महाशिरात्रि विशेष: अमेठी के इन 10 शिव मन्दिरों में उमड़ रहा आस्था का सैलाब, जानिए महत्व
- महाशिवरात्रि पर अमेठी के 10 शिव मन्दिरों में विशेष रूप से दूर-दूर से श्रद्धालु उमड़ रहे हैं। इनका पौराणिक महत्व होने के साथ लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है

अमेठी जिला सियासी रूप से चर्चित होने के साथ ही धार्मिक रूप से भी काफी ज्यादा संपन्न है। जिले मैं सैकड़ो की संख्या में शिव मंदिर स्थित हैं। उनमें से दर्जनों मंदिर ऐसे हैं जो पौराणिक इतिहास समेटे हुए हैं। शिवरात्रि के पर्व पर हिंदुस्तान ने जिले के प्रमुख मंदिरों के इतिहास भूगोल को तलाशने की कोशिश की। प्रस्तुत है एक रिपोर्ट :
गौरीगंज में बसे हैं झारखंड बाबा धाम
जिला मुख्यालय गौरीगंज के श्री माधव नगर में झारखंड बाबा धाम स्थित है। मंदिर की स्थापना अमेठी राज परिवार द्वारा कराई गई थी। जनश्रुति है कि मंदिर में स्थापित शिवलिंग बैलगाड़ी पर लाद कर झारखंड से लाया गया था। इसलिए यहां स्थापित महादेव को झारखंड महादेव के नाम से जाना जाता है। गांव निवासी सेवानिवृत अध्यापक श्यामलाल मौर्य बताते हैं कि 1980 में कटरा लालगंज के प्रधान और समाजसेवी स्वर्गीय देवनारायण सिंह ने राम आधार मौर्य ,गौरी पंडित तथा अन्य लोगों की सहायता से मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। वर्तमान में नगर पालिका परिषद की ओर से वंदन योजना के अंतर्गत यहां पर कई कार्य कराए जा रहे हैं। प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि पर श्री रामचरितमानस पाठ व मेले का आयोजन कराया जाता है। गौरीगंज के मेदन मवई में स्वामी बालकानंद की ओर से स्थापित महेवन नाथ धाम भी लोगों की श्रद्धा का केंद्र है। गढ़ामाफी में भगवान सतेश्वर महादेव पार्वती की ऊंची प्रतिमा भी लोगों की श्रद्धा का केंद्र है। महामृत्युंजय धाम में एक साथ स्थापित 108 शिवलिंग पर भी लोग गहरी आस्था रखते हैं।
बाबा दूधनाथ को पूरा शाहगढ़ करता है जलाभिषेक
शाहगढ़ विकास क्षेत्र में बाबा दूधनाथ का मंदिर स्थित है। अफोइया गांव में स्थित इस मंदिर में शिवरात्रि पर एक बड़ा मेला लगता है। क्षेत्र के निवासी पूर्व विधायक चंद्रप्रकाश मटियारी बताते हैं कि दूधनाथ मंदिर की स्थापना भर साम्राज्य ने कराई थी। बाद में तिलक राम पांडे पुरवा के पांडे परिवार ने मंदिर की देखरेख शुरू की जो कालांतर में अवध बिहारी मिश्रा परिवार के पास है। मंदिर की देखरेख के लिए इस परिवार ने पांच बीघे जमीन भी दे रखी है। शिवरात्रि के दिन यहां कुंवारी कन्याएं मनवांछित वर की कामना लेकर जलाभिषेक करती हैं। सोमवार को मलमास में भी यहां रुद्राभिषेक जलाभिषेक के कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
जामवंत ने स्थापित किया था श्री शंकर बूढ़े बाबा मंदिर
जामो विकास क्षेत्र में स्थापित श्री शंकर बूढ़े बाबा धाम विकास क्षेत्र के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। मंदिर के पुजारी और अन्य स्थानीय लोग बताते हैं कि लंका पर विजय प्राप्त करने के उपरांत जब सभी वानरभालुओं की सेना अयोध्या गई और वहां से लौटी तो रीछपति जामवंत जी ने इसी स्थान पर रुक कर देवाधिदेव महादेव का शिवलिंग स्थापित कर उसकी पूजा अर्चना की थी। इस नगर का नाम जामवंतनगरी के नाम पर था जो बाद में बदलकर जामों के नाम से विख्यात हुआ। इस स्थान पर शिवरात्रि में महादेव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है और बड़ा भव्य मेला का आयोजन किया जाता है। दशहरे पर भी यहां दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित होता है।
पांडवकालीन है अमेठी का मुकुट नाथ धाम
अमेठी का मुकुट नाथ धाम मंदिर पांडवकालीन बताया जाता है। बताते हैं कि यहां वनवास के दौरान पांडवों ने भगवान शिव के मंदिर की स्थापना की थी। शिवलिंग स्वयंभू है। बाद में स्थानीय शुक्ला परिवार ने जन सहयोग से मंदिर का निर्माण कराया। कालांतर में पूर्व विधायक गायत्री प्रसाद प्रजापति, गरिमा सिंह व अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी यहां पर विकास से जुड़े कई कार्य कराए हैं। इंटरनेशनल क्रिकेट खिलाड़ी पंकज सिंह ने एक द्वारा बनवाया है। इस मंदिर से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी हुई है। शिवरात्रि और मलमास में हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन पूजन करते हैं।
भेंटुआ विकासखंड में पिण्डोरिया में हैं जगेशरन महादेव
भेटुआ विकासखंड के पिंडोरिया में जगह शरण महादेव का मंदिर स्थित है मंदिर के पास बनी वाटिका लोगों को सहज ही आकर्षित करती है मंदिर काफी पौराणिक बताया जाता है हजारों की संख्या में लोग शिवरात्रि पर यहां दर्शन पूजन के लिए एकत्र होते हैं।
संग्रामपुर में स्थित है दर्जनों शिव मंदिर
मंदिरों के मामले में संग्रामपुर विकास क्षेत्र काफी संपन्न है। यहां कालिकन धाम के इर्द-गिर्द ही कई शिव मंदिर स्थित है। मां कालिका धाम में गणेश देवतन, ठेंगहा में गौरीशंकर, सहजीपुर में दुखभंजन नाथ प्रसिद्ध प्राचीन शिव मंदिर है। जिनकी अलग अलग जनश्रुतियां है।
टीकरमाफी धाम पर बना है विशाल शिवलिंग
टीकरमाफी में द्वादश ज्योतिर्लिंग तथा विशाल शिव मूर्ति दर्शनीय स्थल हैं। यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव का दर्शन करने के लिए आते हैं। सोनारी कला में स्थित विशाल शिव मंदिर पर भक्त जलाभिषेक करने के लिए जुटते हैं।
भगवान राम ने की दंडेश्वर और देवर्षि नारद ने अर्धनारीश्वर की स्थापना
मुसाफिरखाना विकास क्षेत्र में गोमती नदी के तट पर स्थित डंडेश्वर धाम त्रेता कालीन बताया जाता है। भगवान राम ने ब्रह्म हत्या के पाप के दंड के प्रसिद्ध के रूप में भगवान महादेव की यहां स्थापना की थी। यहां पर सावन माह के साथ ही शिवरात्रि पर भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुड़ते हैं वही गन्नौर में स्थित अर्धनारीश्वर धाम के प्रति श्रद्धालुओं की बड़ी श्रद्धा है। बताया जाता है कि देवर्षि नारद ने यहीं पर कयाधू को इंद्र की ओर से हरण करके ले जाते समय उनको यहीं पर रखा था। प्रहलाद का जनम यहीं हुआ था। यह शिवलिंग देवर्षी नारद ने ही स्थापित किया था। इस शिवलिंग में भगवान शिव अर्धनारीश्वर स्वरूप में है।
बाजारशुकुल में मलबे से निकले कुड़वासुर महादेव
बाजारशुकुल ब्लाक मुख्यालय से चार किलोमीटर दूरी पर रानीगंज मार्ग के किनारे कुड़वासुर महादेव का मंदिर स्थित है। यहां प्रत्येक सोमवार को शिवभक्तों की भीड़ होती है। जलाभिषेक कर लोग पूजन अर्चन करते हैं। किंवदंती है कि सैकड़ों वर्ष पहले यहां लखौरी ईंटों से विशाल शिव मंदिर बना था। इसे आतताइयों ने तोड़ दिया था। काले व सफेद पत्थर की भगवान शिव की मूर्ति मलवे में दबी पड़ी थी। गांव के लोगों ने खुदाई कर मूर्ति निकाली और उसी स्थान पर अवढरदानी का मंदिर बनाने की ठान ली। दो दशक पहले यहां एक बड़ा शिवाला बनाया और शिवलिंग स्थापित की। भूतभावन भगवान शिव के साथ नंदी की चमकती संगमरमर की मूर्ति भी मंदिर में शोभा बढ़ा रही है।
पिछूती के शिवाला पर जुटते हैं भक्त
जगदीशपुर के पिछुती गांव के पास एक बड़ा शिव मंदिर स्थित है। इसे शिवाला के नाम से जाना जाता है। शिव मंदिर सरोवर और फलाहारी बाबा के आश्रम से विकास क्षेत्र के हजारों श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी है। ग्राम प्रधान द्वारा स्थानीय लोगों के सहयोग से मंदिर का जिर्णोद्धार कराया गया है। मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ की पूजन अर्चन से लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती है।
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