बोले बरेली: कम ब्याजदर पर लोन चाहते हैं फोटोग्राफर
Bareily News - डिजिटल कैमरों और स्मार्टफोन की लोकप्रियता के कारण फोटोग्राफरों की मांग में कमी आई है। पहले बर्थडे पार्टी और छोटे कार्यक्रमों में फोटोग्राफर बुलाए जाते थे, लेकिन अब केवल शादियों में ही उनकी आवश्यकता...

स्माइल प्लीज... कह कर हमारी-आपकी प्यारी मुस्कान कैमरे में कैद कर लेने वाले फोटोग्राफरों के चेहरे की हंसी कम होती जा रही है। डिजिटल कैमरों और स्मार्टफोन की बढ़ती लोकप्रियता ने प्रतिस्पर्धा बढ़ा दी है। ड्रोन और 360 डिग्री फोटोग्राफी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस दौर ने गंभीर चुनौतियां खड़ी की हैं। ग्राहकों की अपेक्षाएं बढ़ी हैं तो मार्केटिंग और वित्तीय प्रबंधन जैसे पेच भी हैं। पहले बर्थडे पार्टी, छोटे-छोटे प्रोग्रामों तक में लोग फोटोग्राफर्स को बुलाते थे, आज इनकी डिमांड महज शादियों तक सिमटकर रह गई है। जिले में फोटोग्राफरों की ठीक-ठाक संख्या में है। ऑनलाइन के चलन से इस कारोबार की चमक-दमक भी कम हो रही है। गुजरे हुए लम्हों को मैं एक बार तो जी लूं, कुछ ख्वाब तेरी याद दिलाने के लिए हैं। मिर्जा गालिब का ये शेर खुशी भरे लम्हों की यादों को संजोकर देने वाले फोटोग्राफर्स व फोटो स्टूडियो संचालकों पर खरा उतरता है। फिल्म वाले कैमरों से डिजिटल तक का सफर तय करने वाले इन फोटो आर्टिस्ट का कारोबार स्मार्टफोन के चलते हाशिए पर आ चुका है।
‘हिन्दुस्तान से चर्चा में फोटोग्राफरों ने अपनी समस्याओं की ‘तस्वीर सामने रखी। कहा, मौजूदा दौर में ज्यादातर युवा ही फोटोग्राफी व्यवसाय में हैं। इन्होंने डिजिटल फोटोग्राफी से शुरुआत की है। इसमें समय के साथ काफी बदलाव आया है। नित नए किस्म के डिजिटल कैमरे आ रहे हैं, उससे फोटोग्राफी के तरीके बदल रहे हैं। फोटोग्राफी के प्रति लोगों के ‘टेस्ट और उनकी डिमांड में बदलाव आ रहा है। इसके चलते कैमरे, लेंस आदि में लागत बढ़ रही है जबकि इसके सापेक्ष कमाई नहीं हो पा रही। आधुनिक और डिजिटल कैमरे की वजह से फोटोग्राफी आसान हुई है तो समस्याएं भी बढ़ी हैं। फोटोग्राफर खुद को कैसे नई तकनीक के साथ अपडेट करें, इसके लिए सरकारी स्तर पर कोई वर्कशॉप या अन्य इंतजाम नहीं हैं।
फोटोग्राफी एक ऐसी कला है जो पल भर में अनमोल यादों को कैद करने का काम करती है। यह पेशा जितना आकर्षक है, उतना ही चुनौतीपूर्ण भी है। एक फोटोग्राफर को अपनी रचनात्मकता के साथ तकनीक और कौशल का भी इस्तेमाल करना होता है। हालांकि हर शूट के साथ उन्हें कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है, चाहे वह व्यवहारिक दिक्कतें हो या फिर तकनीकी समस्या। शादी विवाह में कार्य करने वाले फोटोग्राफर की बात की जाए तो उसको शादी की हर गतिविधि जैसे मेहंदी, हल्दी, जयमाला, फेरे, विदाई आदि के दौरान हर शॉट को सही समय पर सही तरीके से कैप्चर करना होता है। इस दौरान एक मिनट की देरी भी महत्वपूर्ण पल को खराब कर सकती है। ठीक इसी तरह से अन्य कार्यक्रमों में भी होती है। कई बार फोटोग्राफर को कई कई शिफ्ट में काम करना होता है। उससे शारीरिक थकावट हो जाती है। मानसिक रूप से थक जाने के कारण अलग अलग एंगल में दिमाग में नहीं आते हैं। उसके बाद भी फोटोग्राफर अपने ग्राहकों की हर उम्मीद को पूरा करने में जुटे रहते हैं। आयोजन को खास बनाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकनी होती है। इतनी मेहनत के बाद भी फोटोग्राफर के जीवन में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पहले बड़ी समस्या क्लाइंट का सही समय पर पैसा नहीं देना है। कई बार अच्छा काम होने के बाद भी क्लाइंट फोटोग्राफर के कुछ न कुछ कहकर पैसे जरूर कम कर लेते हैं। अगर इसका विरोध किया जाता तो हाथापाई तक मामला पहुंच जाता है। पुलिस प्रशासन से शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।
फोटोग्राफर्स को नहीं मिलता आसानी से ऋण
प्रांजल टंडने बताया कि महंगाई के दौर में फोटोग्राफर को संसाधन जुटाने में भी मशक्कत करनी पड़ती है। कैमरे, लेंस, लाइट, स्टैंड आदि खरीदने में ही उन्हें अच्छी खासी पूंजी की आवश्यकता होती है। धनराशि की व्यवस्था करने के लिए वह बैंक जाते हैं तो आसानी से ऋण नहीं मिलता है। ऋण मिल भी जाए तो किस्त चुकाने में ही उनकी कमाई एक बड़ा भाग चला जाता है। फोटोग्राफर कहते हैं, सरकार स्वरोजगार को बढ़ावा देने का दावा करती है। मगर वह लोग जो वर्षों से स्वरोजगार कर रहे हैं, उनपर ध्यान नहीं देती है। यदि उन लोगों को ब्याज मुक्त ऋण मिल जाए या फिर ऋण पर 30 से 40 प्रतिशत सब्सिडी दी जाए तो काफी राहत मिल सकती है। वह लोग अपने व्यवसाय को बढ़ा सकेंगे। सेटअप बड़ा होगा तो कर्मचारियों की भी अधिक जरूरत पड़ेगी। उससे लोगों को रोजगार मिलेगा। युवाओं का ध्यान फिर से इस कोराबार की ओर बढ़ सकेगा। सरकारी योजनाओं के कार्य कुछ खास खास छाया चित्रकारों को न देकर सभी को बराबर बराबर दिया जाना चाहिए। फोटोग्राफरों का कहना है कि यह वर्ग इस समय कई समस्याओं से घिरा हुआ है। सरकार को भी चाहिए इस वर्ग की समस्याओं पर प्रमुखता से ध्यान देते हुए समस्या का समाधान कराना चाहिए।
शहर में लैब और स्टूडियो होते जा रहे कम
फोटो ग्राफर बताते हैं कि एक समय था जब शहर में छोटी-बड़ी कई लैब हुआ करती थीं। बरेली मंडल के चारों जिलों समेत उत्तराखंड के कई जिलों के लोग यहां काम कराने आते थे। अब शहर में गिनती की लैब बची हैं और उनकी भी हालत काफी खराब है। इतना ही नहीं अब लोग फोटो एलबम बनवाना भी कम पसंद कर रहे हैं। ज्यादातर लोग एल्बम नहीं बनवा रहे हैं और स्मार्ट फोन या लैपटॉप में ही फोटो डलवा लेते हैं। जिले में 450 से अधिक फोटो स्टूडियो थे जिनकी संख्या घट कर महज 100 के करीब ही रह गई है। स्टूडियो में आकर अब गिनती के लोग ही फोटो क्लिक करवाते हैं। कई बार तो दुकान पर कार्य करने वाले लड़कों का वेतन पूरा करना में दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
ढाई दशक पहले था स्टूडियो का क्रेज
सचिन राय ने बताया कि करीब ढाई दशक पहले तक स्टूडियो का अलग क्रेज था। लोग शौक से फोटो खिंचाने आते थे। परिवार के लोग एक से अधिक तस्वीरें खींचवाने के साथ ही उनकी कई प्रतियां बनवाते थे। अब वह क्रेज नहीं रहा। पहले के स्टूडियो भी दिखावा भर के लिए ही हैं। यह भी कह सकते हैं कि वे केवल ‘बुकिंग प्लेस बन गए हैं। अधिक मेगा फिक्सल कैमरे वाले मोबाइल फोन कैमरों ने कारोबार को काफी प्रभावित किया है। जन्म दिन और अन्य फैमिली फोटो के लिए कम लोग ही फोटोग्राफर बुला रहे हैं।
50 हजार से शुरु होती है अच्छे कैमरों की स्टार्टिंग
रमाकांत शुक्ला ने बताया कि खास कार्यक्रमों व आयोजनों के लिए महंगे कैमरों का इस्तेमाल होने लगा है। खुद को बाजार में बनाए रखने के लिए महंगे कैमरें खरीदने पड़ते हैं। कई बार आयोजन के बाद भुगतान के लिए फोटोग्राफरों को लम्बा इंतजार करना पड़ता है। तब पैसे का संकट खड़ा हो जाता है। हमारे व्यवसाय के लिए सरकार की ओर से कोई योजना भी नहीं है। बताया कि अच्छे डिजिटल कैमरे की शुरुआत 50 हजार रुपये से होती है, जबकि वीडियो कैमरा लाखों रुपये से शुरु होता है। फाइनेंस पर कैमरा या वीडियो कैमरा लेने पर ब्याज देना पड़ता है। समय से इसे चुकता नहीं करने पर दुकानदार कर्ज में डूब जाता है। लाचारी में फोटोग्राफर सेकेंड हैंड कैमरा लेने को मजबूर होते हैं।
आईडी कार्ड बनने से होगा फायदा
विवेक अरोड़ा का कहना है कि फोटोग्राफर और वीडियोग्राफर जब शहर से बाहर शूट करने के लिए जाते हैं तो अक्सर यातायात के जवान उन्हें अनायास ही परेशान करने का काम करते हैं। यदि फोटोग्राफरों के भी आईडी कार्ड बन जाएंगे तो वह यह बता सकते हैं कि वह किसी समारोह को कवर करने के लिए जा रहे हैं। इससे बड़ा फायदा होगा। पेशे में परेशानी की बात करते हुए बताया कि एक्सपोजिंग की वजह से स्टूडियो को नुकसान हो रहा है। पहले ब्लैक एंड व्हाइट का दौर था तो लोग निगेटिव देखकर फोटो को चुनकर उसे स्टूडियो पर बनवाते थे। अब तो जरा सा कोई फंक्शन घर में होने लगे तो फोटोग्राफर को कम मोबाइल पर ही फोटो खींचकर काम चला लिया जाता है।
नौसिखिए भी कर रहे कारोबार पर चोट
फोटोग्राफर्स ने बताया कि कुछ ऐसे नौसिखिए भी फोटोग्राफी के मैदान में आ गए हैं जो ढंग से फोटो खींचना भी नहीं जानते। जीरो फाइनेंस पर फाइनेंस कंपनियों से कैमरा ले लेते हैं और लोगों को कम दामों पर फोटो-वीडियो शूट कर दे देते हैं। क्वालिटी की समझ रखने वाले लोग तो ऐसे फोटोग्राफरों से दूर रहते हैं, लेकिन जिन्हें अंतर नहीं पता वे इनके चक्कर में आ जाते हैं और अच्छे फोटोग्राफरों के कारोबार को नुकसान पहुंचता है।
फोटोग्राफर्स के समय की कोई कीमत नहीं
फोटोग्राफर तो लोगों को बिल्कुल समय पर चाहिए, लेकिन लोग इनके समय की कीमत को नहीं समझते। घंटों-घंटों बारात चढ़ती है। लोग डीजे पर भी प्रशासन की ओर से निर्धारित समय की परवाह न कर फोटोग्राफी कराते रहते हैं। कवरेज करके देर रात को लौटने वाले कई फोटोग्राफर दुर्घटनाओं के शिकार भी हो चुके हैं। इन सबके बावजूद कईं जगह उन्हें फोटोग्राफी की एवज में तय भुगतान लेने को भी जूझना पड़ता है।
एआई से सहूलियत के साथ ढेर सारे खतरे भी
आकाश भारती ने बताया कि एआई तकनीक भी पांव पसारने लगी है। इससे काम तो आसान होगा, लेकिन रोजगार प्रभावित होने का खतरा भी है। उनके मुताबिक इन दिनों फैशन फोटोग्रॉफी के अलावा पोर्टफोलियो फोटोग्रॉफी, प्री एंड पोस्ट वेडिंग फोटोग्राफी, प्रेग्नेंसी फोटोग्राफी काफी ट्रेंड में है। विज्ञापन और फैशन फोटोग्राफी में एजेंसियों को अच्छे फोटोग्राफरों की जरूरत पड़ती है। उन्होंने कहा कि सामान्य फोटोग्राफर के साथ कोई टैग नहीं जुड़ा होता। इससे क्षेत्र में संभावनाएं हैं, शासन-प्रशासन स्तर पर उन्हें बढ़ावा देने की जरूरत है।
डिजिटल हुए पर दुश्वारियों में नहीं आई कोई कमी
गजेंद्र सिंह ने बताया कि करीब तीन दशक पहले तक कैमरे में रील (फिल्म) लगती थी। स्टूडियो के डार्करूम में फिल्म को लोड और प्रॉसेस किया जाता था। वहां पूरी तरह अंधेरा होने के कारण सावधानियां बरतनी होती थीं। भय रहता था कि फोटो खराब न हो जाए। डार्करूम में ही छवि को फोटोग्राफिक पेपर पर छापने के लिए प्रकाश का उपयोग किया जाता था। ब्लैक एंड व्हाइट प्रिंट बनाते समय सेफलाइट का उपयोग होता था। रंगीन फोटो की तो सुविधा ही नहीं थी। फोटो में कलर डलवाने के लिए दूर-दराज से लोग बरेली की लैब आते थे।
वर्ल्ड फोटोग्राफी-डे पर किए जाने चाहिए विशेष आयोजन
अरविंद शर्मा ने बताया कि हर वर्ष 19 अगस्त को वर्ल्ड फोटोग्राफी डे मनाया जाता है। इसका मकसद दुनिया के फोटोग्राफरों को एकजुट करना है। इतिहासकारों के मुताबिक 19 अगस्त 1839 को फ्रांस सरकार ने फोटाग्राफी आविष्कार की घोषणा की। जिस उद्देश्य से यह दिवस मनाया जाता है, वह पूरा होता नहीं दिखता। इसका खामियाजा सभी को भुगतना पड़ता है। बुकिंग का कोई तय रेट नहीं रह जाता। ग्राहक सौदेबाजी करते हैं। दूसरे कारोबार की तरह यहां भी एक रेट चार्ट तय होना चाहिए। सभी उसका कड़ाई से अनुपालन करें, यह भी सुनिश्चित करने की जरूरत है। वर्ल्ड फोटोग्राफी डे पर वर्कशाप तथा समय-समय पर प्रतियोगिताएं होनी चाहिए।
कैसी-कैसी फोटोग्राफी की रहती मांग
फोटोग्राफर्स ने बताया कि आज कैनडिड, सिनेमेटिक, ट्रेडिशनल वीडियो, ड्रोन फोटोग्राफी, एलईडी वॉल आदि की डिमांड अधिक रहती है। पहले एलबम 35 एमएम रील से जब बनती थी तो 4/6 साइज के फोटो ज्यादा चलते थे। आज एलबम के पेज के 12-15 वैरिएंट हैं। फोटो क्वालिटी फॉरमेट, पेपर क्वालिटी सब बदल चुका है।
सुझाव:
1. सरकारी आयोजनों में स्थानीय फोटोग्रॉफरों को अवसर दिया जाना चाहिए। काम मिलना चाहिए। इससे उन्हें आर्थिक राहत मिलेगी।
2. युवाओं के लिए राष्ट्रीय बैंकों से लोन की प्रक्रिया आसान बनाई जाय। श्रम या उद्योग विभाग से कारोबार को मदद मिले।
3. उद्योग विभाग की ओर से वर्कशॉप आयोजित होनी चाहिए। उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाय।
4. एमजेपी रुहेलखंड विवि और दूसरे कॉलेजों में फोटोग्राफी पाठ्यक्रम लागू करना चाहिए। इससे युवाओं का आकर्षण बढ़ेगा।
5. प्रोफेशनल फोटोग्राफर की फोटो व स्मार्टफोन से खिंची फोटो के अंतर को लोग समझें।
6. स्टूडियो संचालकों की डाटा संग्रह करने की हद को समझें, समय से वीडियो-फोटो उठाएं।
7. फोटोग्राफर भी आपकी तरह समाज का अभिन्न अंग हैं, इसके समय की भी कीमत समझें।
8. फोटोग्राफर्स को एक निश्चित उम्र के बाद पेंशन का लाभ दिया जाए।
9. एआई के ऐप की कंपनियों के लिए फोटो को लेकर सख्त नियम बनने चाहिए।
शिकायतें:
1. वीआईपी मूवमेंट या अन्य सरकारी आयोजनों में स्थानीय फोटोग्राफरों को मौका नहीं मिलता।
2. बैंकों में लोन की प्रक्रिया बेहद कठिन है। औपचारिकताएं पूरी करना कमजोर और युवा दुकानदारों के लिए आसान नहीं होता।
3. उद्योग विभाग या प्रशासनिक स्तर पर फोटोग्राफरों के लिए कोई वर्कशॉप नहीं होती। सरकारी योजनाओं की जानकारी नहीं मिलती।
4. फोटोग्राफी में कॅरियर की संभावनाएं हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर उसके लिए कोई इंतजाम नहीं है।
5. स्मार्टफोन के चलते अब बर्थडे व छोटे समारोहों में लोग नही बुलाते।
6. लोग महीनों-महीनों तक वीडियो-एलबम उठाने की सुध नहीं लेते।
7. फोटोग्राफी के कवरेज के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है।
8. फोटोग्राफर्स के लिए कोई सरकारी पेंशन, पीएफ आदि नही है।
9. फर्जी फोटो तक बनाने वाला एआई फोटोग्राफर्स के लिए बड़ा खतरा है।
हमारी भी सुनो::
युवाओं के लिए सरकार को नए-नए स्किल प्रोग्राम बनाने चाहिए। ताकि इस पेशे में आने वाले युवाओं में फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के प्रति रुझान को बढ़ाया जा सके। - सत्येंद्र
टेक्नोलॉजी सीखने में दिक्कत होती है। इसके लिए सरकार को ऐसे संस्थान खोलने चाहिए। जहां पर फोटोग्राफर को अच्छे प्रशिक्षित शिक्षकों से इसे सीखने का मौके मिले। - हर्षित
फोटोग्राफरों को भी कामगार माना जाना चाहिए। इससे फायदा यह होगा कि जो इस पेशे से जुड़े हैं, उन्हें भी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। - गिरिश चंद्र
ऑनलाइन का चलन होने से कंपटीशन बढ़ गया है। जिन लोगों के पास महंगे और आधुनिक कैमरें हैं, वहां पर कारोबार तो ठीक है, लेकिन अब लगातार बुकिंग कम हो रही हैं। - अरविंद शर्मा
शादी-विवाह में सबसे देर तक फोटोग्राफरों का काम होता है। सभी उनसे फोटो तो करवाते हैं, लेकिन उसके बाद भी उन्हें पूरा मेहनताना समये से देना उचित नहीं समझते है। - इकबाल हुसैन
फोटोग्राफर को भी पेंशन का प्राविधान होना चाहिए। ताकि वह जब उस उम्र में पहुंचे, जब वह काम नहीं कर सकते हैं तो पेंशन से उनकी आजीविका आसानी से चल सके। - कुलदीप राठौर
युवाओं में मैटरनिटी शूट का क्रेज बढ़ गया है। इसलिए इस नई टेक्नोलॉजी को सीखने में अभी समय लग रहा है। ऐसी व्यवस्था हो कि युवा नई टेक्नोलॉजी को सीख सकें। - प्रांजल टंडन
दिन-प्रतिदिन महंगाई बढ़ती ही जा रही है। इससे फोटोग्राफर व वीडियोग्राफरों के पास बुकिंग कम होती आ रही हैं। इससे भी व्यापार को काफी नुकसान हो रहा है। - संजय शर्मा
युवाओं को अधिक से अधिक फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के पेशे में आने के लिए सरकार को नए-नए कोर्स का प्राविधान करना चाहिए। इससे उनके काम की गुणवत्ता में बढ़ोत्तरी होगी। - सचिन राय
अच्छे काम से ही प्रतिस्पर्धा में टिका जा सकता है। इसके लिए नई टेक्नोलॉजी की जानकारी होना जरुरी है। जिला स्तर पर फोटोग्राफर्स के लिए पाठ्यक्रम व ट्रेनिंग कार्यक्रम होने चाहिए। - विवेक अरोड़ा
डेटा संजोने के लिए समस्त हार्ड डिस्क पर अतिरिक्त मूल्य फोटोग्राफी कारोबारी से जुड़े लोगों को खर्च करनी पड़ती है। जिस कारण इस काम में मुनाफा घटा है। ऐसे में फोटोग्राफरों को आर्थिक नुकसाना उठाना पड़ रहा है। - अखिलेश कश्यप
पहले के मुकाबले अब फोटो, वीडियोग्राफी का चलन मोबाइल तक सिमट रहा है। लोग सिर्फ शादी-विवाह के साथ-साथ न्यू बोर्न बेबी, वन ईयर फोटो शूट कराने को ही प्राथमिकता दे रहे हैं। - रमाकांत शुक्ला
फोटो और वीडियोग्राफी में जो कैमरों का प्रयोग होता है। उन पर जीएसटी को कम करना चाहिए। बाजार में हर दिन नई टेक्नोलॉजी के कैमरे आ रहे हैं। ऐसे में कैमरा खरीदना बड़ा मुश्किल हो जाता है। - आकाश भारती
कैमरें महंगे होते जा रहे हैं और ग्राहक कम दामों पर ही काम करवाना चाहते हैं। खर्चा काफी बढ़ गया है। आउट डोर काम करने वाले लड़के भी अधिक पैसे लेते हैं। ऐसे में यह कारोबार काफी प्रभावित हो रहा है। - गजेंद्र सिंह
फोटोग्राफी कराने के लिए एडवांस तो समय से मिल जाता है, लेकिन बकाया रुपये देने में कुछ ग्राहक बहुत परेशान करते हैं। कुछ तो अपने वीडियो-फोटो कई-की साल तक लेने ही नहीं आते हैं। - राज किशोर मिश्रा
सरकार को फोटोग्राफरों के लिए सस्ता लोन देना चाहिए। लोन पर सब्सिडी मिल जाए तो फोटोग्राफरों को काफी राहत मिल सकती है, लेकिन किसी भी सरकार ने इस कारोबार पर कोई ध्यान नहीं दिया। - प्रमोद कुमार
विभिन्न विवाह समारोह में रात में सफर करना पड़ता है। रात में आपराधिक वारदात होने का डर लगा रहता है। कई बार टूट-फूट व सड़क हादसा भी हो जाता है। जोखिम भरे काम के लिए कोई सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलता। - प्रदीप सिंह
फोटोग्राफरों की आर्थिक स्थिति काफी खराब होती जा रही है। अगर परिवार में कोई बीमार हो जाए तो रुपये के लिए परेशान होना पड़ता है। सरकार को सभी फोटोग्राफरों के आयुष्मान कार्ड बनवाने चाहिए। - अंकुर शर्मा
फोटोग्राफी के चलन में काफी बदलाव आ गया है। महंगे कैमरे और कम्प्यूटर रखने पड़ते हैं। जबकि आय नहीं बढ़ रही है। डिजिटल दौर में बेहतर मेगा पिक्सल के कैमरों को रखना होता है। जीएसटी कम होनी चाहिए। - दीपक
फोटोग्राफर पूरे साल में महज 70 से 80 दिन ही वैवाहिक व मांगलिक कार्यक्रम में फोटोग्राफी कर पा रहे हैं। सहालग का सीजन समाप्त होने के बाद ऑफ सीजन में कोई भी काम न होने से रहते हैं परेशान होते हैं। - अरविंद आनंद
ग्राहकों की अपेक्षाएं अधिक होती हैं। हम उनकी डिमांड भी पूरी करते हैं, लेकिन तय राशि देने में आनाकानी करते हैं। प्री वेडिंग, हल्दी, मेहंदी संगीत जैसे आयोजनों ने काम तो बढ़ाया है लेकिन आमदनी नहीं। - मो. शाहनूर
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