Empowering Women From Beedi Making to Water Hyacinth Crafts in Pilibhit नाबार्ड के प्रयास से महिलाओं को बीड़ी बनाने के काम से मिली निजात, Pilibhit Hindi News - Hindustan
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नाबार्ड के प्रयास से महिलाओं को बीड़ी बनाने के काम से मिली निजात

Pilibhit News - पीलीभीत टाइगर रिजर्व के किनारे बसे ग्राम रमपुरिया और महोफ की महिलाएं पहले बीड़ी बनाने का काम करती थीं, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक था। नाबार्ड के सहयोग से, उन्होंने जलकुम्भी के सजावटी सामान बनाना शुरू...

Newswrap हिन्दुस्तान, पीलीभीतFri, 18 April 2025 02:34 AM
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नाबार्ड के प्रयास से महिलाओं को बीड़ी बनाने के काम से मिली निजात

कहावत है कि जहां चाह वहां राह। परिस्थिति चाहे कैसी भी हो। अगर हमारे अंदर कुछ करने की चाहत है तो फिर रास्ते भी बनते चले जाते हैं। इसी को चरितार्थ कर रही हैं पीलीभीत टाइगर रिजर्व जंगल के किनारे बसी ग्राम रमपुरिया और महोफ की बीड़ी बनाने वाली महिला कारीगर जो कि अब जलकुम्भी के सजावटी सामान बनाकर न सिर्फ आत्मनिर्भर हुई हैं। बल्कि पूरे जिले और राज्य स्तर पर अपनी एक अलग पहचान बनायी है। उनके बनाए उत्पादों की खूब मांग हो रही है। यह बंगाली समुदाय के लोग पीलीभीत टाइगर रिजर्व जंगल के किनारे के गांव में बसे हुए हैं। इन गांव के लोगों की आजीविका मुख्य रूप से बीड़ी बनाने और जंगलों पर निर्भरता थी। जंगल के टाइगर रिजर्व घोषित हो जाने के बाद इनकी आजीविका पर असर पड़ा। गांव की अधिकतर महिलाएं बीड़ी बनाने का काम करने लगी, जो कि स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत ही खतरनाक होता है। पूरा दिन एक ही स्थिति में बैठे-बैठे बीड़ी बनाने से महिलाओं को रीड की हड्डी का दर्द, कमर टेढ़ा हो जाना और तंबाकू के लगातार संपर्क में रहने से कैंसर जैसी घातक बीमारियां हो जाती है और पूरा दिन बीड़ी बनाने पर उन्हें मात्र 70 से 100 रुपये की आय प्राप्त होती थी जो कि उनके श्रम को देखते हुए बहुत ही कम थी। इन महिलाओं के पास बीड़ी बनाने के अलावा अन्य कोई काम न होने की वजह से यह महिलाएं इस खतरनाक जोखिम भरे काम को करती थी। इन महिलाओं की समस्या को समझते हुए नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक चंद्रप्रकाश त्रिवेदी ने पहल संस्था के माध्यम से इन महिलाओं के साथ कई बार बैठक करके चर्चा कर निष्कर्ष निकाला कि अगर महिलाओं को निरंतर आय प्राप्त होने वाला कोई और काम सिखाया जाए तो ये महिलाएं यह स्वास्थ्य जोखिम से भरा बीड़ी बनाने का कार्य छोड़ देगी। आज ये महिलाएं बीड़ी बनाने के काम को छोड़कर जलकुंभी के उत्पाद बनाकर आत्मनिर्भर बन गई है। एक उत्पादों की खूब मांग है।

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