तीन करोड़ के फर्जी भुगतान में फर्म मालिकों को दी गई थी क्लीन चिट
Bijnor News - सितंबर 2016 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 3 करोड़ 10 लाख रुपये के घोटाले की जांच में पुलिस ने उन फर्म संचालकों को क्लीन चिट दे दी, जिनके खातों में यह राशि गई थी। पहले दो लोगों को जेल भेजा गया...

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में सितंबर 2016 में सामने आए तीन करोड़ से अधिक के भुगतान के मामले में पुलिस उन्हीं फर्म संचालकों को क्लीन चिट दे दी, जिनके खाते में यह रकम गई थी और विवेचना समाप्त भी हो गई थी। वहीं दूसरी ओर इससे पूर्व इसी मामले में पुलिस सीएमओ कार्यालय के एक लिपिक समेत दो को जेल भेजकर चार्जशीट भी दाखिल कर चुकी है। जिन आदेशों के आधार पर भुगतान को सही मानकर क्लीन चिट दी गई, उन पर जिस सीएमओ के हस्ताक्षर हैं। आदेश की तिथि में वह बिजनौर में तैनात ही नहीं थे। शासन की ओर से घोटाले में आर्थिक अपराध शाखा से कराई जा रही पुन: विवेचना में ये अहम बिंदू भी शामिल हैं। गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में 3 करोड़ 10 लाख 95 हजार 769 रुपये के घोटाले में एसीएमओ आरसीएच की ओर से 24 सितंबर 2016 को रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। थाना कोतवाली शहर पुलिस द्वारा इसमें एनएचएम के लिपिक कैलाश व डीपीएम कार्यालय के लेखा प्रबंधक पंकज कुमार सिंह को दोषी मानते हुए गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था और चार्जशीट दाखिल कर दी गई थी।
पुलिस को सौंपे गए दस्तावेजों के अनुसार फर्जी पीएफएमएस तैयार कर आरसीएच फ्लेक्सीपूल व मिशन फ्लेक्सीपूल से यह भुगतान उन्नाव डिस्टिलरीज ब्रेवरीज, एनकिचन कल्याण समिति, कानपुर, सरकार ट्रैवल्स और गणपति एन्टरप्राइजेज को किया गया। यह घोटाला ड्रग्स एंड कंज्यूमेबल्स, डाईट, मोबिलिटी सपोर्ट फील्ड विजिट, ऑपरेशनल कॉस्ट ऑफ आरबीएसके, इनोवेशन, प्रिंटिंग एवं एमसीपी कार्ड सेफ मैथर्ड बुकलेटस, प्रोक्योरमेंट एवं अदर एक्टीविटीज आदि मदों के नाम पर किया गया।
पुलिस ने कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट भी लिया था
उक्त चारों फर्मों के संचालकों के खिलाफ पुलिस ने कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट भी लिया था। मुकदमे की तफ्तीश पहले उपनिरीक्षक राजीव फिर क्रमश: तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक कोतवाली शहर ऋषिराम कठेरिया, शैलेन्द्र प्रताप गौतम, प्रेमवीर राणा व उनके बाद उपनिरीक्षक देवेन्द्र सिंह द्वारा की गइ्र। विवेचना में दिए गए तथ्यों के अनुसार विवेचक ऋषिराम कठेरिया को कुछ फर्में ही नहीं मिली, हालांकि उन्होंने सरकार ट्रेवल्स व अन्य फर्मों की मालिक शिशुलेष त्रिवेदी तथा उनके बेटे आदेश त्रिवेदी का जालसाज होना पाए जाने की बात दर्ज की। विवेचना चलती रही और आखिर में विवेचक उपनिरीक्षक देवेन्द्र सिंह ने विवेचना समाप्त करते हुए लिखा कि आदेश त्रिवेदी व उनकी माता शिशुलेष त्रिवेदी ने बताया, कि जो आदेश उनकी फर्मों को सामान भेजने का हुआ था वो सामान उन्होंने सीएमओ बिजनौर को भेज दिया था और बिल वाउचर से उनका पेमेंट हो गया था। विवेचक देवेंद्र सिंह ने फाइनल रिपोर्ट में यह भी लिखा, कि इन दोनों ने सभी बिल वाउचर की छायाप्रति व फर्मों के रजिस्ट्रेशन की छायाप्रति भी प्रस्तुत की जो जांच से सही पाई गई। सीएमओ बिजनौर द्वारा जो आदेश इनकी फर्मों को दिए गए, उनकी छायाप्रति भी केस डायरी के साथ संलग्न की गई।
आदेश और शिशुलेश की संलिप्तता नहीं पाई गई
विवेचक के अनुसार आदेश त्रिवेदी व शिशुलेश त्रिवेदी निवासी अचलगंज थाना अचलगंज उन्नाव की संलिप्तता नहीं पाई गई। इन फर्म संचालकों के साथ ही भानू प्रकाश हिमकर जिला कार्यक्रम प्रबंधक व सुरेन्द्र सिंह जिला डाटा प्रबंधक व शहबाज डाटा आपरेटर की संलिप्तता भी विवेचना से नहीं पाई गई और विवेचना समाप्त की जाती है। तीन जुलाई 2017 को उपनिरीक्षक ने इसी के साथ यह विवेचना समाप्त कर कोर्ट में दाखिल भी कर दी गई थी।
फर्म संचालकों की ओर से पेश आदेश पत्रों पर हस्ताक्षर किसके
सीएमओ कार्यालय के रिकार्ड के अनुसार पुलिस ने माल की सप्लाई के लिए सीएमओ के जो आदेश पत्र उक्त फर्म संचालकों के द्वारा दिए जाने और जांच में सही पाए जाने की बात कही है, उनमें से अधिकांश पर वर्ष 2014 में जारी होते हुए भी सीएमओ डा. एमएम अग्रवाल के हस्ताक्षर हैं, जबकि डा. एमएम अग्रवाल ने बिजनौर के सीएमओ का कार्यभार ही 21 जुलाई 2015 को संभाला था। गहराई में जाए बिना ही पुलिस ने फर्म संचालकों को क्लीन चिट दे दी थी।
वर्जन...
पुन: विवेचना में कोई बिंदू नहीं छोड़ा जाएगा। ये अहम बिंदू भी शामिल हैं। गहराई से विवेचना के लिए संबंधित अभिलेख लिए हैं। बयान भी लिए जा रहे हैं। - राजीव चौधरी, निरीक्षक/विवेचक, आर्थिक अपराध शाखा, मेरठ
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