पड़ताल) अनदेखे हालात में बेसहारा लावारिस मरीज
Aligarh News - फोटो, -लावारिस मरीजों के लिए जिला अस्पताल में विशेष वार्ड बंद -सामाजिक

फोटो, -लावारिस मरीजों के लिए जिला अस्पताल में विशेष वार्ड बंद -सामाजिक संगठनों-राहगीरों की मदद से चलती थी देखभाल -जिला अस्पताल के प्रबंधन ने नहीं की है वैकल्पिक व्यवस्था -बर्न वार्ड में अस्थायी व्यवस्था बनी, वह भी जल्द बंद हो गई अलीगढ़, वरिष्ठ संवाददाता। सरकार कहती है, ‘सबका साथ, सबका विकास। लेकिन लगता है ‘जिसका कोई नहीं, उसका इलाज भी नहीं का नारा जमीनी हकीकत बन गया है। मलखान सिंह जिला अस्पताल ने ‘बेसहारों से जैसे नाता ही तोड़ लिया है। जहां एक दौर में लावारिस मरीजों के लिए अलग वार्ड हुआ करता था, वह अब खुद लावारिस हो चुका है।
कोई पूछने वाला नहीं कि बेसहारा घायल, बीमार, मानसिक रूप से अस्वस्थ या सड़क किनारे तड़पते लोगों का अब क्या होगा? प्रशासन खामोश है और सिस्टम आंखें मूंदे बैठा है। कभी शव गृह के पास एक छोटा-सा वार्ड था, पर बड़ा काम करता था। उस ‘लावारिस वार्ड ने न जाने कितनों को जीवन दिया, जो फुटपाथ से उठाए गए थे, जो दुर्घटनाओं के बाद अस्पताल लाए गए थे, जिनके अपने उन्हें पहचानने तक नहीं आए। उस वार्ड में नाते नहीं थे, पर मानवता थी। सामाजिक संगठन कपड़े, खाना, दवा लेकर आते थे, बिना किसी लालच के। लेकिन अब, अस्पताल प्रबंधन ने वह मानवता का कोना भी बंद कर दिया। बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के, बिना किसी योजना के। कुछ समय तक बर्न वार्ड के भवन में एक कोना बचा था, जिसे ‘लावारिस वार्ड कहा जाता था, लेकिन अब वह भी इतिहास बन चुका है। पुलिस या राहगीर किसी लावारिस मरीज को यहां लाते हैं तो घंटों तो ये तय करने में गुजर जाते हैं कि मरीज को भर्ती कहां कराना है। हालात ये हैं कि ऐसे मरीजों को अस्पताल में इधर-उधर बैठाया जाता है, या फिर उनके इलाज से ज्यादा उनकी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ा जाता है। सामान्य वार्ड में नर्सें और स्टाफ इन्हें बोझ मानते हैं, क्योंकि न कोई तीमारदार होता है, न भुगतानकर्ता। कई बार तो ऐसे मरीज रेफर कर दिए जाते हैं। ... ‘लावारिस वार्ड के लाभ -सड़क किनारे पड़े घायल, मानसिक रूप से विक्षिप्त या अचेत मरीजों को सबसे पहले यही वार्ड अपनाता था। -पुलिस के पास न तो संसाधन हैं और न चिकित्सा व्यवस्था। लावारिस वार्ड पुलिस के लिए प्राथमिक राहत केंद्र था। -सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग सीधे वहां पहुंचकर मदद कर सकते थे, न कि इधर-उधर भटकते हुए। ... पुलिस की परेशानी बढ़ी हर हफ्ते शहर में ऐसे तीन-चार केस सामने आते हैं जहां कोई बुज़ुर्ग, विक्षिप्त या दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति सड़क किनारे पड़ा मिलता है। पुलिस इन्हें लेकर अस्पताल आती है, लेकिन वहां से जवाब मिलता है, हम कहां रखें? मजबूरी में कुछ को एनजीओ के पास भेजा जाता है। कई तो इलाज के अभाव में दम तोड़ देते हैं। .... वर्जन ... जिला अस्पताल में पहले लावारिस मरीजों के लिए विशेष वार्ड था। काफी समय से वार्ड बंद है। अस्पताल प्रशासन को वार्ड घोषित करना चाहिए। इसकी मांग करेंगे। सुनील कुमार अध्यक्ष, हैंड फॉर हेल्प .... यह सही है कि लावारिस मरीजों के लिए स्थापित वार्ड लंबे समय से बंद है। ऐसे मरीजों को सामान्य वार्ड की एक गैलरी में भर्ती किया जाता है। इसके लिए और बेहतर योजना बना रहे हैं। डॉ. जगवीर वर्मा सीएमएस, मलखान सिंह जिला अस्पताल
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।