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बोले बलरामपुर-दस हजार आबादी के लिए केवल एक सफाई कर्मचारी

Balrampur News - जरवा क्षेत्र की लगभग 10 हजार आबादी गंदगी और दुर्गंध से परेशान है। सफाई व्यवस्था ध्वस्त होने के कारण कूड़े के ढेर चारों ओर फैले हैं। केवल एक सफाई कर्मी की तैनाती से समस्या का समाधान नहीं हो रहा है।...

Newswrap हिन्दुस्तान, बलरामपुरMon, 5 May 2025 04:46 PM
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बोले बलरामपुर-दस हजार आबादी के लिए केवल एक सफाई कर्मचारी

जगह-जगह फैले कूड़े के ढेर से उठ रही दुर्गंध, लोगों की परेशानियों पर जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान समस्या जरवा, संवाददाता। जरवा क्षेत्र की लगभग 10 हजार आबादी गंदगी से जूझ रही है। कस्बे की सफाई व्यवस्था ध्वस्त है। जगह-जगह कूड़े के ढेर फैले हैं। कूड़ों के ढेर से उठने वाली दुर्गंध लोगों की परेशानी का सबब बन गई है। सफाई कर्मी अपने काम में लापरवाही बरत रहे हैं। कूड़ा निस्तारण केन्द्र की स्थापना नहीं कराई गई है। यहां केवल एक सफाई कर्मी के भरोसे स्वच्छता व्यवस्था का दम भरा जा रहा है। कस्बावासियों का आरोप है कि सफाई कर्मी वर्ष में केवल एक बार आता है।

नालियां कूड़ों के ढेर से पट चुकी हैं। दुर्गंध व गंदगी के चलते लोगों का सांस लेना दुश्वार हो गया है। नेपाल सीमा सटे जरवा बाजार में गंदगी के कारण कभी भी संक्रामक बीमारी पांव पसार सकती है। भारत-नेपाल सीमा से सटे जरवा कस्बे की आबादी लगभग दस हजार है। यहां की सफाई व्यवस्था भगवान भरोसे है। सफाई के लिए यहां केवल एक कर्मी की तैनाती है। ग्रामीणों की मानें तो उसकी झाड़ू केवल जरवा गांव तक ही चलती है। यहां कई स्थानों पर कूड़ा बिखरा पड़ा है। लोगों का कहना है कि सफाई कर्मी की लापरवाही से कूड़े का उठान समय पर नहीं हो रहा है। चारों ओर फैला कूड़ा देखकर ऐसा लगता है कि जैसे कस्बे की सफाई वर्षों से नहीं कराई गई है। जगह-जगह लगे कूड़े के ढेर को निराश्रित मवेशी चारों ओर बिखेर देते हैं। हवा चलने पर कूड़ा लोगों के घरों के साथ दुकानों में उड़कर भर जाता है। वर्षाकाल में कूड़े का ढेर सड़ने से उसमें भीषण दुर्गंध उठती है, जिससे लोगों का सांस लेना दुश्वार हो जाता है। कस्बा वासियों ने बताया कि समस्या को लेकर कई बार जिम्मेदार अधिकारियों के साथ जनप्रतिनिधियों से शिकायत की गई लेकिन यहां की सफाई व्यवस्था का दुरुस्त नहीं किया गया। जरवा बाजार में साल में एक ही बार सफाई कर्मी की झाड़ू चलती है। चारों ओर गंदगी का अंबार लगा होने से लोगों को आवागमन में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सड़क पटरियों पर फैला कूड़ा नालियों में भरा हुआ है। नालियां चोक हैं, उसमें से दुर्गंध उठ रही है। दुर्गंध के चलते कस्बावासियों को संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा सता रहा है। साथ ही नालियां पटी व गंदगी होने से जल जमाव के कारण उसमें भारी तादात में मच्छर अभी से ही पनपने लगे हैं। आबादी के हिसाब से हो सफाई कर्मियों की तैनाती जरवा कस्बा वासियों का कहना है कि बाजार में पर्याप्त संख्या में सफाई कर्मियों की तैनाती कराना आवश्यक है। इस क्षेत्र में कम से कम पांच सफाई कर्मियों की तैनाती होने पर ही यहां की सफाई व्यवस्था दुरुस्त कराई जा सकती है। लोग घरों का कूड़ा सड़क पटरियों के साथ इधर-उधर फेंक देते हैं, जिससे बाजार में काफी गंदगी फैली हुई है। चारों तरफ प्लास्टिक की थैलियां बिखरी हैं। छुट्टा जानवर बाजार में कूड़ों के ढेर को फैला देते हैं। यह समस्या कई वर्षों से बनी हुई है, लेकिन अभी तक किसी ने इस समस्या की ओर ध्यान नहीं दिया। लोगों का कहना है कि कूड़ों के सड़ने पर संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। कस्बे में त्वचा सम्बन्धी बीमारियां अक्सर देखने को मिलती है। कस्बा के दुकानदार सफाई कर्मियों के तैनाती की मांग को लेकर कई बार जिम्मेदारों से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन आज तक इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। उनका कहना है कि कस्बे में गंदगी इस कदर फैली है कि सांस लेना मुश्किल हो जाता है। तेज हवा चलने पर घरों व दुकानों में कूड़ा भर जाता है। बाजार आने वाले लोगों को सड़कों पर चलना मुश्किल हो गया है। दुर्गंध के चलते लोग मुंह पर रुमाल रखकर चलने को मजबूर रहते हैं। गंदगी का पर्यटकों पर पड़ रहा दुष्प्रभाव वन विभाग ने जरवा क्षेत्र स्थित जनकपुर रेंज के रेस्ट हाउस को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया है। पर्यटकों का आवागमन भी तेजी से शुरू हुआ है। खाने-पीने की वस्तुएं जरवा बाजार में ही मिलती हैं। पर्यटक जरवा बाजार में रुककर रेस्ट हाउस के लिए रवाना होते हैं। वे गंदगी देखकर नाक भौं सिकोड़ते हैं। कस्बे में फैली गंदगी का दुष्प्रभाव पर्यटन स्थल पर भी पड़ रहा है। वहीं नालियों में कूड़ा भरने से जल जमाव की स्थिति है। कस्बावासी संक्रामक बीमारियों के फैलने के खतरे से डर रहे हैं। नालियां चोक होने से कस्बे की जल निकासी बाधित है। वर्ष भर से सफाई न होने के चलते नालियों से दुर्गंध निकल रही है। कूड़े के ढेर पर निराश्रित मवेशियों ने अपना आशियाना बना रखा है। वे कूड़े के ढेर में खाने-पीने की वस्तुएं तलाशते रहते हैं। जिससे कूड़ा अन्य स्थानों पर फैल जाता है।

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