कर्नाटक सरकार ने हाल ही में अपनी जातिगत जनगणना के आधार पर सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े समुदायों के लिए आरक्षण बढ़ाने की दिशा में कदम उठाने की योजना बनाई है।
आपको बता दें कि सर्वेक्षण की शुरुआत 2015 में एच कंथराज द्वारा की गई थी और बाद में कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के जयप्रकाश हेगड़े ने इसे पूरा किया और फरवरी 2024 में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को रिपोर्ट सौंपी।
दिलचस्प बात यह है कि करीब 20 साल पहले ही यह मामला आया था और संविधान में संशोधन के बाद भी तत्कालीन यूपीए-1 सरकार इससे पीछे हट गई थी। इस सरकार का नेतृत्व कांग्रेस की ओर से ही किया जा रहा था। यूपीए सरकार के दौर में ही संविधान में 93वां संशोधन हुआ था, जिसमें आर्टिकल 15(5) लाया गया था।
तेलंगाना विधानसभा में पिछड़ी जातियों को 42 फीसदी तक आरक्षण देने के प्रावधान वाला विधेयक पास हो गया है। विपक्षी दलों बीआरएस और बीजेपी ने भी इस विधेयक का समर्तन किया है।
राज्य के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने आज इसका ऐलान किया। इसके साथ ही राज्य में अब आरक्षण की कुल सीमा बढ़कर 62 फीसदी हो जाएगी, जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय 50 फीसदी की सीमा से ज्यादा है।
Karnataka Muslim Reservation: कर्नाटक विधानसभा चुनावों से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने मार्च 2023 में OBC के 3A और 3B श्रेणियों को समाप्त करने का प्रस्ताव रखा।
लोकसभा में बुधवार को सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने आउटसोर्सिंग वाले संविदा कर्मचारियों का मुद्दा उठाया। संविदाकर्मियों को नियमित करने और इनके लिए भी आरक्षण लागू करने की धर्मेंद्र यादव ने मांग की।
भाजपा के अतिपिछड़े महासम्मेलन में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि मुस्लिम समाज आपके आरक्षण के हिस्से का 10 फीसदी खा जाता है, इसे बचाना होगा। अतिपिछड़े समाज को एकजुट होकर रहना पड़ेगा। आपकी आबादी 37 फीसदी है।