बोले बाराबंकी:अड्डों पर सन्नाटा, सड़क से पकड़नी होती है बस
Barabanki News - बाराबंकी का अंतरराष्ट्रीय बस अड्डा लंबी दूरी की बसों के लिए केवल औपचारिकता बनकर रह गया है। बसें शहर में नहीं आतीं, जिससे यात्रियों को कनेक्टिविटी की समस्याएं हो रही हैं। परिवहन विभाग की लापरवाही और...

बाराबंकी। अंतरराष्ट्रीय बस अड्डा होने के बावजूद यह लंबी दूरी की बसों के लिए महज एक औपचारिकता बनकर रह गया है। बसें सीधे शहर में दाखिल ही नहीं होतीं, जिससे यात्रियों को कनेक्टिविटी का संकट झेलना पड़ता है। इस पूरे अव्यवस्था के लिए परिवहन विभाग की लापरवाही और स्थानीय प्रशासन की उदासीनता सबसे बड़ी वजह मानी जा रही है। विभाग न तो नियमित मॉनिटरिंग करता है, न ही बस चालकों पर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती है। यात्रियों की मांग है कि या तो बस अड्डों पर अनिवार्य रूप से बसों की एंट्री सुनिश्चित की जाए या फिर बस स्टॉप की संख्या और संरचना में सुधार किया जाए ताकि सड़क पर जान जोखिम में डालकर बस पकड़ने की मजबूरी खत्म हो सके।
अब देखने वाली बात यह होगी कि जिम्मेदार अधिकारी इस अव्यवस्था को सुधारने के लिए कब कदम उठाते हैं। आम जनता को राहत दिलाने के लिए ठोस योजना और सख्त कार्रवाई की जरूरत है। सफेदाबाद रोडवेज बस अड्डा की भूमि पर अवैध कब्जा: लखनऊ से सटे सफेदाबाद में स्थित रोडवेज बस स्टेशन की मूल भूमि पर ही अब अवैध कब्जा हो चुका है। नतीजतन, न तो यात्रियों को आवश्यक सुविधाएं मिल पा रही हैं और न ही बसों का संचालन ठीक ढंग से हो पा रहा है। सफेदाबाद क्षेत्र, जो लखनऊ-बाराबंकी के बीच एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, वहां बनाए गए रोडवेज बस स्टेशन का अब अस्तित्व केवल कागजों में बचा है। जबकि सफेदाबाद इलाका शैक्षिक दृष्टिकोण से भी बहुत ही महत्वपूर्ण हो गया है यहां पर कई इंजीनियरिंग कॉलेज वह बड़े शिक्षण संस्थान में हैं। दो मेडिकल कॉलेज भी संचालित हो रहे हैं। यहां देश के कोने-कोने से छात्र-छात्राएं पहुंचकर पढ़ाई भी करते हैं बस स्टेशन न होने के चलते इनको आवागमन में हर दिन तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। चौपुला और असेनी मोड़ पर उतारे जाते यात्री: लखनऊ से बाराबंकी की ओर आने वाली रोडवेज बसों में सवार होने वाले यात्रियों को लगातार बस चालकों और परिचालकों की मनमानी का शिकार होना पड़ रहा है। खासकर चौपुला और असेनी मोड़ जैसे प्रमुख स्थानों पर बसें रुक तो जाती हैं, लेकिन यात्री बस अड्डे तक पहुंचने से पहले ही बीच रास्ते में उतार दिए जाते हैं। इससे बाराबंकी की स्थानीय सवारियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। स्थानीय यात्रियों की शिकायत है कि लखनऊ से चलने वाली बसों में चालक और परिचालक बाराबंकी की सवारियों को बैठाने में आनाकानी करते हैं। कई बार तो सीटें खाली होने के बावजूद यह कहकर मना कर दिया जाता है कि बस फुल है या सीधी सवारी चाहिए। इससे कामकाजी लोग, छात्र-छात्राएं और आम नागरिकों को वैकल्पिक साधनों का सहारा लेना पड़ता है, जो या तो महंगे होते हैं या असुरक्षित। अधूरी योजना, प्रशासन की उदासीनता : जिले में करीब 300 गांवों तक बसें पहुंचाने की योजना को लेकर परिवहन विभाग ने कागजी तैयारी तो कर ली थी, लेकिन न तो पर्याप्त बसों का इंतजाम किया गया और न ही रूट तय करने की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया गया। बसों की कमी का कारण चालक और परिचालक की नियुक्तियों में देरी, डीजल लागत और रख-रखाव का बजट न मिल पाना भी बताया जा रहा है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के लोग मांग कर रहे हैं कि पुराने बस रूटों को फिर से शुरू किया जाए और नई बसें चलाकर गांवों को मुख्य मार्गों से जोड़ा जाए। खासतौर पर स्कूल-कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्राओं, बुजुर्गों और महिलाओं के लिए यह सुविधा अत्यंत आवश्यक है। रामसनेहीघाट में बस अड्डे का निर्माण अभी अधूरा है, जबकि सिरौली गौसपुर और फतेहपुर जैसे इलाकों में विभाग के खुद के बस अड्डे का नामोनिशान तक नहीं है। यहां रोडवेज बसें सड़कों पर ही रुकती हैं, जिससे यात्रियों को असुविधा के साथ-साथ सुरक्षा जोखिम भी उठाना पड़ता है।फतेहपुर में परिवहन विभाग द्वारा बस अड्डे का संचालन एक किराए के भवन में किया जा रहा है, जिससे यात्रियों को मूलभूत सुविधाएं जैसे बैठने की जगह, शौचालय, पेयजल आदि तक ठीक से उपलब्ध नहीं हैं। बस अड्डों पर न तो शेड हैं, न ही साफ-सफाई की व्यवस्था। महिला यात्रियों के लिए तो यह स्थिति और भी ज्यादा असहज और असुरक्षित बन चुकी है। बार-बार शिकायतों के बावजूद न परिवहन विभाग हरकत में आता है और न ही जिला प्रशासन कोई ठोस कार्रवाई करता है। हैदरगढ़ बस अड्डे से सिर्फ एक बस का संचालन : दो वर्ष पहले ढाई करोड़ लागत से बना हैदरगढ़ बस स्टेशन यात्रियों के बेकार साबित हो रहा। हैदरगढ़ डिपो के नाम से लखनऊ,सुल्तानपुर,वाराणसी, अयोध्या एवं कानपुर के लिए कई बसें चलती हैं। लेकिन कोई भी बस स्टेशन के अंदर नहीं आती है। लखनऊ-सुल्तानपुर हाइवे पर मुख्य चौराहे से ही निकल जाती हैं। हैदरगढ़ डिपो से चलने वाली सभी बसों का संचालन लखनऊ से होता है। मात्र एक बस रायबरेली के लिए हैदरगढ़ स्टेशन से चलती है। रामसनेहीघाट, फतेहपुर और सिरौली गौसपुर में नहीं है कोई बस अड्डा: रामसनेहीघाट में बस अड्डे का निर्माण अभी अधूरा है, जबकि सिरौली गौसपुर और फतेहपुर जैसे इलाकों में विभाग के खुद के बस अड्डे का नामोनिशान तक नहीं है। रोडवेज बसें सड़कों पर ही रुकती हैं, जिससे यात्रियों को असुविधा के साथ-साथ सुरक्षा जोखिम भी उठाना पड़ता है।फतेहपुर में परिवहन विभाग द्वारा बस अड्डे का संचालन एक किराए के भवन में किया जा रहा है, जिससे यात्रियों को मूलभूत सुविधाएं जैसे बैठने की जगह, शौचालय, पेयजल आदि तक ठीक से उपलब्ध नहीं हैं। बस अड्डों पर न तो शेड हैं, न ही साफ-सफाई की व्यवस्था। महिला यात्रियों के लिए तो यह स्थिति और भी ज्यादा असहज और असुरक्षित बन चुकी है। बार-बार शिकायतों के बावजूद न परिवहन विभाग हरकत में आता है और न ही जिला प्रशासन कोई ठोस कार्रवाई करता है। हैदरगढ़ बस अड्डे से सिर्फ एक बस का संचालन : दो वर्ष पहले ढाई करोड़ लागत से बना हैदरगढ़ बस स्टेशन यात्रियों के बेकार साबित हो रहा। हैदरगढ़ डिपो के नामसे लखनऊ,सुल्तानपुर,वाराणसी, अयोध्या एवं कानपुर के लिए कई बसें चलती हैं। लेकिन कोई भी बस स्टेशन के अंदर नहीं आती है। लखनऊ-सुल्तानपुर हाइवे पर मुख्य चौराहे से ही निकल जाती हैं। हैदरगढ़ डिपो से चलने वाली सभी बसों का संचालन लखनऊ से होता है। मात्र एक बस रायबरेली के लिए हैदरगढ़ स्टेशन से चलती है। बोले जिम्मेदार: एआरएम जमीला खातून का इस बारे में कहना है कि बंकी डिपो की बसें तय समय पर चलती हैं। रूटों पर स्टापेज से यात्रियों को किसी प्रकार की समस्याएं नहीं हैं। आरएम कार्यालय को अनुबंधित बसों के लिए टेंडर कराने की मांग की गई है। जो नए रूट चिन्हित हैं बसें मिलने पर असेवित क्षेत्रों तक परिवहन सुविधाएं पहुंचेंगी।
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