किरोड़ीलाल मीणा को अगर सीएम बना दो तब भी संतुष्ट नहीं होंगे — हनुमान बेनीवाल
सांसद हनुमान बेनीवाल ने एक बार फिर अपने बयानों से सियासी तापमान बढ़ा दिया है। नागौर स्थित अपने आवास पर मीडिया से बातचीत में बेनीवाल ने कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा और बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. ज्योति मिर्धा पर जमकर निशाना साधा।

सांसद हनुमान बेनीवाल ने एक बार फिर अपने बयानों से सियासी तापमान बढ़ा दिया है। नागौर स्थित अपने आवास पर मीडिया से बातचीत में बेनीवाल ने कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा और बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. ज्योति मिर्धा पर जमकर निशाना साधा।
बेनीवाल ने किरोड़ी मीणा द्वारा नकली खाद-बीज फैक्ट्रियों पर छापेमारी को लेकर सवाल खड़े करते हुए कहा, "डॉ. साहब को ये एकदम से कैसे याद आ गया? क्या वो मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का विरोध कर रहे हैं या अपनी लोकप्रियता के लिए ये सब कर रहे हैं?"
उन्होंने तंज कसते हुए कहा, "मैं उनके साथ रहा हूं, पर उनकी आदत है – लड़ते रहेंगे और जैसे ही मौका आएगा छोड़कर चले जाएंगे। उन्हें अगर मुख्यमंत्री भी बना दो तो भी संतुष्ट नहीं होंगे।"
"ज्योति मिर्धा का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है"
एसआई भर्ती को लेकर बीजेपी नेता ज्योति मिर्धा द्वारा दिए बयान पर भी बेनीवाल खासे आक्रामक नजर आए। उन्होंने कहा, "चार बार हारने के बाद उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। हम एक नया कानून लाने वाले हैं, जिसमें तीन बार हारने वाला व्यक्ति आजीवन चुनाव नहीं लड़ पाएगा। शायद इसी डर से वो बौखलाहट में हैं।"
उन्होंने मिर्धा के आरोप पर जवाब देते हुए कहा, "उन्हें कोई लिखकर दे दे, वही पढ़ देती हैं। SI भर्ती के बारे में उन्हें कुछ पता नहीं। ये एक्टिव अब हुई हैं, जबकि नागौर की जनता जानती है कि पहले वो बीजेपी से दो बार हारीं और कांग्रेस से भी दो बार हारीं। अब उनका जिले में कोई भविष्य नहीं है।"
"एक घर में 15 पार्टियां, जनता का नुकसान किया"
बेनीवाल ने मिर्धा परिवार पर भी करारा हमला बोला। उन्होंने कहा, "इंडियाबुल्स घोटाले से सब परिचित हैं। इनके आधे रिश्तेदार कांग्रेस में हैं और खुद और उनकी सास बीजेपी में। एक घर में ही 15 पार्टी हैं। इन लोगों ने दलाली और परिवारवाद के जरिए जिले और किसानों का नुकसान किया है।"
"नागौर की तस्वीर बदल सकती थी, लेकिन...!"
बेनीवाल ने कहा कि यदि मिर्धा परिवार चाहता तो नागौर की तस्वीर आज अलग होती। "60 साल पहले इंदिरा गांधी नहर आ सकती थी। यहां 50 कॉलेज, यूनिवर्सिटी, रोजगार के अवसर होते। लेकिन इन्होंने कुछ नहीं किया। 2008 के बाद स्कॉर्पियो-फॉर्च्यूनर जरूर आ गईं।"
"स्वाभिमान मर गया है, खुद की पार्टी बना लो"
बेनीवाल ने कहा, "इनके पास टिकट के बिना 3 हजार वोट भी नहीं हैं। इतना पैसा है तो खुद की पार्टी बनाओ, सरकार बनाओ। भाजपा-कांग्रेस के चक्कर क्यों काटते हो?"
"हार-जीत लोकतंत्र का हिस्सा है, पर 4 बार हारने वालों का कुछ नहीं"
बात को समाप्त करते हुए बेनीवाल बोले, "इंसान एक-दो बार हार सकता है, लेकिन जो बार-बार हारता है, उसका कोई भविष्य नहीं। लोकतंत्र में सम्मान जरूरी है, पर जिनका स्वाभिमान मर चुका है उनके बारे में ज्यादा चर्चा करना भी बेकार है।"
सियासी हमले के इस दौर में बेनीवाल ने स्पष्ट कर दिया कि वे न तो अंदरुनी राजनीति के दबाव में हैं, न चुप बैठने वाले। राजस्थान की राजनीति में यह बयानबाज़ी एक नए सियासी संग्राम की दस्तक है।
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