बोले बाराबंकी-स्कूलों तक जाने के लिए हों सुगम रास्ते,सुरक्षा भी मिले
Barabanki News - बाराबंकी में महिला शिक्षिकाओं के लिए सुरक्षा और बुनियादी सुविधाओं की कमी चिंता का विषय है। कई शिक्षिकाएं छेड़खानी का शिकार हो चुकी हैं और स्कूलों की इमारतें जर्जर हैं। पानी की व्यवस्था खराब है और...

बाराबंकी। दूरदराज के इलाकों में सुरक्षा का अभाव भी शिक्षिकाओं के लिए चिंता का विषय है। स्थानीय पुलिस की ओर से नियमित गश्त की व्यवस्था नहीं है। कई शिक्षिकाएं राह चलते छेड़खानी जैसी घटनाओं की शिकार हो चुकी हैं। अगर किसी दुर्घटना में घायल हो जाती हैं तो इलाज के लिए विभागीय स्तर से कोई विशेष आर्थिक सहायता नहीं दी जाती। खुद के खर्च पर इलाज कराना पड़ता है। कई स्कूलों की इमारतें जर्जर हालत में हैं। दरारें पड़ी दीवारें और टूटती छतें किसी बड़े हादसे को न्योता दे रही हैं। जिले के तमाम स्कूलों में पीने के पानी की व्यवस्था बेहद खराब है।
कई जगह हैंडपंप खराब पड़े हैं और स्वच्छ पानी उपलब्ध नहीं है। बिजली की सप्लाई भी अनियमित है, जिससे गर्मी के दिनों में शिक्षकों और बच्चों दोनों को परेशानी होती है। साफ-सफाई और शौचालयों की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। कई स्कूलों में महिला शिक्षिकाओं के लिए सुरक्षित और साफ शौचालय तक उपलब्ध नहीं हैं। पढ़ाई में व्यवहारिक दिक्कतें: कई शिक्षिकाओं ने बताया कि बच्चों के लगातार स्कूल न आने, मूलभूत संसाधनों की कमी और समय-समय पर गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाए जाने के कारण पढ़ाई प्रभावित होती है। कई बार आंगनबाड़ी सर्वे, चुनाव ड्यूटी, जनगणना जैसे कार्यों में शक्षिकिाओं को अनिवार्य रूप से लगाना पड़ता है, जिसकी वजह से शक्षिण कार्य हाशिए पर चला जाता है। मैटरनिटी और चाइल्ड केयर लीव में भी आती है अड़चन:मैटरनिटी लीव या चाइल्ड केयर लीव की स्वीकृति में भी शिक्षिकाओं को विभागीय दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। कई बार महीनों तक फाइलें लंबित रहती हैं, जिससे शिक्षिकाओं को मानसिक तनाव झेलना पड़ता है। स्थानीय प्रशासन की अनदेखी: महिला शिक्षिकाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय पुलिस की गश्त बहुत कम देखने को मिलती है। कुछ स्कूलों के आसपास तो हालात इतने खराब हैं कि छुट्टी के बाद घर लौटते समय शिक्षिकाओं को समूह में सफर करना पड़ता है। महिला शिक्षिकाएं चाहती हैं कि उन्हें गृह जिले या नजदीकी क्षेत्र में तैनाती मिले, सड़क व सुरक्षा व्यवस्था सुधारी जाए, स्कूल भवनों की मरम्मत हो, और गैर शैक्षणिक कार्यों से कुछ हद तक राहत दी जाए ताकि वे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शक्षिा दे सकें। बच्चों के एडमिशन के लिए नहीं बन पा रहे आधार : हैदरगढ़। विद्यालय में पढ़ने वाले एवं नवीन नामांकन के लिए स्कूल आने वाले बच्चों का डाटा विभाग द्वारा पोर्टल में फीड कराया जा रहा है। इसके लिए बच्चों का आधार कार्ड अनिवार्य है। ज्यादातर बच्चों के पास आधार कार्ड नहीं है। बच्चे का आधार बनवाने के लिए अभिभावक या शिक्षक डाकघर हैदरगढ़ या बीएसएनएल व ब्लॉक कार्यालय स्थित आधार सेवा केंद्र पर जाना पड़ता है। इस समस्या से भी इस समय शिक्षिकाओं को जूझना पड़ रहा है। हैंडपंप खराब,गंदगी से जूझ रहे बच्चे बाराबंकी। कई परिषदीय स्कूलों में हैंडपंप खराब होने के कारण पीने के पानी की समस्या विकराल होती जा रही है। गर्मी के चलते इस समय बच्चों व शिक्षिकाओं को पेयजल की किल्लत से जूझना पड़ रहा है। कई स्कूलों में बच्चों को दूषित पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है। शुद्ध पेयजल न होने से बच्चों के स्वास्थ्य पर भी खतरा मंडरा रहा है। इसके साथ ही विद्यालय परिसर में गंदगी और साफ-सफाई की भारी कमी देखने को मिल रही है। जिससे संक्रमण फैलने की आशंका बढ़ गई है। संबंधित विभागों की लापरवाही से बच्चों को बुनियादी सुविधाओं के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। कई शिक्षिकाओं व बच्चों ने बताया कि इस बारे में विभागीय अधिकारियों से शिकायत की गई है लेकिन किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है। महिला का आवंटन सुविधाजनक स्कूलों पर की जाए:प्रदेश उपाध्यक्ष महिला शिक्षक संघ अलका गौतम का कहना है कि महिलाओं को ऐसे विद्यालय आवांटित किये जाएं जहां आवागमन के संसाधन उपलब्ध हों। इसके साथ ही महिलाओं की सुरक्षा को देखते हुए विद्यालयों में उनकी तैनाती दी जाए। शासन ने बच्चों की छुट्टी के बाद एक घंटा और विद्यालय में रुकने के आदेश दिये हैं। जिससे दूर दराज या आबादी से दूर बने विद्यालयों में शिक्षिकाओं को असुविधा हो सकती है। इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
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