भय और प्रलोभन से की गई प्रार्थना नहीं होती सफल : संत विनीत दीक्षित
Bijnor News - शेरकोट में तीन दिवसीय साधना शिविर के दूसरे दिन, संत गुरु महाराज डॉ. विनीत दीक्षित ने प्रार्थना के असली अर्थ पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रार्थना केवल डर या लालच से की गई हो, तो वह सफल नहीं होती।...

शेरकोट। तीन दिवसीय आंतरिक साधना शिविर के दूसरे दिन संत गुरू महाराज डॉ. विनीत दीक्षित ने प्रार्थना के अर्थ और महत्व बताते हुए कहा कि प्रार्थना तब तक सफल नहीं होती, जब तक वह भय अथवा प्रलोभन से की जाती है। नंद निकेतन आश्रम में आध्यात्मिक शिविर में गुरू महाराज ने कहा कि जब हम भय से प्रार्थना करते हैं, तो वह प्रार्थना भय के समाप्त होने पर समाप्त हो जाती है। इसी तरह जब हम किसी चीज को पाने के लिए प्रार्थना करते हैं, तो वह प्रार्थना उस चीज के मिलने के बाद समाप्त हो जाती है। उन्होंने एक प्रसंग सुनाते हुए बताया कि एक बार एक नाव में बहुत सारे यात्री व एक संत यात्रा कर रहे थे।
अचानक समुद्र में भारी तूफान आ गया। नाव में तूफान आने के कारण सभी यात्री अपनी जान बचाने के लिए प्रार्थना कर रहे थे, लेकिन संत ने कोई प्रार्थना नहीं की। जब उनसे पूछा गया कि आप प्रार्थना क्यों नहीं कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि प्रार्थना तब तक सफल नहीं होती जब तक वह भय या प्रलोभन से की जाती है। संत ने कहा कि सच्ची प्रार्थना वह है जिसमें कोई मांग नहीं होती, बल्कि देने की भावना होती है। उन्होंने एक अन्य प्रसंग सुनाते हुए कहा कि एक भिखारी की कहानी भी इस बात को दर्शाती है। जब राजा ने उससे कुछ देने के लिए कहा तो भिखारी ने बड़ी मुश्किल से एक दाना दिया। जब उसने अपनी झोली उल्टी की, तो उसे पता चला कि उसके द्वारा दिए गए दाने के बदले में उसे सोने के दाने मिले थे। इससे यह सीखने को मिलता है कि जो हम देते हैं, वो ही हमें वापस मिलता है। संत महाराज ने कहा कि प्रार्थना का जीवन देने का जीवन है। जब हम प्रार्थना करते हैं, तो हमें देने की भावना से करनी चाहिए, न कि लेने की भावना से। इस मौके पर डॉ विकास, जगदीश सिंह, अनमोल दीक्षित, रमेश कुमार, अभिषेक कटारिया, अलका दीक्षित, उषा दीक्षित, शिवानी त्यागी, निक्की कटारिया, प्रदीप कुमार आदि मौजूद रहे।
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