बिना पढ़ाई डॉक्टर! आर्मेनिया से मेडिकल की डिग्री बांटने वाले बरेली के 2 भाइयों पर लुकआउट नोटिस
- अर्पित हॉस्पिटल प्रकरण की जांच में पुलिस को जानकारी मिली है कि संचालक प्रवीण सिंह की एमबीबीएस की डिग्री बनवाने के आरोपी बरेली के 2 भाई शाकिब और आजम आर्मेनिया में मेडिकल कॉलेज चलाते हैं। उसकी आड़ में मेडिकल की डिग्री बनवाने का ठेका लेकर फर्जीवाड़ा करते हैं।

दाखिला कराकर बिना पढ़ाई किए ही मेडिकल की डिग्री देने के लिए बरेली के दो भाइयों ने आर्मेनिया में मेडिकल कॉलेज खोल रखा है। डॉक्टर बनने की चाहत रखने वालों से मोटी रकम लेने के बाद उनको अपने कॉलेज की डिग्री देते हैं। गोरखपुर के अर्पित हास्पिटल के संचालक प्रवीण सिंह की गिरफ्तारी के बाद उसके पास मौजूद एमबीबीएस की डिग्री की जांच में यह बात सामने आई है। पुलिस ने इस मामले में दोनों भाइयों को आरोपित बनाने के साथ ही अब उनकी गिरफ्तारी के लिए लुक आउट नोटिस जारी कराया है। दोनों भाइयों के देश लौटते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
अर्पित हॉस्पिटल प्रकरण की जांच में पुलिस को जानकारी मिली है कि संचालक प्रवीण सिंह की एमबीबीएस की डिग्री बनवाने के आरोपी बरेली के दो भाई शाकिब और आजम आर्मेनिया में मेडिकल कॉलेज चलाते हैं। उसकी आड़ में मेडिकल की डिग्री बनवाने का ठेका लेकर फर्जीवाड़ा करते हैं। दोनों भाइयों की तलाश में पुलिस ने उनके बरेली स्थित घर पर दो बार दबिश भी दी लेकिन दोनों आरोपियों के आर्मेनिया में होने की जानकारी मिली। इसके बाद ही पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी के लिए लुक आउट नोटिस जारी किया गया है।
दरअसल, अर्पित हॉस्पिटल की जांच के दौरान ही डॉ. शमीम ने गोरखपुर के गुलरिहा थाने में डॉ. प्रवीण और विवेक सिंह पर डिग्री के नाम पर जालसाजी करने का केस दर्ज कराया था। पुलिस ने बस्ती के मूल निवासी विवेक सिंह को गिरफ्तार किया तो उसके तीन और साथियों का नाम सामने आ गया। पता चला कि बरेली के शाकिब, आजम और लखनऊ के अभिषेक यादव भी मेडिकल की फर्जी डिग्री गिरोह में शामिल हैं। इसमें से शाकिब और आजम ही फर्जी डिग्री तैयार करके मुहैया कराते थे।
इन दोनों ने ही प्रवीण को भी आर्मेनिया की डिग्री दी थी, इसी वजह से फर्जी होने की आशंका में एम्बेसी से पत्राचार किया गया। पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला है कि बरेली के रहने वाले शाकिब और आजम एक डिग्री को 20 से 40 लाख रुपये में बेचते हैं। इसके बाद ही पुलिस बरेली के दोनों आरोपियों के साथ ही लखनऊ के एक आरोपी की तलाश में जुटी है।
यह है पूरा मामला
देवरिया जिले के सलेमपुर क्षेत्र के वार्ड नंबर 11 भरौली निवासी लक्ष्मी देवी 17 जनवरी को देवरानी के बच्चे को बीआरडी में भर्ती कराने 108 नंबर एंबुलेंस से आई थीं। आरोप है कि बीआरडी के बाहर बिचौलिया अमन गुप्ता ने एंबुलेंस चालक से मरीज खरीदने के बाद अर्पित हॉस्पिटल को बेच दिया था। वहां पर हालत में सुधार न होने पर रेफर कराने का निवेदन किया। आरोप है कि तब बच्चे को गलत इंजेक्शन लगाकर जान से मारने की धमकी दी गई। इसी तहरीर पर पुलिस ने केस दर्ज किया। बाद में एडिशनल सीएमओ ने भी केस दर्ज कराया। पुलिस ने हॉस्पिटल संचालक डॉ. प्रवीण सिंह, डॉ. साकिब सलीम, मैनेजर तुषार, बिचौलिया अमन गुप्ता, 108 एंबुलेंस चालक और ईएमटी को गिरफ्तार कर जेल भिजवाया। इसमें डॉ. साकिब सलीम को जमानत मिली है, जिसके बाद उन्होंने केस दर्ज कराया।
क्या है लुक आउट नोटिस
लुक आउट नोटिस वह होता है जिसके द्वारा किसी भी व्यक्ति के खिलाफ केस दर्ज होने के बाद विदेश जाने से रोकने और जांच करने का अधिकार होता है। हवाई अड्डा, बंदरगाह और अन्य संभावित जगहों से जहां से विदेश जाया जाता है, वहां के सक्षम अधिकारियों को ऐसे अपराधी या वांछित किस्म के व्यक्तियों को रोकने और जांच परख कर संबंधित जिले को सूचना देने और गिरफ्तार करने के लिए दिया जाता है…। गोरखपुर पुलिस ने लुक आउट नोटिस के जरिए अब तक दस से ज्यादा आरोपितों को पकड़ने में कामयाबी हासिल की है। इस नोटिस से देश में कदम रखते ही आरोपित रडार पर आ जाता है।
क्या बोली पुलिस
एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने बताया कि अर्पित हास्पिटल प्रकरण की जांच में डिग्री का मामला भी सामने आया था। इसमें बरेली के दो भाइयों और लखनऊ के एक युवक का नाम सामने आया है। इनकी गिरफ्तारी के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है।