सीडीओ के सख्त निर्देश के बाद भी गांवों के सूखे पड़े तालाब
Balia News - बलिया में गर्मी बढ़ने के साथ ही तालाब सूखने लगे हैं, जिससे पशु-पक्षी पानी के लिए तरस रहे हैं। मुख्य विकास अधिकारी ने पंचायतों को तालाबों में पानी भरने का निर्देश दिया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार,...

बलिया, संवाददाता। मौसम की तल्खी बढ़ने के साथ ही शहर से लगायत ग्रामीण क्षेत्रों के ताल तलैया सूखने लगे हैं। इससे पशु-पक्षी बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। मुख्य विकास अधिकारी ओजस्वी राज ने पंचायतों को तालाबों में पानी भरवाने का सख्त निर्देश जारी किया गया है। लेकिन ‘हिन्दुस्तान टीम ने रविवार को कुछ ब्लॉक के पंचायतों में स्थित अमृत सरोवरों की पड़ताल किया। इस दौरान अधिकांश गांवों में स्थित तालाबों में धूल उड़ते नजर आए। उधर, सरकारी आंकड़ों में अमृत सरोवर के लिए 441 तालाब चिह्नित है, जिसमें तीन सौ से अधिक पूर्ण हो चुके हैं, इसके अलावा ग्रामसभा की गड़ही आदि है।
वर्तमान में हिंदी के वैशाख और अंग्रेजी का मई का महीना चल रहा है और पशु-पक्षी प्यास बुझाने के लिए भटकते दिख रहे हैं। जबकि सबसे अधिक तपिश का महीना जेठ की गर्मी आनी बाकी है और ग्रामीण इलाकों में भूगर्भ जलस्तर खिसकने से हैंडपम्प जवाब देने लगे हैं और जिम्मेदार मौन धारण किए हैं। पूर हिसं के अनुसार गर्मी का सीजन शुरू होने के साथ ही ब्लॉक क्षेत्र के पोखरे एवं तालाब सूखने लगे हैं। ऐसी स्थित में घुमंतु जंगली पशु और पक्षी प्यास बुझाने के लिए भटक रहे हैं। गांवों में मनरेगा के तहत खोदे गए पोखरों और अमृत सरोवरों में कुछ को छोड़ अधिकांश का हाल बेहाल है। अभी तो मई महीने की शुरुआत हुई है। जैसे-जैसे गर्मी अपना प्रकोप दिखाएगी वैसे वैसे गांवों में जल संरक्षण के लिए खोदे गए अमृत सरोवरों की हकीकत सामने आती जायेगी। रेवती हिसं के अनुसार सरकारी आंकड़ों में स्थानीय ब्लॉक में 11 अमृत सरोवर हैं। इसमें नौ अभी ही सुख गए हैं। विशुनपुरा और हुसेनाबाद के एक-एक अमृत सरोवर के तलहटी में मामूली पानी है। हड़िहा कला के सुशील सिंह ने बताया कि मेरी पत्नी जब प्रधान थी। उस समय अमृत सरोवर पर 15 लाख खर्च करना है। बाद में बजट घटा कर छह लाख कर दिया गया। हकीकत यह है कि मौके पर महज ढ़ाई लाख ही रुपया खर्च हुआ। एपीओ अमित कुमार सिंह ने बताया कि केवल सरोवरों की सफाई और कच्ची बांध बनाना था। विशुनपुरा में पानी होने की वजह बगल में सरकारी नलकूप है। वहीं हुसेनाबाद सरोवर के नीचे पुराना जलस्रोत होने से तलहटी में कुछ पानी है।
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