संस्कार और संस्कृतियुक्त शिक्षा के लिए सर्वोत्तम है राधा-कृष्ण का चरित्र
Balia News - बलिया के नगवां गांव में राधा-माधव महामहोत्सव का समापन हुआ। यज्ञाचार्य धनंजय कृष्ण शास्त्री ने हवन-पूजन कराया। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भगवान का दर्शन किया। भागवत कथा प्रवचन में बताया गया कि यह कथा मानव...

बलिया, संवाददाता। जिले के नगवां गांव स्थित महाराजजी की ठाकुरबाड़ी में चल रहे राधा-माधव महामहोत्सव के अंतिम दिन शुक्रवार को यज्ञाचार्य धनंजय कृष्ण शास्त्री सहयोगी आचार्यों के साथ वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हवन-पूजन और ध्वाजारोहण कराया। इसके बाद सैकड़ों श्रद्धालु महिला-पुरुष ने जयकारों के बीच राधा माधव भगवान का दर्शन पूजन किया। इसके साथ ही महामहोत्सव में छह दिनों से चल रहे श्रीमद्भागवत महापरायण पाठ का विश्राम हुआ। महामहोत्सव में यजमान व आयोजनकर्ता पं. अश्वनी कुमार उपाध्याय के हाथों विधि से स्नपन, सृष्टि न्यास, श्रृंगार पूजा कराई गई। इस मौके पर धनंजय उपाध्याय, जितेन्द्र पाण्डेय, पं जनार्दन चौबे, सत्येंद्र पाठक,संजय पाण्डेय, जितेन्द्र पाण्डेय अवनीश उपाध्याय , संजीव पाठक, शशिभूषण पाठक, रामजी पाठक, ब्रह्मा शंकर पाण्डेय, निखिल पाठक आदि थे।
भागवत कथा प्रवचन के अंतिम दिन गुरुवार की रात धनंजय कृष्ण शास्त्री महाराज ने कहा कि भागवत कथा मनुष्य के लिए औषधि के समान है। जैसे भगवान के चरणों से निकली गंगा जीवन को मोक्ष प्रदान करती है, उसी प्रकार भगवान के चारित्रिक रूप से निकली भागवत कथा सुनने-सुनाने और आयोजनकर्ताओं का कल्याण करती है। बताया कि श्रीकृष्ण जगत के निर्माता एवं संरक्षक हैं, जबकि राधा उनके साथ प्रेम और भक्ति से जुड़ने का माध्यम। कहा कि राधा-कृष्ण का चरित्र हमें संस्कार व संस्कृति से युक्त शिक्षा देता है।
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