Yamuna River Crisis Agra s Lifeline Facing Pollution and Deterioration बोले आगरा: बैराज बने तो हो कालिंदी का कल्याण, Agra Hindi News - Hindustan
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बोले आगरा: बैराज बने तो हो कालिंदी का कल्याण

Agra News - आगरा की यमुना नदी, जो लाखों लोगों के लिए जीवनदायिनी है, अब प्रदूषण और जल संकट का सामना कर रही है। नदी के किनारे बसे लोग इसकी दुर्दशा पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी की सख्ती के...

Newswrap हिन्दुस्तान, आगराMon, 21 April 2025 05:19 PM
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बोले आगरा: बैराज बने तो हो कालिंदी का कल्याण

आगरा की आन बान और शान यमुना नदी है। लाखों घरों में पेयजल की सप्लाई का माध्यम कालिंदी रही है। यमुना के किनारे बसे परिवारों की रोजी रोटी का माध्यम भी यही है। हैरत वाली बात है कि पतित पावनी यमुना नदी अनदेखी के चलते दुर्दशा का शिकार है। अनाप शनाप रकम खर्च करने के बाद भी यमुना नदी की अविरल जल धारा नहीं दिख रही। सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी की सख्ती के बावजूद अनेक स्थानों पर यमुना प्रदूषित हो रही है। यमुना भक्तों से इस विषय पर चर्चा की गई। उन्होंने दर्द बयां किया। बोले, जब तक यमुना नदी में बैराज नहीं बनेगा। यमुना नदी का पुराना सौंदर्य नहीं लौटेगा। हालात नहीं बदले तो यमुना नदी का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।

ब्रज क्षेत्र में रहने वाले लाखों लोगों के लिए यमुना केवल नदी नहीं है। लोग इसे मां का दर्जा भी देते हैं। ज्यादातर ब्रजवासी कालिंदी को यमुना मैया कहते हैं। लोग आज भी मानते हैं कि यमुना नदी में स्नान करके पापों से मुक्ति मिल जाती है। संबंधित पक्षों की लापरवाही की वजह से नदी के हालात खराब हो चुके हैं। वर्तमान में कालिंदी जीवनदायिनी नदी नहीं, जानलेवा नाले के रूप में नजर आती है।

अब न तो लोग नदी में स्नान करने की हिम्मत जुटा पाते हैं। ना ही यमुना के जल से आचमन कर पाते हैं। वजह ये है कि नदी में बहने वाला अधिकांश पानी नालों का है। शहर से निकलने वाले गंदे नाले प्रतिबंध के बाद भी नदी में धडल्ले से छोड़े जा रहे हैं। जिम्मेदार सब कुछ जानते हुए चुप्पी साधे बैठे हैं। यमुना सफाई के लिए हर साल बड़ा बजट खर्च करने का दावा किया जाता है।

लेकिन कालिंदी की हालत अब ऐसी हो चुकी है, जिसे देखकर हर यमुना भक्त को रोना आता है। यमुना शुद्धिकरण के लिए यमुना भक्तों की टोली लंबे समय से संघर्ष कर रही है। अब तक इसका सकारात्मक असर नजर नहीं आया है। आज कालिंदी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। जनप्रतिनिधियों के भागीरथी प्रयास का इंतजार कर रही है।

एक समय में पानी से लबालब रहने वाली यमुना नदी आज सूखी पड़ी है। लोगों के कंठ तर करने वाली कालिंदी सूखे की मार से जूझ रही है। पानी की कमी के कारण नदी समतल मैदान जैसी नजर आ रही है। मौजूदा हालात ये हैं कि यमुना जल दूषित हो चुका है। एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) शोपीस बने हुए हैं। नदी में जल का स्त्रोत गोकुल बैराज से माना जाता है।

इसके बाद भी नदी गर्मी के मौसम में जल के लिए तरस जाती है। कुछ साल पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आगरा आए थे। ताजमहल यमुना नदी के किनारे नगला पैमा गांव में रबर चैक डैम का शिलान्यास किया था। प्रोजेक्ट की डीपीआर(डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार करने में अच्छा खासा बजट भी खर्च किया गया था, लेकिन प्रोजेक्ट शिलान्यास के आगे नहीं बढ पाया।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कोठी मीना बाजार मैदान के मंच से यमुना में क्रूज चलवाने का वादा किया था। क्रूज तो दूर यमुना में पानी न होने की वजह से नाव चल पाना भी मुश्किल हो गया है। इस मौसम में कोई चाहे तो पैदल ही यमुना नदी की तलहटी को पार कर सकता है। यमुना का हाल देखकर लोग यही सवाल उठा रहे हैं कि जनप्रतिनिधियों के वादे कब पूरे होंगे। कालिंदी का सौंदर्य कब अपने चरम पर आएगा।

यमुना नदी में बने बैराज, तो बने बात

लोग सुझाव देते हैं कि यमुना नदी के सौंदर्य को रंग तभी मिलेगा जब यमुना में बैराज बनाया जाएगा। इससे यमुना नदी का जलस्तर स्थिर रहेगा। नदी में हर समय पानी की उलब्धता रहेगी। यमुना में पर्याप्त जल होगा, तो ताजमहल की नींव भी मजबूत रहेगी। यमुना नदी में जल क्रीड़ा से संबंधित गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सकेगा।

इससे पर्यटन को भी फायदा मिलेगा। एक बड़ा फायदा ताज की सतह को मिलेगा। ऐसा समय भी आता है जब सूखी यमुना की सतह पर कीट अपना डेरा जमा लेते हैं। यही कीट ताज की ओर उड़कर जाते हैं। उस पर बैठते हैं। अपने अंश छोड़ देते हैं। यमुना लबालब रहेगी, तो यह दिक्कत स्वत: ही समाप्त हो जाएगी।

पूरी तरह टैप होने चाहिए गंदे नाले

यमुना भक्तों ने बताया कि यमुना नदी की दुर्दशा नालों के गिरने के कारण हो रही है। सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी ने नदी में गंदे नालों के गिरने पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसके बाद भी हालातों में सुधार नहीं हो पा रहा है। नालों का पानी गिरने के कारण नदी का जल दूषित हो चुका है। इस वजह से अब लोगों ने नदी में स्नान करना छोड़ दिया है।

यमुना जल से लोग आचमनी भी नहीं करते हैं। लोगों का कहना है कि गंदे नाले पूरी तरह टैप होने चाहिए। पूर्व में भी निर्देश दिए गए थे कि सीधे गंदे नाले नदी तक न जाएं। पहले उनको एसटीपी में शोधित किया जाए। लेकिन यह कार्य कागजी होकर रह गया है। वास्तविकता अलग है।

यमुना शुद्धिकरण पर हो गंभीरता से काम

जानकार बताते हैं कि यमुना नदी को अविरल बनाए रखने के लिए हर साल बड़ा बजट खर्च किया जाता है। नदी में स्वच्छ जल रहे। इसके लिए कई स्थानों पर एसटीपी भी बनाए गए हैं। इसके बाद भी यमुना नदी गर्मी के मौसम में नाले के रूप में तब्दील हो जाती है। इसका सीधा मतलब यही है कि यमुना शुद्धिकरण की दिशा में काम सही से नहीं किया जा रहा है।

यमुना भक्तों ने मांग की है कि यमुना शुद्धिकरण कार्य पूरी निष्ठा से हो। क्योंकि सवाल भक्तों की आस्था का है। ऐसा नहीं कि यमुना सफाई के लिए भगीरथी प्रयास करने हों। वर्तमान में ऐसी अनेकों मशीन हैं जिनको लगा कर यमुना की कम लागत में सफाई की जा सकती है।

यमुना नदी में गंदगी फैलाने वालों पर हो कार्रवाई

यमुना नदी को लेकर जागरुक्ता अभियान चला रहे लोगों ने यमुना नदी में आने वाले मवेशियों पर रोक लगाए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जो लोग यमुना नदी में कपड़े धोते हैं। उन पर सख्ती से रोक लगाई जानी चाहिए। जो भी व्यक्ति नदी में गंदगी करे, उस पर जुर्माने की कार्रवाई की जाए।

यमुना को स्वच्छ बनाए रखने के लिए अलग से निगरानी टीम का गठन किया जाए। ये टीम शिफ्ट में यमुना नदी के आसपास भ्रमण करे। जो भी गंदगी करे, उसकी धरपकड़ की जाए। इसके साथ ही यमुना की ड्रेजिंग की आवश्यकता पर भी जो दिया गया। इसके लिए निर्देश दिए गए थे, लेकिन यह कार्रवाई विभिन्न विभागों के बीच अटक कर रह गई।

1)- यमुना की डीसिल्टिंग हो। मथुरा या अन्य स्थानों से जो गंदगी आ रही है, उस पर रोक लगनी चाहिए। यमुना शुद्धिकरण के लिए विशेष अभियान चलाए जाने की जरूरत है। सरकार को यमुना नदी की सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

चतुर्भुज तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता

2)- यमुना नदी में रोजाना ही मवेशी नहाने के लिए जाते हैं। उनको प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। जो भी पशुपालक इसमें शामिल हों, उनके खिलाफ विधिक कार्रवाई की जानी चाहिए। उनसे मौके पर ही जुर्माना वसूलने की कार्रवाई की जानी चाहिए।

ब्रज खंडेलवाल, सामाजिक कार्यकर्ता

3)- यमुना के चारों तरफ पौधारोपण को बढ़ावा दिया जाए। इससे यमुना नदी के किनारे का वातावरण आकर्षक हो जाएगा। हरियाली होगी तो यहां लोगों की चहल पहल भी रहेगी। हरियाली विकसित किए जाने से काफी फायदा मिलेगा।

राहुल राज, सामाजिक कार्यकर्ता

4)- प्रतिबंध के बाद भी यमुना नदी में लगातार नालों का गंदा पानी छोड़ा जा रहा है। नालों को टैप नहीं किया गया है। यही कारण है कि यमुना नदी की स्थिति दिन ब दिन खराब होती जा रही है। इस पर तत्काल रोक लगाए जाने की जरूरत है।

दीपक राजपूत, सामाजिक कार्यकर्ता

5)- यमुना नदी में लंबे समय से बैराज निर्माण की मांग की जा रही है। इसके बाद भी अब तक बैराज का निर्माण नहीं हो पाया है। यमुना नदी में अपार गंदगी है। ड्रेजिंग न होने से भी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। इस दिशा में काम किया जाए।

विशाल झा, सामाजिक कार्यकर्ता

6)- सरकार के कई दावों के बाद भी यमुना में पानी नहीं है। यमुना में बहने वाले नालों पर कोई टेपिंग नहीं है। जब तक बैराज नहीं बनेगा। यमुना नदी की डीसिल्टिंग नहीं की जाएगी। तब तक यमुना नदी पुराने अस्तित्व में नहीं लौट पाएगी।

गोस्वामी नंदन श्रोत्रिय

7)-यमुना नदी में रबर चैक डैम का शिलान्यास किया गया। यमुना नदी में क्रूज चलाने का वादा किया गया। इसके बाद भी यमुना नदी की हालत खराब है। मेरा यही कहना है कि यमुना नदी को लेकर किए सभी वादों को जल्दी पूरा करना चाहिए।

डॉ. हरेंद्र गुप्ता, सामाजिक कार्यकर्ता

8)- यमुना नदी में जल का ठहराव किया जाना बेहद जरूरी है। जब तक यमुना नदी में जल का ठहराव नहीं होगा। यमुना नदी की स्थिति में सुधार नहीं होगा। इसके लिए आगरा की जनता को एकजुट होकर सरकार व जनप्रतिनिधियों पर दबाव बनाना होगा।

नितिन जौहरी, सामाजिक कार्यकर्ता

9)- जो नाले यमुना नदी में छोड़े जा रहे हैं, उस पानी को शुद्ध किया जाना चाहिए। इस पानी को सिंचाई योग्य बनाने के बाद पाइप लाइन के माध्यम से किसानों तक पहुंचाना चाहिए। इससे यमुना नदी भी स्वच्छ रहेगी। किसानों को भी राहत मिलेगी।

निधि पाठक, सामाजिक कार्यकर्ता

10)-यमुना की तलहटी की 5 फीट खुदाई कर गंदी परत को बाहर निकाला जाए। कछपुरा गांव के पास यमुना पर बैराज बनाया जाए। जिसमें 8 फीट तक पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। इससे यमुना का स्वरूप बदलेगा। सभी को फायदा होगा।

राकेश गुप्ता, सामाजिक कार्यकर्ता

11)- कैलाश मंदिर से ताजमहल तक यमुना घाटों को विकसित करने की जरूरत है। इससे नदी के स्वरूप में बदलाव देखने को मिलेगा। श्रद्धालु भी घाटों पर बैठकर अविरल यमुना नदी को निहार पाएंगे। इससे पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा।

शिशिर भगत, सामाजिक कार्यकर्ता

12)- कैलाश मंदिर से लेकर ताजमहल तक यमुना किनारे घास के मैदान बनाए जाएं। छोटे कद के वृक्ष और फूलों वाले पौधे लगाए जाएं। इससे यमुना नदी के सौंदर्य में निखार आएगा। इन स्थानों को पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित किया जाए।

राजकुमार माहेश्वरी, सामाजिक कार्यकर्ता

13)- यमुना नदी की सफाई सरकार की प्राथमिकता में नही है। अगर सरकारी तंत्र चाहे तो एक साल में सफाई हो सकती है। सरकार दिल्ली की तर्ज पर सफाई अभियान चलाए। यमुना नदी का जल स्वच्छ रहेगा तो इसका फायदा पूरे शहर को मिलेगा।

भरत शर्मा, पार्षद

14)- यमुना शुद्धिकरण समय की आवश्यकता है। नालों को सही तरह से टैप कर गंदे पानी को एसटीपी से शुद्ध किया जाना चाहिए। यमुना मे कम से कम 5 फीट बहता पानी होना चाहिए। इसके लिए जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।

अनुराग चतुर्वेदी ,पार्षद बेलनगंज

15)- हमने अपनी जीवन रेखा यमुना का तनिक भी ख्याल नहीं रखा है। शहर के कई ब्लॉक डार्क जोन में चले गए हैं। पर्यावरण पर भी इसा प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। यमुना में भरपूर निर्मल जल हो। इसके लिए उपयुक्त तकनीकी प्रयास शीघ्र किए जाएं।

आनंद राय, सामाजिक कार्यकर्ता

16)- मोक्ष तलाशती जीवनदायिनी यमुना को बचाने की जरूरत है। नदी नाले में तब्दील हो चुकी है। शहर का सीवरेज और गंदा पानी सीधे यमुना में गिर रहा है। सभी नालों को टैप किया जाए। डीसिल्टिंग कराई जाए। बैराज निर्माण हो।

नरेश पारस

सामाजिक कार्यकर्ता

17)- यमुना शुद्धिकरण के लिए सबसे पहले प्रयास होना चाहिए कि यमुना के अंदर खुदाई होनी चाहिए। जिससे कि 10 फीट तक मलबे को बाहर निकाला जा सके। डाउनस्ट्रीम में बैराज बने। यमुना के अंदर हर समय पानी की उपलब्धता बनी रहे।

शाहतोष गौतम

18)-यमुना नदी में गिर रहे गंदे नालों की वजह से ताजमहल की खूबसूरती भी प्रभावित हो रही है। कीचड़ में पनपने वाले कीट ताजमहल की दीवारों से चिपक जाते हैं। इससे विदेशी सैलानियों की नजर में ताज सिटी की स्थिति खराब होती है। इस पर रोक लगे।

दिनेश शर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता

19)- आगरा के निवासियों के लिए गर्व की बात है कि यमुना नदी शहर के बीच से निकल रही है, इसलिए भी यमुना शुद्धिकरण एवं यमुना की सफाई आवश्यक है। शहर की खूबसूरती बढ़ेगी इसके साथ ही तमाम रोजगार शहरवासियों को उपलब्ध हो पाएंगे।

डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य, सामाजिक कार्यकर्ता

20)- यमुना के अविरल प्रवाह को बनाए रखना आवश्यक है। यह हमें याद दिलाता है कि हमें इस नदी की रक्षा के लिए एकजुट होकर कार्य करना होगा। सरकारी मशीनरी की अपनी भूमिका है। आमजन को भी इसे गंदा नहीं करना है।

पद्मिनी, सामाजिक कार्यकर्ता

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