गुरुग्राम की नई मेयर राजरानी मल्होत्रा को झटका, इस पद से पति को हटाया; कमिश्नर का आदेश
गुरुग्राम की नई मेयर राजरानी मल्होत्रा को झटका लगा है। निगम आयुक्त ने उके पति को पद से हदा दिया है। एक सप्ताह तक लगातार इस मुद्दे को लेकर विवाद काफी बढ़ा तो निगमायुक्त ने मंगलवार की देर रात को अपने इस निर्णय को वापस लेना पड़ा

गुरुग्राम की मेयर राजरानी मल्होत्रा के पति तिलकराज मल्होत्रा को सलाहकार पद से हटा दिया गया है। इसको लेकर निगमायुक्त अशोक कुमार गर्ग ने मंगलवार देर रात आदेश जारी किए थे। 21 अप्रैल को नगर निगम आयुक्त अशोक गर्ग ने मेयर के पति व पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष तिलकराज मल्होत्रा की नियुक्ति मेयर के सलाहाकार के तौर पर की थी। इसको लेकर निगमायुक्त ने बकायादा आदेश जारी किए थे। मेयर के पति का नियुक्ति पत्र जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो विपक्षी की पार्टियों सहित शहर के जागरुक लोगों ने इसका विरोध किया।
एक सप्ताह तक लगातार इस मुद्दे को लेकर विवाद काफी बढ़ा तो निगमायुक्त ने मंगलवार की देर रात को अपने इस निर्णय को वापस लेना पड़ा। निगमायुक्त ने मेयर के पति को सलाहाकार के पद से हटा दिया है। हालांकि मेयर के पति तिलक राज मल्होत्रा ने बिना वेतन के ही इस पद पर रहने की बात कही थी, लेकिन विवाद बढ़ने के बाद इस निर्णय को अब वापस लेना पड़ गया है। तिलकराज मल्होत्रा को मेयर द्वारा सौंपे गए कार्यों में सहयोग करना था। हालांकि, उनका पद पूरी तरह अवैतनिक था और वह नगर निगम से कोई लाभ नहीं ले सकते थे, लेकिन इस नियुक्ति को लेकर राजनीतिक बवाल शुरू हो गया था।
एडीसी का तबादला
चुनाव से पहले रविवार को राजरानी मल्होत्रा को जाति प्रमाणपत्र जारी करने वाले एडीसी हितेश कुमार मीना का भी तबादला कर दिया गया है। उन्हें हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण में अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रिक्त पद पर भेजा गया है। कुछ दिन पहले ही जाति प्रमाणपत्र के मामले में दायर याचिका पर गुरुग्राम कोर्ट ने डीसी, एडीसी, मेयर व कांग्रेस प्रत्याशी सीमा पाहूजा को नोटिस जारी किया था।
कांग्रेस नेताओं ने दी थी तीखी प्रतिक्रिया
मेयर राजरानी मल्होत्रा द्वारा अपने पति को निजी सलाहकार के रूप में नियुक्त किए जाने पर कांग्रेस नेत्री पर्ल चौधरी, वरिष्ठ नेता पंकज डावर सहित कई नेताओं ने इस मामले को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। कांग्रेस नेताओं ने निगम के इस निर्णय को संविधान की आत्मा के साथ खिलवाड़ और महिला आरक्षण के मूल उद्देश्य के खिलाफ बताया और यह नियुक्ति तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग की थी। विपक्ष ने कहा था कि यह नियुक्ति भाजपा द्वारा परिवारवाद के खिलाफ दिए जाने वाले बयानों की पोल खोलती है। एक्ट के अनुसार ब्लड रिलेशन ऐसे पद का प्रावधान नहीं है। अगर पतियों को सदन चलाना है तो महिला आरक्षण का मतलब ही खत्म हो जाता है, फिर तो महिला पार्षद के पति भी सलाहकार बन सकते हैं।