिक हिस्से को नुकसान पहुंचा है। ऐसे में हमने लोक निर्माण विभाग को एक पत्र लिखते हुए पुल के मेहराबों की सुरक्षा के लिए यहां हाईट बैरियर लगाने का सुझाव दिया था, ताकि भारी वाहन यहां से ना गुजर सकें।'

अधिकारी ने आगे कहा कि हाईट बैरियर बनाने के लिए टेंडर जारी कर दिए गए हैं। यह बैरियर्स आर्च की प्रत्येक लेन में अलग-अलग ऊंचाई के अनुरूप बनाए जाएंगे। पुल के नीचे मुख्य द्वार की ऊंचाई बीच में पांच से छह मीटर है, जबकि दोनों तरफ साइड में इसकी ऊंचाई दो से तीन मीटर कम है। पिछले साल एएसआई ने भारी वाहनों को गुजरने से रोकने के लिए पुल के पास ऊंचाई अवरोधक लगाए थे, लेकिन भारी वाहनों की लापरवाही की वजह से वह भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं।

बता दें कि यह ब्रिज लाल किले को सलीमगढ़ किले से जोड़ता है, और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) द्वारा संरक्षित संरचना है। इससे पहले पुरातत्व विभाग ने ही पुल के मेहराबों की सुरक्षा के लिए PWD को यहां ऊंचाई अवरोधक लगाने के बारे में पत्र लिखा था।

पुरातत्व विभाग के अधिकारी ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि 'भारी वाहनों द्वारा सड़क का उपयोग करने और इस दौरान पुल के मेहराबों को नुकसान पहुंचाए जाने के निशान वहां स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं। पिछले साल इन मेहराबों के नीचे सड़क की ऊंचाई कम करने की योजना पर भी विचार किया गया था, लेकिन वह प्रस्ताव फिलहाल ठंडे बस्ते में है।'

बता दें कि यह पुराना पुल हनुमान मंदिर फ्लाईओवर से पहले स्थित है, जो कश्मीरी गेट इंटर स्टेट बस टर्मिनल (आईएसबीटी) के प्रवेश द्वार से जुड़ता है। बस टर्मिनल के बेहद पास होने के कारण, इस क्षेत्र में हर दिन भारी यातायात जाम रहता है।