Revitalization of Baghpat s Historical Sites Plans for Modern Museums and Tourism Development विश्व विरासत दिवस: ऐतिहासिक स्थलों की कायापलट को शुरू होगा मेगा प्रोजेक्ट, Bagpat Hindi News - Hindustan
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विश्व विरासत दिवस: ऐतिहासिक स्थलों की कायापलट को शुरू होगा मेगा प्रोजेक्ट

Bagpat News - - बरनावा को पर्यटन स्थल बनाने को जल्द पहनाया जाएगा अमलीजामाविश्व विरासत दिवस: ऐतिहासिक स्थलों की कायापलट को शुरू होगा मेगा प्रोजेक्टविश्व विरासत दिव

Newswrap हिन्दुस्तान, बागपतFri, 18 April 2025 02:16 AM
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विश्व विरासत दिवस: ऐतिहासिक स्थलों की कायापलट को शुरू होगा मेगा प्रोजेक्ट

इतिहास के सुनहरे पन्ने बागपत के अमिट इतिहास की कहानी बयां करते हैं। रामायण के वाल्मीकि मंदिर, रावण के नाम पर बड़ागांव और महाभारत के लाक्षागृह के चिह्न यहां आज भी मौजूद हैं। वहीं ताम्रयुगीन सभ्यता के प्रमाण सिनोली में मिल चुके हैं। चर्चाएं तो खूब हुई, फसाने भी बनते रहे, लेकिन अब इनके स्वरूप जल्द बदलने जा रहे हैं। इन महत्वपूर्ण स्थलों की कायाकल्प को खाका भी तैयार हो चुका है और इनपर आधुनिक म्यूजियम से लेकर इन्हें पर्यटन स्थल के रूप में परिवर्तित करने का कार्य भी जल्द शुरू होने जा रहा है। ---------

बरनावा लाक्षागृह: इतिहासकारों के अनुसार दुर्योधन ने पांडवों को खत्म करने की योजना बनाई थी। वारणावर्त (अब बरनावा) में पुरोचन नाम के शिल्पी से ज्वलनशील पदार्थों लाख, मोम आदि से एक भवन तैयार कराया गया था। भवन में आग लगते ही पांडव सुरंग से होकर बाहर सुरक्षित निकल गए थे। यह सुरंग हिडन नदी के किनारे खुलती है। इसके अवशेष आज भी मिलते हैं। गांव के दक्षिण में लगभग 100 फुट ऊंचा और 30 एकड़ भूमि पर फैला हुआ यह टीला लाक्षागृह के अवशेष के रूप में मौजूद है। इस टीले के नीचे 2 सुरंगें स्थित हैं।

योजना: प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति विभाग द्वारा लाक्षागृह को महाभारत सर्किट योजना से जोड़कर वर्ष 2006-07 में करीब डेढ़ करोड़ रुपये की धनराशि से सौंदर्यकरण कराया गया। इसमें सुरंगों का सौन्दर्यकरण, सभा कक्ष, पर्यटकों के लिए शेड, फुटपाथ, सीढियां, स्नानागार व शौचालय आदि का निर्माण हुआ। लाक्षागृह पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा है। लाक्षागृह के विकास के लिए पिछली केंद्र सरकार के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय द्वारा भी लाक्षागृह को स्वदेश दर्शन योजना के आध्यात्मिक परिपथ-1 प्रोजेक्ट के तहत वर्ष 2016 में 1.39 करोड़ की धनराशि से विकास की स्वीकृति दी थी, लेकिन एएसआई के अड़ंगे के चलते यह योजना शुरू ही नहीं हो पाई। अब इस महत्वपूर्ण स्थल के दिन पायलट प्रोजेक्ट के चलते दिन बुहरने वाले हैं।

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पुरा महादेव मंदिर: पुरा महादेव गांव का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि भगवान परशुराम ने हिंडन नदी के किनारे स्थित इस मंदिर की स्थापना की थी। यह वह स्थान है, जहां से कांवड़ यात्रा की शुरुआत मानी जाती है। किवदंती है कि विश्व की पहली कांवड़ यहीं पर शिवलिंग पर चढ़ाई गई थी, और तभी से यह परंपरा शुरू हुई। समय के साथ, इस मंदिर की मान्यता और प्रसिद्धि दिन-प्रतिदिन बढ़ती गई। सावन के महीने में हजारों भक्त यहां जल चढ़ाने आते हैं। हर वर्ष मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंदिर और शिव भक्तों पर पुष्प वर्षा कर का स्वागत करते हैं।

योजना: ऐतिहासिक परशुरामेश्वर महादेव मंदिर को जीर्णोद्धार के अब 66 साल बाद पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए 42 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई हैं और इनमें से चार करोड़ रुपये जारी कर दिए गए। मंदिर को काशी विश्वनाथ की तरह विकसित करने की तैयारी की जा रही है। हिंडन नदी के किनारे पर ऑडिटोरियम बनाया जाएगा, जिसमें बड़े कार्यक्रम कराए जा सकें। इसके अलावा पुजारियों के लिए भवन होंगे और कांवड़ियों के लिए अलग से जगह रहेगी। गेस्ट हाउस, पार्किंग समेत अन्य काफी चीजों को शामिल किया गया है।

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सिनौली: सिनौली पुरास्थल से प्राप्त अत्यंत दुर्लभ पुरा संपदा के कारण पूरी दुनिया के इतिहासकारों, शोधार्थियों के लिए शोध का विषय बना हुआ है। सिनोली उत्खनन से मिली दुर्लभ सामग्री के आधार पर यहाँ विश्व का सबसे बड़ा शवाधान केंद्र मिला। यह मामूली शवाधान केंद्र नहीं ताज बल्कि यह योद्धाओं का शवाधान केंद्र था। 4000 साल पहले के उन योद्धाओं के शव यहां दफनाए गए थे जो युद्धकौशल में बेहद निपुण थे। सिनोली में जो अस्त्र-अस्त्र, युद्ध रथ, ताबूत मिले, वे इससे पहले हुए उत्खनन में नहीं मिले। सिनोली ने न केवल यह साबित किया कि 4000 साल पहले युद्ध कौशल कितनी मजबूत थी बल्कि इस बात पर भी मुहर लगाई कि उनके हथियार व अन्य वस्तुएं कितनी उन्नत थी।

योजना: पर्यटन को बढावा देने के लिए भी प्रदेश सरकार द्वारा बजट में कई घोषणाएं की गई हैं। मुख्यमंत्री पर्यटन स्थलों का विकास योजना के तहत 300 करोड़ का बजट प्रस्तावित किया गया है। पहले यह बजट कम था, लेकिन इस बार इसमे इजाफा किया गया है। ऐसे में इस बजट से बागपत जनपद को भी लाभ मिलने की संभावना जताई जा रही है। संरक्षित घोषित हो चुके सिनोली में जल्द संग्राहलय बनाया जाएगा जिसकी रूपरेखा तैयार हो रही है।

कोट-

संस्कृति मंत्रालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को जनपद के लभी महत्वपूर्ण स्थलों की रिपोर्ट बनाकर पहले ही भेजी जा चुकी है। सिनोली में म्युजियम, बरनावा लाक्षागृह, पुरा महादेव, बड़ा गांव को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का कार्य जल्द शुरू होने वाला है। इसके लिए हाल ही में घोषित बजट में मंजूरी भी मिली थी।

- डॉ अमित राय जैन, वरिष्ठ इतिहासकार

बागपत के पुरा महादेव, लाक्षागृह समेत अन्य महत्वपूर्ण स्थलों को विकसित कराने, पर्यटन क्षेत्र के रूप में उन्हें विकसित करने को पायलट प्रोजेक्ट बना है जिसपर कार्य जल्द शुरू होगा।

- अस्मितालाल, डीएम बागपत

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