Rising Hypertension Among Youth 25 of District Affected तनाव : हंसना भूले लोग, अवसाद का शिकार हो रही युवा पीढ़ी, Bagpat Hindi News - Hindustan
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तनाव : हंसना भूले लोग, अवसाद का शिकार हो रही युवा पीढ़ी

Bagpat News - - 21.4 फीसदी महिलाएं हाइपरटेंशन की शिकारतनाव : हंसना भूले लोग, अवसाद का शिकार हो रही युवा पीढ़ीतनाव : हंसना भूले लोग, अवसाद का शिकार हो रही युवा पीढ़ी

Newswrap हिन्दुस्तान, बागपतSat, 10 May 2025 01:26 AM
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तनाव : हंसना भूले लोग, अवसाद का शिकार हो रही युवा पीढ़ी

जिले के लगभग 25 प्रतिशत लोग उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रैशर) के शिकार हो चुके हैं। इनमें स्कूल कॉलेज जाने वाले 20 से 25 साल के विद्यार्थी भी शामिल हैं। यह अच्छे संकेत नहीं हैं। समय रहते दिनचर्या और खानपान न बदला तो आने वाले समय में बीमारी भयावह हो सकती है। चौंकाने वाली बात यह है कि 21.4 फीसदी महिलाएं और 25.5 फीसदी पुरुष हाइपरटेंशन के शिकार हैं। जिले की कुल आबादी लगभग 14.67 लाख है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वे-5 (2019-21) में जिले की 15 साल या इससे अधिक की आबादी के रक्तचाप का आंकड़ा दिया गया है। इसके मुताबिक पुरुष इस बीमारी के शिकंजे में बुरी तरह फंसे हुए हैं।

माइल्ड यानि हल्के बीपी के शिकार पुरुषों का प्रतिशत 25.5 है। जबकि मध्यम दर्जे की बीमारी से 6 प्रतिशत लोग घिरे हुए हैं। सबसे ज्यादा खतरनाक हाई बीपी है। यह 140 से लगातार ऊपर रहता है। ऐसे पुरुषों का प्रतिशत 18 है। इसी तरह महिलाओं का आंकड़ा थोड़ा कम है। महिलाओं में हल्के बीपी की शिकार 13.3, मध्यम दर्जे की मरीज 6 और उच्च रक्तचार की शिकार 21.4 प्रतिशत हैं। हाई बीपी के शिकार लोग नियमित दवाइयों पर चल रहे हैं। डाक्टर बीपी के मुताबिक इनकी डोज घटाते और बढ़ाते रहते हैं। यह बहुत चिंताजनक आंकड़े हैं। बीपी बढ़ने का सबसे बड़ा कारण मोटापा है। खानपान की बात करें तो सफेद नमक जहर समान है। चिकनाई से भी बीपी बढ़ता है। अब 23 से 25 साल की उम्र वालों को भी बीपी की दिक्कत होने लगी है। काम और करियर का तनाव, अनियमित खानपान, स्ट्रीट साइड फूड्स खाना, कुछ भी तला खाना मुख्य कारण है। डिप्रेशन के कारण कुंठा, अवसाद, चिडचिड़ापन यहां तक कि आत्महत्याओं का ग्राफ भी दिनो-दिन बढ़ता जा रहा है। पिछले 4 दिनों में 4 लोग सुसाइड कर चुके हैं जिनमे से 3 छात्र शामिल हैं। बहुत से बुजुर्ग बताते हैं कि पहले हंसी के ठहाके लगा करते थे, लेकिन आज के समय में व्यक्ति तेज हंसता हुआ भी शर्माता है कि कहीं उसकी इंसल्ट न हो जाये। मनोचिकित्सक डॉ प्रज्ञा ने बताया कि कोरोना के कारण अवसाद का ग्राफ बढ़ा है। तीन माह में दो ऐसे व्यक्ति उनके पास आए जो आत्महत्या की सोच रहे थे, लेकिन काउंसिलिंग और दवाओं से आज वह ठीक हो चुके हैं। उनका मानना है कि 100 व्यक्तियों में 10 अवसाद से ग्रसित हैं। क्या कहते है विशेषज्ञ: मनो वैज्ञानिक डॉ अंशु अग्रवाल का कहना है कि अक्सर यह सुनने और देखने को मिलता है कि हमारा युवा वर्ग डिप्रैशन में रहता है, हर वक्त तनाव में जीता है और निराशा का दामन थाम लेता है। असल में अवसाद या डिप्रैशन अनेक भावनाओं को जन्म देता है जैसे कुंठा, आक्रोश, क्रोध या इस तरह की सोच जिसमें व्यक्ति या तो अपने को बहुत छोटा समझने लगता है यानी हीन भावना का शिकार हो जाता है या फिर इसके विपरीत अपने को सबसे ऊपर मानने लगता है यानी सुपीरियर काम्प्लैक्स का शिकार हो जाता है। ---------------

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