सैनिकों का गांव भिक्कावाला, बॉर्डर पर सीना ताने खड़े हैं यहां के बेटे
Bijnor News - गांव भिक्कावाला को देश के सपूतों की जन्मस्थली कहा जा सकता है। यहां के युवा सैनिक दुश्मन देश का मुकाबला कर रहे हैं। भूतपूर्व सैनिक कॉलोनियों में बसे परिवारों की कई पीढ़ियां सेना में भर्ती होकर देश सेवा...

अफजलगढ़। गांव भिक्कावाला को देश के सपूतों की जन्मस्थली कहना कतई अतिश्योक्ति नहीं होगी। क्योंकि इस गांव के दर्जनभर से अधिक युवा सैनिक फिलवक्त दुश्मन देश का मुकाबला करने के लिए सरहद पर डटे हुए हैं। देश के बंटवारे के बाद सरकार द्वारा 50 के दशक में अफजलगढ़ विकास खण्ड के तहत 12 भूतपूर्व सैनिक कॉलोनियां बसाई गई थी। इन कालोनियों में बसे पूर्व सैनिको ने भारत-पाक के युद्ध के दौरान दुश्मनों से लोहा लिया था। यहां के अधिकांश युवा आज भी देश की रक्षा के लिए सेना में भर्ती होकर राष्ट्र सेवा करना चाहते हैं। इन भूतपूर्व सैनिक कालोनियों में शामिल गांव भिक्कावाला देश सेवा के क्षेत्र में खास स्थान रखता है।
इस गांव के कई परिवारों की दूसरी और तीसरी पीढ़ियां सेना में भर्ती होकर देश सेवा कर रही हैं। बीते दिनों सरहद पर उत्पन्न हुए तनाव तथा मौजूदा हालातों में अकेले भिक्कावाला निवासी दर्जनभर से अधिक सैनिक दुश्मन देश का मुकाबला कर रहे हैं। इसमें गढ़वाल रेजीमेंट के विनोद रावत, पपेंद्र नेगी, कुलदीप रावत, मंदीप रावत, मोहित पसबोला, अरविंद बिष्ट, गोरखा रेजीमेंट के नरेन्द्र प्रसाद बरमोला तथा पैरा के हैप्पी रावत सहित अनेक युवा सैनिक शामिल हैं।
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