डॉ. विद्यासागर को ‘याज्ञवल्क्य प्रज्ञा सम्मान मिलने से हर्ष
Balia News - नेपाल के जनकपुर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय मानस मंथन एवं सम्मान समारोह में डॉ विद्यासागर उपाध्याय को ‘याज्ञवल्क्य प्रज्ञा सम्मान’ से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें मानस में सामाजिकता पर...
नगरा, हिन्दुस्तान संवाद। नेपाल की सहकारी संस्था सरस्वती राजनारायण प्रतिष्ठान साहित्य संवर्धन समिति की ओर से आयोजित अंतर्राष्ट्रीय मानस मंथन एवं सम्मान समारोह में जिले के डॉ विद्यासागर उपाध्याय को ‘याज्ञवल्क्य प्रज्ञा सम्मान से विभूषित किए जाने पर जनपद के विद्वत समाज में हर्ष व्याप्त है। बता दें कि यह आयोजन नेपाल के जनकपुर के रौनियार धर्मशाला पर बीते सात अप्रैल को आयोजित था। डॉ. उपाध्याय को यह सम्मान मानस मंथन के ‘मानस में समाजिकता विषय पर व्याख्यान देने पर मिला है। डॉ विद्यासागर उपाध्याय ने बताया कि श्रीमद्भगवद्गीता और रामचरितमानस दोनों लोकप्रिय ग्रंथ हैं। अंतर यह है कि गीता मरना सिखाती है और मानस जीना।
आदर्श जीवन कैसे जिया जाय, इसके लिए मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्श को मानस ने जन-जन तक पहुंचा दिया। मानस की सामाजिकता और आज की सामाजिक व्यवस्था में तुलना करते हुए डॉ. उपाध्याय ने कहा कि मानस की शिक्षा विश्वामित्र की शिक्षा थी, जो सबके लिए थी जबकि महाभारत की द्रोण की शिक्षा केवल राजकुमारों की लिए थी और आज की शिक्षा का उद्देश्य तो पूरी तरह धनोपार्जन हो चुका है। डॉ. उपाध्याय को यह सम्मान मिलने पर नगर की चेयरमैन इंदू, पूर्व प्रमुख निर्भय प्रकाश, अनिल सिंह, डॉ आरएस वर्मा, पूर्व प्रवक्ता कामता शास्त्री, उमाशंकर राम, प्रभुनाथ गुप्त ने बधाई दी है।
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