Big blow from Supreme Court to BJP MLA of Anta, ordered to surrender within two weeks राजस्थान में भाजपा विधायक को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, दो हफ्ते में सरेंडर का आदेश; जानें पूरा मामला, Rajasthan Hindi News - Hindustan
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राजस्थान में भाजपा विधायक को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, दो हफ्ते में सरेंडर का आदेश; जानें पूरा मामला

सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान मीणा की ओर से वरिष्ठ वकील नमित सक्सेना ने दलील दी कि घटनास्थल से कोई हथियार बरामद नहीं हुआ और पुलिस के पास कथित वीडियोग्राफी की कैसेट भी मौजूद नहीं है।

Sourabh Jain लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 7 May 2025 04:23 PM
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राजस्थान में भाजपा विधायक को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, दो हफ्ते में सरेंडर का आदेश; जानें पूरा मामला

राजस्थान के बारां जिले की अंता विधानसभा सीट से भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा की मुश्किलें अब राजनीतिक भविष्य पर भारी पड़ती नजर आ रही हैं। करीब 20 साल पुराने एक आपराधिक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी विशेष अनुमति याचिका (SLP) को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही उन्हें दो सप्ताह के भीतर ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया गया है।

यह मामला वर्ष 2005 का है, जब कंवरलाल मीणा पर एक चुनावी विवाद के दौरान एसडीएम की कनपटी पर पिस्टल तानने, सरकारी कार्य में बाधा डालने और विभागीय कैमरा जलाने जैसे गंभीर आरोप लगे थे। इस केस में ट्रायल कोर्ट ने उन्हें तीन साल की सजा सुनाई थी। बाद में यह सजा सेशंस कोर्ट और राजस्थान हाईकोर्ट में भी बरकरार रही।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मीणा की ओर से वरिष्ठ वकील नमित सक्सेना ने दलील दी कि घटनास्थल से कोई हथियार बरामद नहीं हुआ और पुलिस के पास कथित वीडियोग्राफी की कैसेट भी मौजूद नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि इन परिस्थितियों में ‘क्रिमिनल फोर्स’ और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मामला नहीं बनता। हालांकि, जस्टिस विक्रमनाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस संजय करोल की बेंच ने इन तर्कों को खारिज कर दिया।

विधायकी पर लटकी तलवार

भारतीय जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 के तहत यदि किसी जनप्रतिनिधि को दो साल या उससे अधिक अवधि की सजा मिलती है, तो उसकी सदस्यता स्वतः समाप्त मानी जाती है। ऐसे में पहले हाईकोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट से भी राहत न मिलने के बाद कंवरलाल मीणा की विधानसभा सदस्यता समाप्त होना लगभग तय है।

बीस साल पुराना है मामला

3 फरवरी 2005 को झालावाड़ जिले में खाताखेड़ी उपसरपंच चुनाव को लेकर सड़क जाम हुआ था। मौके पर पहुंचे एसडीएम रामनिवास मेहता, प्रोबेशनर आईएएस डॉ. प्रीतम, बी. यशवंत और तहसीलदार से बात करते समय विधायक मीणा अपने समर्थकों के साथ वहां पहुंचे। आरोप है कि उन्होंने एसडीएम की कनपटी पर पिस्टल तानी और कैमरे की कैसेट जला दी।

सियासी भूचाल आना तय

हाईकोर्ट के फैसले के बाद ही कांग्रेस ने विधानसभा सचिवालय से मीणा की सदस्यता समाप्त करने की मांग की थी। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इस मांग को और बल मिला है। ऐसे में राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर जोरदार हलचल देखने को मिल सकती है। फिलहाल इसे बीजेपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।